कोविड-19 के नाम पर हमारे वतने अजीज में नफरत फैलाई गई। मुल्क में एक खास समुदाय हैं, जो सत्ता के कुर्सी पर बैठा है और मीडिया के कुर्सियों पर बैठा हैं, उन्होंने कोरोना वायरस को इस्लाम से जोडकर हमारे हमवतनों के दिलों में मुसलमानों के ताल्लुक से जहर घोला हैं। वही लोग समाज में गलतफहमी पैदा कर रहे हैं।
बड़े अफसोस की बात है कि वायरस को भी मजहब से जोड़ दिया जा रहा है। मैंने पहले भी कहा था और आज भी कह रहा हूं, यह वायरस चीन में शुरू हुआ। क्या वहां पर मुसलमानों ने शुरू किया था?
हजारों की तादाद में वहां लोगों की जानें चली गई। कई मासूम लोग मारे गए। वहां से निकल के वह इटली गया। जहां दौलतमंद इटालियन रहते थे वहां हजारों की तादाद में लोगों की जानें चली गई। मेडिकल डॉक्टर्स कि मौत हो गई। क्या वहां पर भी उसे मुसलमान लेकर गए थे?
इस वायरस से स्पेन में हजारों की तादाद में लोगों की मौत हुई। बरतारिया में वहां पर भी बड़ी तादाद में लोग मारे जा रहे हैं। बरतानिया का वजीरे आजम बोरिस जॉन्सन खुद आईसीयू में है।
अमेरिका में 20,000 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है, एक लाख से ज्यादा लोग इफेक्टेड हुए है। बताइए, क्या इन देशों में कोई कह रहा है कि मुसलमानों की वजह से और इस्लाम की वजह से वायरस फैला है!
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दुनिया की 150 मुल्कों में इस तरह का वायरस चल रहा है। मगर अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि हमारी वतन इसमें सिर्फ मुसलमानों को टारगेट बनाया जा रहा हैं। कहा जा रहा है कि यह वायरस मुसलमानों की वजह से फैला है।
याद रखो जालिमों वायरस का कोई मजहब नहीं होता। कोरोना का वायरस सब को लग सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने एक बयान जारी कर कहा कि “इस वायरस को मजहब से मत जोड़ा जाए।”
मगर कोई सुनने तैयार नही हैं। इसको मजहब के साथ जोड़ कर नफरत फैलाई जा रही है। आम लोगों में तबलीगी जमात के नाम दहशत फैलाई जा रही हैं।
भारत सरकार ने 13 मार्च को एक बयान जारी कर कहा था, इस मर्ज से कोई खतरा नहीं है। उसी समय से भारत में कोरोना वायरस का असर शुरू हुआ। सबसे पहले केरल में 3 लोग पॉजिटीव पाए गये। जो लोग मुसलमानों को और इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं, मैं उनसे सवाल करता हूं, बताओ उन 3 लोगों का क्या नाम था? वह जो 17 इटालियन टूरिस्ट थे, उनका क्या नाम था, बताइए आप?
तबलीगी जमात को बदनाम किया गया। उनको इस्तेमाल कर मुसलमानों और इस्लाम को बदनाम किया जा रहा है। यह कहां की बात है? वायरस का कोई मजहब होता है क्या? अगर होता है, तो बताइए कि केरल के लोगों का क्या नाम था? इटालियन टूरिस्ट का क्या नाम था? अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि डब्ल्यूएचओ गाइडलाइन्स की खिलाफवर्जी की जा रही है।
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दि हिंदू अखबार की खबर है जिसमें गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने कहा है, मुस्लिम समुदाय को टारगेट कर खबरे चलाए जाना गलत हैं। मैं हमारे हुकूमत से भी कहना चाह रहा हूं यह कहने में आपको इतनी देर क्यों लगी? प्रधानमंत्री ने पहली बार 19 मार्च को इस वायरस के बारे में कहा था और उसके बाद इसका कहर शुरू हो गया। हर जगह पर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की गाइडलाइन का पालन नही किया गया।
दिल्ली की हुकूमत, जहां का चीफ मिनिस्टर जब दिल्ली जल रही थी तो फसादों के इलाकों में जाता, जहां पर हिंदू और मुसलमान मारे जा रहे थें। मगर चीफ मिनिस्टर वहां नहीं गए। पर राजघाट पर जाकर आंखें बंद करके बैठ गए।
इस सरकार ने एक नंबर दिया तबलीगी जमात से इतने लोग इफेक्टेड हुए। फिर दूसरों का भी नंबर तो बता दो, कि वह कौन से मजहब के हैं!
