दिल्ली के दंगो पर सांसद असदुद्दीन ओवेसी (Asduddin Owaisi) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय कि गुहार की हैं। ओवेसी ने हैदराबाद के इस भाषण में दिल्ली पुलिस पर कार्यवाही करने कि मांग की हैं। उनके पार्टी कि ओर से दिल्ली दंगों मे जो लोग मार गए हैं, उनके परिजनों के लिए मदद कि पेशकश की हैं।
साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री को अपनी संविधानिक जिम्मेदारी याद दिलाई और कहां कि आपको देश को विश्वास दिलाना होंगा कि आप सबके साथ इन्साफ करेंगे। इस भाषण के दो भाग हमने बीते दिनों में दिए थें। पेश हैं आज उसका तिसरा औऱ अंतिम भाग..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या आप जुबेर को जानते हैं? एक वीडियो में जुबेर सजदे में पड़ा हुआ हैं, उसके चारों ओर तमाम शैतान जमा होकर उसे लठ और तलवार से मार रहे हैं। जुबेर की गलती यह थी कि वह इज्तेमा से वापस आ रहा था।
इज्तेमा में दुआ की गई थी, उसका यकीन था कि दुआ हुई तो वहां से अपने खानदान के लिए कुछ फल और मीठा लेकर आऊंगा। तो जालिमों ने जो बोलते हैं देश के गद्दारों को गोली मारो; जुबेर को घेर लिया। और इतना मारा कि उसके सर पर 30 टांके हैं। प्रधानमंत्री क्या आप उस जुबेर को एक फोन कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री उस वीडिओ में फैजान नाम का लडका हैं। जो ब्लू टीशर्ट में हैं, वह मर गया। यह वीडियो हम सब ने देखा है। उसकी माँ ने कहा कि जब घर लाश लाई गई तो, उसके सर से खून बह रहा था। उसका जबडा टुटा हुआ था। प्रधानमंत्री क्या आप उन पुलिस वालों को सजा दिलाएंगे?
आपने ऐसा SIT बना दिए। मैं बता रहा हूं यह इन्साफ नहीं करेंगी। 1984 में दिल्ली में सिखों का नरसंहार किया गया। सिखों के गलों में जलते हुए और टायर डालकर उन्हें मार दिया गया। इंदिरा गांधी के हत्या के बाद दिल्ली में हजारों की तादाद में सिख मारे गए। उन्हें अब तक एसआईटी से न्याय नहीं मिला। फिर अब आप और कौन सी SIT बनाएंगे?
पहले दो भाग :
- ‘नरेंद्र मोदी, क्या आपको दिल्ली दंगों के बाद नींद आती हैं?’
- ‘सोची-समझी साजिश के साथ हुआ है दिल्ली दंगा’
क्या हमे इन्साफ मिलेंगा। क्या फैजान को न्याय मिलेंगा। उसकी माँ को न्याय मिलेंगा। इस दंगों में जितने लोग मर गए, क्या उनको इन्साफ मिलेंगा? क्या जालीम को सजा मिलेंगी और मजलूम को इन्साफ मिलेंगा? क्योंकि अब तक, साडे पाँच साल में यही नजर आया हैं कि जब से आप वजीए ए आजम बने हैं तब से भारत में, यह मुल्ले हैं, मारो मुल्लों को! कहकर मुसलमानों से सिर्फ नफरत और नफरत ही की गई हैं।
न्यूयॉर्क टाईम्स रिपोर्ट करता हैं कि दंगों मे एक मुस्लिम खानदान बच के निकल रहा था, वह अपने चेहरे पर तिलक लगाकर जा रहे थें। तब इन दंगाईयों ने कहां कि यह तो हिन्दू नजर नही आ रहे हैं। तब उन लोगो ने कहां कि अरे भाई हम हिन्दू ही हैं, तब उन्होंने कहा कि तुम्हारे छोटे बच्चे का पायजमा खोल कर दिखाओं, इत्तेफाख से उसकी खतना नही हुई थी।
उसे देख दंगाईयों न कहां अब जाओ। यह हंसनेवाली नही बल्कि सोंचनेवाली बात हैं। अब हमारी पहचान अब कपडो से नही बल्कि कपडो के अंदर से हो रही हैं। इतनी नफरत!