मैं अफसोस के साथ कहता हूं कि यह गलत है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के गाइडलाइन के खिलाफ हैं। तेलंगाना चीफ मिनिस्टर चंद्रशेखर राव ने कहा कि ऐसा नहीं करना चाहिए।
यकीनन हम जानते हैं कि तबलीगी जमात मरकज में लोग गए थे। तेलंगाना और आंध्र के हद तक कहता हूँ तकरीबन तबलीग जमात के जिम्मेदारों ने पूरा का पूरा सहयोग (Co-Operation) दिया है।
तेलंगाना में 414 एक्टिव केसेस है और 45 डिस्चार्ज भी हो चुके हैं, 11 लोगों की मौत हुई है। इसका मुकाबला कैसे करेंगे आप? यह मुकाबला लोगों को तोड़कर तो नहीं कर सकते!
मेरे भाईयों, हमारे आसपास वायरस का तूफान चल रहा है। हम सब एक कश्ती में चल रहे हैं। हमारे समंदर में तूफ़ान हैं, आप इस तूफान से कैसे कश्ती को निकालेंगे? अगर वह तूफान कश्ती में आ जाएगा, तो समंदर के तूफान इस वायरस का कैसे मुकाबला करेंगे!
जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वह सब गलत कर रहे हैं। ऐसा काम मत करिए। अगर आप में बहुत ज्यादा नफरत है, अगर आप अंधे हो चुके हैं, तो अपने अंधेपन को कम से कम वायरस के थमने तक रोकिए।
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नफरत का खेल
एक वीडियो डाल दिया गया के एक मुसलमान बंडी पर फ्रूट बेच रहा है, उस के साथ बदतमीजी की गई। एक पुराना वीडिओ निकाला गया जिसमे कुछ लोग प्लेटे साफ कर रहे हैं। अरे भाई, हम खाने का एक दाना भी नहीं छोड़ते, आपने उसको वायरस से जोड़ दिया।
सूफियों का एक वीडियो जो इस मूल्क का नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क का है, उसके बारे में भी झूठ परोसा गया। वह बात भी झूठ साबित हुई। एक और वीडियो आया एक मुसलमान रेस्टारंट के खाने में थुँक रहा है।
इसे कहां गया कि मुसलमान इस से वायरस फैला रहा हैं। फिर फिलिपिन्स का एक और वीडियो दिखाया गया, कि देखो यह मुसलमान है और ब्रेड के ऊपर थूक रहा है, यह वीडियो भी झूठा निकला।
इस मुल्क के दुश्मनों ने एक और झुठा वीडियो निकाला, जिसमें एक अंडर ट्रायल हैं, जो पुलिस वाले पर थुंक रहा हैं, उसको तबलीग जमात का बता दिए, यह बहुत पुराना वीडियो है जिसका तबलिगी जमात से कोई ताल्लुक नहीं है।
अमर उजाला नामक एक अखबार है, उसने कहां, तबलीगी जमात के लोग गोश्त डिमांड कर रहे हैं और पेशाब कर रहे हैं। क्या झूठ है! इसी न्यूज़ को सहारनपुर के पुलिस ने झूठा करार देकर इनकार दिया।
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कर्नाटक के एक बीजेपी सांसद हैं, उन्होंने कहा कि तबलीगी लोग डॉक्टरों से बदसुलुकी कर रहे हैं, नाच रहे हैं। तो उन्हीं के रियासत का जहां बीजेपी की सरकार है बिलगारी का डिप्टी कमिश्नर और हॉस्पिटल के जिम्मेदारों ने इस घटना को इनकार कर झुठा साबित किया।
फिर ज़ी न्यूज़ ने रिपोर्ट किया, के तबलीगी जमात के लोगों ने फिरोजाबाद में पत्थर फेंके। फिरोजाबाद पुलिस ने इसको भी नकारा दिया। फिर से आपकी बात झूठ साबित हुई। रायपुर के सांसद ने उन्होंने भी इसी तरह का एक बयान जारी किया।
मालूम हुआ कि तबलीगी जमात के लोग रायपुर के एम्स में बदसलूकी कर रहे हैं। जिसके खिलाफ रायपुर के एम्स अस्पताल ने इस बयान को झूठा करार दिया।
रेवा में एक वीडियो जारी कर दिया गया, कोई मार रहा है, वह भी झूठ साबित हुआ। लखनऊ पुलिस ने इनकार किया कि तबलीग जमात के लोगों ने नर्स के साथ बदसलूकी की।
एक टीवी चैनल का मशहूर एंकर है, जो मुसलमानों से नफरत रखता है, उसने कहा कि 5 लोग जो तबलीग जमात के लोगों के साथ गौतम बुद्धनगर में क्वारंटाईन हो गए। डीसीपी नोएडा ने इनके इस बात को झूठ कहा और कहा कि इससे तबलीग जमात का कोई ताल्लुक नहीं है।
अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि एक बड़ा अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया जो मैं भी पढ़ता हूं। जहा पर नॉन मुस्लिम का मामला आता है वहां ‘माइग्रेंट’ इस्तेमाल करता है, उन्हें वर्कर्स, विलेजर्स कहता हैं। और जहां मुसलमान आते हैं वहां ‘मुस्लिम्स’ का नाम लगा देता हैं।
दि हिंदू में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के हवाले से खबर छपी है, जिसमे कहां गया हैं, कि एक समुदाय को टारगेट करके खबरे चलाए जाना गलत हैं। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया और मोदी सरकार यह रिपोर्ट जारी कर रही है तो आपके माइनॉरिटी मिनिस्टर ने क्या कहा? ‘तबलीगी जमात ने तालिबानी गुनाह किया है’ आप ही का मिनिस्टर यह कह रहा है।
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नफरत का असर
जो नफरत हमारे मुल्क में मुसलमानों के ताल्लुक से आपने फैलाई थी, उसका नतीजा क्या निकला वह भी देखों। उत्तराखंड का वाकया हैं, जिसमें ठेले पर मेवा बेचनेवालों से कहां गया तुम मुसलमान हो, तुमसे यहां वायरस फैल सकता हैं। तुम यहां ठेला नही लगा सकते, वरना तुम हिन्दुओ को वायरस दे दोंगें।
दूसरा वाकिया शास्त्री नगर का जिसमें एक ठेले पर कुर्सीओं पर बैठकर गरीब लोग खाते हैं, उसे पूछा गया कि तू कौन है? मुसलमान है? मुल्ला है! तो यहां मत आ।
फिर तीसरा वाकिया जो मुहंमद दिलशाद के साथ हुआ। वह हिमाचल प्रदेश के मरासी समुदाय से ताल्लुक रखता था। 37 साल का लड़का है। गुनाह क्या है इसका? वह इज्तेमा में जाकर आया, क्वॉरंटाइन में रहा।
उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई। यह मरासिक बिरादरी वाले शादी में बैंड बाजा बजाते हैं। उसके गांव में सब जानते हैं उसे। पर गांव वालों ने इतना तंग किया कि उसने खुदकुशी कर ली। यही चाह रहे हैं आप लोग? इस तरह कि हरकत कर के खुश हो रहे हैं।
राजस्थान का इरफान खान नाम का एक शख्स हैं। 34 साल उसकी उमर हैं। अपनी बीवी को डिलीवरी के लिए भरतपुर के अस्पताल में लेकर जाता है। उसकी बीवी लेबर रूम में चली जाती है।
वहां पूछा जाता है कि तुम मुसलमान हो! तो कहता है कि हां मैं मुसलमान हूं। तो डॉक्टर्स आपस में मशवरा कर के कहते हैं कि इनको निपटाओं मुसलमानों की डिलीवरी यह नहीं हो सकती। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट है इरफान खान की पत्नी जो प्रेग्नेंट है उसे एंबुलेंस में डालकर कहते हैं, जयपुर को लेकर जाओ। एंबुलेंस में बच्चा पैदा होता है और वह मर जाता है। बताइए क्या हो रहा है हमारे मुल्क में?