दंगों के बाद (29 फरवरी) दिल्ली में जुलूस निकाला गया। यह आपके चाहने वालों की तरफ से था। क्या यह जुलूस 2002 के गुजरात के गौरव यात्रा की याद नहीं दिलाता? मैं उम्मीद करता हूँ के भारत के हमारे वजीरे आजम मेरी तकरीर को जरूर सुनेंगे।
दिल्ली के हिंसा-ग्रस्त इलाकों में पुलिस की मौजूदगी के बावजूद लोग लाठी-डंडे और सरिए लेकर घूम रहे हैं, बता रहे हैं बीबीसी संवाददाता विनायक गायकवाड़
वीडियो – नेहा शर्मा#DelhiViolence pic.twitter.com/pH4SufCdvT— BBC News Hindi (@BBCHindi) February 25, 2020
विचारों को कैसे मार पाओंगे?
मुझ पर केस बुक करना है तो कर लो। जेल में डालना है तो डाल दो। आप गोली मारना है तो मार दो। क्योंकि आपके चाहने वालों की नजर में मैं गद्दार हूँ। अगर देश के वजीरे आजम से सवाल करना, उनको आइना दिखाना, उनके गलतियों को बताना, उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी को याद दिलाना, वजीर ए आजम शब्दकोश हो गए हैं, उसे याद दिलाना; अगर गद्दारी है, तो सुनो, नारे लगाने वालों मैं यह गद्दारी करता रहूंगा।
तुम मुझे इस तरह से खत्म नहीं कर पाओंगे। गोली मारना पड़ेगा। मगर गोली से जिस्मानी मौत होंगी। मगर मेरे विचारों की मौत नहीं होंगे जो मैं लोगों को देकर जाऊंगा।
Delhi Police has asserted that the law-and-order situation in the national capital is normal now and said it has registered 712 FIRs and arrested over 200 accused in connection with last months riots in Northeast Delhi. #DelhiRiots https://t.co/wZuxSCi2Jc
— Outlook Magazine (@Outlookindia) March 12, 2020
वजीर ए आजम क्या इतवार के दिन ‘मन की बात’ में हमारी तकलीफ को बयां करेंगे मैं और हमारी पार्टी ‘ऑल इंडिया मलजिस ए इत्तेहादूल मुस्लिमीन’ यह कहती है कि दिल्ली का फसाद, दिल्ली का प्रोग्रम एक षडयंत्र था। और उसे साजिश के तहत निभाया गया। नफरत का पूरा माहौल पैदा किया गया, जिसमे सबसे ज्यादा गरीब मारे गए। और चार मस्जिदे शहीद हो गई।
दरगाह में एक छोटे बच्चों का वीडियो है, उसमे बच्चे से कहा जा रहा है कि जा कर फेंक दे.. फेंक दे..। उस बच्चे को मुसलमानों ने पकड़ लिया, उसको मारा नहीं। उसे बोला बेटा तूने गलत काम किया जो तुझे नहीं करना चाहिए था।
इज्जत के साथ उसे पुलिस के हवाले किया गया। प्रधानमंत्री आपको जानकारी हैरत होंगी कि एक बच्चा जो है फेसबुक लाइव कर रहा था। उसको पकड़ा गया तो मुसलमानों ने कहा कि मारेंगे नहीं। एक और बच्चे को पकड़ा जो शायद यूपी से आया था।
दिल्ली दंगों का चेहरा बन चुके मोहम्मद ज़ुबैर के साथ क्या-क्या हुआ?
(वीडियोः देबलिन रॉय)#DelhiViolence pic.twitter.com/LtZp80uUVO— BBC News Hindi (@BBCHindi) February 29, 2020
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सांप्रदायिक होती पुलिस
प्रधानमंत्री आपकी पुलिस कैसी है? अजीब पुलिस है दिल्ली की! मुसलमानों के लेकर पुलिस के दिलों में इतनी नफरत क्यों पैदा हुई? मदद के लिए जब एक मुसलमान 100 डायल करता है, तो पुलिस कहती है, “भूगतो मुल्लों..!” प्रधानमंत्री क्या यह पुलिस हैं?