22 साल का महबूब अली को दिल्ली के बवाना में इसलिए मारा पीटा गया कि वह भोपाल से तबलीग जमात के इज्तेमा से लौट रहा था। वह अस्पताल में अभी भी अपनी जिन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है। गुड़गांव में एक मुस्लिम फैमिली को इटों से मारा गया। क्योंकि वह लोग पीएम के ‘दिया जलाओ’ अभियान का वीडियो बना रहे थे।
गुड़गांव के धनकोट विलेज में किसी ने आकर मस्जिद के सामने फायरिंग कर दी। और जब उससे पूछा गया कि तुमने फायरिंग क्यों की? तो उसने कहा, मैं चेक कर रहा था कि मस्जिद के अंदर जो बैठा है उसे वायरस हुआ है या नहीं।
कर्नाटक के बेंगलोर में में एक सामजिक कार्यकर्ता झरीन ताज, जो गरीबों को खाना दे रही थी, उसपर किसी ने हमला कर दिया। उनसे कहां गया कि हिन्दू एरिया में तुम क्यों आये?
मेरे दोस्तों, भूख, गरीबी, वायरस मजहब को नही देखती। अगर कोई हिन्दू मुसलमान को जाकर और कोई मुसलमान हिन्दू को जाकर खाना खिलाता हैं तो कौनसा गुनाह किया उसने?
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हरयाणा के एक गांवे मे एक मुस्लिम फॅमिली को उनके पडोसी सिर्फ इसलिए मारा कि उसने दिया नही जलाया था, उन लोगों का सर फोड दिया गया।
पंजाब के होशियारपुर जिले में दूध बेचने वालों को मारा और पीटा गया। गुज्जर समुदाय से था वह, उसे दूध बेचने से रोका गया। वैसे ही कर्नाटक के बागलकोट में एक मुसलमान को जो मछली पकडने के लिए कृष्णा नदी में गया था, उसे मारा-पिटा गया।
उसी बागलकोट जिले में मस्जिद में लोगों को घुसकर मारा पीटा जाता है। बेलगावी जिले में नौ मिनट के लाइट बंद करने के इव्हेंट मे हिस्सा नही लिया तो, उसको मारा गया। पुणे में पोल्ट्री फॉर्म के मुस्लिम ड्राइवरों को काम करने से रोका जा रहा हैं, कहां गया कि आप से वायरस फैल सकता हैं।
कोई यह नही कहता कि वायरस कैसे फैल रहा हैं, कहां से आ रहा हैं वायरस! बताओ वायरस का कोई मजहब है क्या?
मार्च के 13 तारीख को हमारे होम मिनिस्ट्री ने बयान दिया कि कोराना वायरस से कोई पॅनीक होने कि जरुरत नही हैं। उसी दिन दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविंद केजरीवाल ने बयान दिया कि पब्लिक गैदरिंग पर बैन हैं पर धार्मिक कार्यक्रमों पर कोई बंदी नही होंगी।
इसलीए दिल्ली के कालकाजी मंदिर में 21 मार्च तक धार्मिक कार्यक्रम चलते रहे। तिरुपति में 16 मार्च तक कार्यक्रम चल रहे। जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर में 18 मार्च तक बंद नही किया गया। वहां भी 400 लोग फंसे थें। वहां पर वह फंसे हुए थें अगर कोई मस्जिद में फंसा हुआ है वह छिपे हैं, यह कैसा इन्साफ है।
फिर 23 मार्च को शिवराज चौहान ने चीफ मिनिस्टर की शपथ ली। हजारों लोग वहां पर आये। उसपर टीवी पर उसकी कोई बात नहीं होंगी। इसके बाद दिल्ली पर हजारों लोग रास्तों पर निकल आए। वह लोग गरीब और कमजोर मजदूर थे, जो भूख और फांके से मर रहे थे, रास्ते पर निकल कर आए और उसे तो किसी ने मजहब से नही जोडा।
22 मार्च को ‘थाली इव्हेंट’ किया गया। लोग रोड पर उतरकर नाच रहे थे, उस पर कोई बात नहीं करेंगे आप! 11 और 13 मार्च को ‘होला मोहल्ला’ फेस्टिवल हुई। उनकी वजह से हजारों लोग क्वारंटाईन हो गए, उस पर कोई बात नही होती। बॉलीवूड सिंगर कनिका कपूर लखनऊ में बडी पार्टी में गई। वहां बीजेपी के एक सांसद मौजूद थें। वहां से प्रेसिडेंट ऑफ इंडिय़ा के नाश्ते के दावत में वह पहुँच जाते हैं। ऐसी कितनी मिसाले हैं, जिसपर कोई बात नही हुई सिर्फ तलबीग के पिछे पड गए।
1 जनवरी से 15 मार्च तक हमारे देश में 15 लाख विदेशी लोग आये। 3 मार्च से उनकी स्क्रीनिंग चलती रही। फिर भी इतने लोग कोरोना पॉजीटीव कैसे हुए? क्यों उसपर कोई बात नही होती?
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सरकार कि असफता
16 मार्च को हेल्थ मिनिस्टर ने एडवाइजरी जारी कर कहा गया कि 14 दिन के लिए कम्पलसरी क्वारंटाईन होगा, उन लोगों के लिए जो कतर, यूएई, ओमान, कुवैत से आ रहे हैं। यूरोपियन कंट्री 18 मार्च से शुरू हुआ। उसके बाद मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि 6 लाख लोगों को सेंटर में रखा गया हैं। अगर छह लाख लोगों को एक साथ रखा जाता हैं, तो कहां गया सोशल डिस्टन्सिंग?
यह एक साजिशन तरीके से नफरत फैलाने कि कोशिश कि जा रही हैं। मैं हमारे मुल्क के वजीर ए आजम से कहना चाह रहा हूँ आप उनको रोकीए। आप अपनी खोमोशी को तोडीए, इन तोकतो को आप रोकीए। यह तमाम के तमाम लोग वही है, जिनका अगर कनेक्शन निकाले तो यह आपके आयडॉलॉजी और आपके तंजीमों स जाकर मिलता हैं।
आप मेरी भी प्राइम मिनिस्टर है। मैं आपका मुखालिफ हूं और रहूंगा। मगर इसका हरगीज यह मतलब नहीं है कि वजीरे आजम खामोश बैठे रहे। आज आप की हुकूमत एक नोटिस जारी कर बयान जारी करती हैं। मगर इतने दिनों में इतनी नफरत फैला दी गई।
मारा और पीटा जा रहा था। बोर्ड लगा दिये जा रहे थे कि यहां पर मुसलमानों का आना मना है। इस मुल्क में अगर इस वायरस को खत्म करना है मीटिंग से अपील करता हूं हम सब एक होकर इसमें का सामना करना है। दुनिया में सब एक हो रहे हैं और यहां पर ऐसे लोग हैं जो नफरत मत फैला रहे हैं।
वायरस किसी मजहब को नहीं देखता। ‘कोरोना जिहाद’ क्या होता है? कोरोना को जिहाद के साथ जोड़ रहे हैं। ट्विटर पर ट्रेंड करा दिये उसको। जो लोगो इस तरह का काम कर रहे हैं आप मुल्क के लिए कोई काम नहीं कर रहे हैं। आप मुल्क को मजबूत करने का काम नहीं कर रहे हैं। यह गलत हो रहा है।
जाते जाते :
* मीडिया के बिगड़ने में बहुसंख्यकवादी राजनीति का रोल
* मीडिया, समाज को बांटकर बना रहा है हिंसक
AIMIM के यह सांसद किसी परिचय के मोहताज नही हैं। स्पष्टवक्ता और तेजतर्रार भाषणो के लिए वह दुनियाभर में जाने जातें हैं। (यहां उनकी संवैधानिक तकरीरे ट्रान्सस्क्रिप्ट की जाती हैं। उनकी भूमिका से संपादक सहमत हो जरुरी नही।)