दिल्ली के पड़ोस में गाजियाबाद के आईपीएस ऑफिसर हैं, जबकि वह इलाका उसके न्यायक्षेत्र मे नही आता था। मगर जब उसने देखा घर जल रहे हैं। गोलियां चल रही है। तो उसने वहां आकर अपनी इन्सानी जिम्मेदारी को निभाया। हम उसे सलाम करते हैं।
मगर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से कहते हैं, वो कमिश्नर जो अब हट चुके हैं “क्या आप को इन चेहरों को देखकर कभी जिंदगी भर नींद आएगी? इस बरबादी को देखकर आप को सुकून मिलेगा? इन जलते हुए घरों को देखकर तुमको अपने घर में सुकून नसीब होगा?” हाँ, अगर तुम इन्सान हो तो, तुमको कभी यह चैन सुकून नसीब नहीं होंगा। जिसके दिल में धड़कता दिल होंगा, जिसको इन्सानियत से मोहब्बत होगी, वह बराबर इन्साफ करेगा।
जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तब उन्हें दिल्ली के एक मुसलमान ने फोन किया और कहां, कुछ लोग मेरी दुकान जलाने आ रहे हैं। तब नेहरू ने कहा कि तू वहीं रुक, मैं 10 मिनट में आ रहा हूँ। नेहरू नें अपने साथ पुलिस को लेकर वहां आए। ऐसे होते हैं देश के प्रधानमंत्री! नरेंद्र मोदी आप जरा नेहरू से कुछ तो सीख लीजिए! मुझे मालूम है कि आप को नेहरू पसंद नहीं है, मगर कुछ तो…।
मरे दोस्तो मेंने मुख्तसर समय में दिल्ली के बरबादियों को बयान किया हैं। इन्शाअल्लाह हम अपनी तरफ से मैं, इम्तियाज जलील और हमारे तमाम विधानसभा सदस्य और मजलिस के पुरे अराकिने बलदिया अपनी एक महिने कि तनखा दिल्ली के फसाद में मरने वालों के लिए देंगे।
दिल्ली जो गैरसरकारी संस्थाए है मैं उनसे भी बात कर रहा हूँ कि हम अपनी क्या मदद कर सकते हैं। वैसे तो हम कुछ नही कर सकते। कम से कम हम उन बहते हुए आँसुओ को तो पोंछ सकते हैं। अगर भारत को जिन्दा रखना हैं तो इन्सानियत को बचाना होंगा।
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इन्साफ तो होना चाहीए
सुनो प्रधानमंत्री, सुनो पुलिसवालों, सिक्युरिटी एक्सपर्ट, सुनो! जब जुबेर को मारने कि तसवीर आसयिस ने अपने मैगझीन ‘विलायतल हिन्द’ पर लगा दी और कुरआन कि एक आयात उसपर छाप दी; आयसिस को यह मौका तूम दे रहे हों। तूम दूश्मन हो। आयसिस ने जुबेर के तसवीर को लगाकर अपनी फोटो छाप दी तो क्या करोंगे?
प्रधानमंत्री 2024 से पहले आपको इस देश को विश्वास दिलाना होंगा कि इन तमाम जालिमो को जेल में डाला जायेंगा, जिन्होने अंकित को मारा। जिन पुलिसवालों ने सलमान को मारा उन्हे जेल में डालो, पहले आप उन्हे सस्पेंड करो। जिन्होंने गरिबो मारा, उनके घरो को जला दिए उनको जेल में डालों। प्रधानमंत्री यह आपकी जिम्मेदारी हैं।
मुझे नही मालूम कि आप करेंगे या नही! पर हम अपनी बात आपके सामने रखेंगे। क्योंकि मैं आपका महकूम नही हूँ। मेरी जबान आपकी गुलाम नही हैं। मैं आपसे डरनेवाला नही हूँ। क्योंकि भारत का संविधान मुझे इसकी इजाजत देता हैं कि वक्त के वजीर ए आजम के सामने मैं अपनी बात को रख सकूँ। मैं आपके सामने भीख नही मांग रहा हूँ।
मैं डर कर इस वाकयात को बयान नही कर रहा हूँ। वजीर ए आजम मैं बहैसियत भारत एक शहरी होने के नाते आपसे कह रहा हूँ के क्या आप जालिम का साथ देंगे, या मजलूम का साथ दोंगे? क्या आप उन गरिबो के साथ इन्साफ करेंगे या नही, मरनेवाला चाहे हिन्दू हो या मुसलमान! इन्साफ तो होना चाहीए। इन्साफ तो होना चाहीए।
*असदुद्दीन ओवेसी के पुरे भाषण का वीडिओ आप यहां देख सकते हैं।
जाते जाते :
* दिल्ली में दंगे कराने यूपी से आए 300 लोग कौन थें?
* दलित समुदाय दिल्ली दंगों में मोहरा क्यों बना?
AIMIM के यह सांसद किसी परिचय के मोहताज नही हैं। स्पष्टवक्ता और तेजतर्रार भाषणो के लिए वह दुनियाभर में जाने जातें हैं। (यहां उनकी संवैधानिक तकरीरे ट्रान्सस्क्रिप्ट की जाती हैं। उनकी भूमिका से संपादक सहमत हो जरुरी नही।)