राज्यसभा से :
माननीय राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव देने मैं खडा हूँ। सत्ताधारी पार्टी कि ओर से भूपेंद्र यादव और सुधांशू त्रिवेदीजी ने बोला। त्रिवेदी ने कहा कि हमारी सरकार की सबसे बड़ी बात यह है की हम जो कहते हैं उसे कर के दिखाते हैं। इस पर मेरा एक शेर हैं जो उन करोड़ों लोगों के लिए है। जिनसे पिछले 6 साल पहले वादे किए गए थे। 15 लाख रुपए देने का वादा किया था।
10 करोड लड़के और लड़कियो को नौकरी देने का वादा किया था। मजदूरों के साथ वादा किया गया था। किसानों के साथ दुगुनी आमदनी का वादा किया था। करोड़ों लोगों के साथ वादा किया गया था कि महंगाई खत्म की जायेगी, बेरोजगारी खत्म की जायेगी। अमन और शांति होंगी और सबका साथ सबका विकास होंगा। उन करोड़ों लोगों के तरफ से मैं यह (गालिब का शेर) कहना चाहता हूं।
“तेरे वादे पे जिए हम तो यह जान झूठ जाना
खुशी से मर न जाते अगर एतबार होता।”
इसका अर्थ यह होता है कि, अगर मैं तेरे वादे पर जी लूंगा और मैं कहूंगा कि मैं मान गया, तो यह समझ लेना कि मैं बिल्कुल झूठ कह रहा हूं। क्योंकि मुझे एतबार ही नहीं है कि अब आप कभी सच बोल ही नहीं सकते। अगर आप सच बोलते तो मैं खुशी से मर जाता।
मैं यह नहीं कहता कि आप जो कहते हैं, वह करते नहीं। पर आप काम करते वह सिलेक्टिव होते हैं। जिनका आप ने (त्रिवेदी) उल्लेख किया। आप ने ट्रिपल तलाक से चर्चा की। आप ने आर्टिकल 370 कि बात की।
आप ने नागरिकता कानून की बात की। यह तमाम चीजें उनसे ध्यान हटाने के लिए आप कर रहे हैं कि ताकि जनता से जो आप ने वादे किए हैं वह आपको कोई याद ना दिलाएं। आपको कोई 15 लाख याद ना दिलाएं, 10 करोड़ नौकरियां याद ना दिलाएं, किसानों के साथ किए वादे याद ना दिलाएं। महंगाई खत्म करने के वादे याद ना दिलाएं। काला धन लाने की बात जो आपने कही थी उसे याद ना दिलाएं।
रुपए के गिरते स्तर पर आपने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा था की, रुपए के कीमत का विकार पहले खत्म होगा के सरकार का, इसके बीच में होड़ लगी है। आज किसके बीच में होड लगी है? यह कोई याद ना दिलाए इसलिए यह तमाम चीजें की जा रही है।
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खिलौने दे के बहलाया गया हूं
अगर आप कंस्ट्रक्टिव चीजें लाते तो हम आप को झुक के सलाम करते। लेकिन आप डिस्ट्रक्टिव चीजें लाते हैं। आप तोड़ने की चीजें लाते हैं। आप देश को जोड़ने का काम नहीं करते, उसे तोड़ने का काम करते हैं। यह तोड़ने का काम 24 घंटे होता है। शाहीन बाग वगैरा यह क्या है? यह तो आपकी क्रिएशन है। आप ऐसे काम करोगे तो पूरे देश भर में शाहिनबाग हो ही जाएंगे। जामिया मिलिया हो गया। बुर्के पहनकर जेएनयू में जाओगे तो यह काम होगा ही।
इस सरकार कि मुसीबत यह है कि वह सरकार भी चलाना चाहती हैं और विपक्ष का रोल भी करना चाहती हैं। दूसरे लोग जो सड़क पर रात दिन काम करते हैं वह काम भी खुद करना चाहते है। कितने काम कर सकोगे आप? कोई एक काम तो आप रिस्पांसिबिलिटी से करें। सरकार चलाने का काम लीजिए। या फिर विपक्ष का काम कीजिए। तोड़ने का काम चला लीजिए।
सच बोलने का। या पार्लिमेंट में सच के उलट जो बोलते है, वह भी आप ही के ठेके है; वह काम चला लीजिए। अफवाह फैलाने का काम भी आप के ठेके है।
गलत कानून बनाना, उसके बारे में किसी से नहीं पूछना, विपक्ष से नहीं पूछना। लोकतंत्र का खत्म करना, वह भी आप कीजिए। इंस्टिट्यूशन को खत्म करना है वह भी आप ले ले। तो कितने काम आप हाथ में लेंगे। इतना काम लेंगे तो यही हाल देश का होगा शाहीन बाग बनेंगे।
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आर्थिक विकास कहां हैं?
माननीय राष्ट्रपति के भाषण में हमें जो उम्मीद थी वह यह थी कि ब्लैक मनी के बारे में कुछ चर्चा हो। उन जॉब्स के बारे में कुछ चर्चा हो। जीडीपी कहां पहुंच गई? इंडस्ट्रियल ग्रोथ कहां पहुंच गया? एग्रीकल्चरल ग्रोथ कहां पहुंच गया? इसके बारे में कोई चर्चा नही हुई। महंगाई तो आसमान को छू रही है।
आते ही सरकार ने डीजल और पेट्रोल के दामो बढोत्तरी की। लेकिन इन्फ्लेशन कितना हुआ? पिछले दिसंबर में उसने तो रिकॉर्ड तोड़ दिया। सब्जियां, प्याज, दालें, केरोसिन ऑईल, मेडिकल इक्विपमेंट बजट में बढ़ा दिए गए। सोना, सिल्वर, फुटवेयर, इलेक्ट्रॉनिक आईटम, एसी, टीवी, रेफ्रिजरेटर, पंखे, स्टेनलेस स्टील, टॉयलेट्स आईटम, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, टायर, फुड प्रोसेसिंग आईटम; अब महंगी होने कि कौन सी चीज रही।और ईगो तो आसमान को छू गया।
किसी एक चीज में भी महंगाई कम नही हुई। बल्कि वह तो आसमान को छू रही हैं। उसके बाद भी कह रहे हैं कि बहुत बढ़िया सरकार चल रही है। मुझे खतरा लग रहा था कि सेंट्रल हॉल में कही डेक्स ना टूट जाए। एक एक चीज खत्म होती जा रही थी और बेंच उतने ही जोर से बजाए जा रहे थे। स्मार्ट सिटीज पहली ही दफा में खत्म हो गया।
लेकिन माननीय फाइनेंस मिनिस्टर ने (बजेट में) डाल दिए। जब के 6 साल में जो स्मार्ट सिटीज हैं उसमें सिर्फ 11 प्रतिशत रुपया खर्च हुआ और 5 स्मार्ट सिटीज और बन रहे हैं। यह उल्लेख करना जरुरी हैं कि जो तमाम चीजें हो रही है उससे गुमराह किया जा रहा हैं।
“तमन्नाओं में उलझाया गया हूं
खिलौने दे के बहलाया गया हूं
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बयानबाजी की जंग
डिफेन्स एक सबसे बड़ा मुद्दा हैं। जब 2014 में आप की सरकार आई। तब कौन सी ऐसी पब्लिक मीटिंग नही होंगी जिसमें माननीय प्रधानमंत्री ने डिफेन्स के बारे में चर्चा नहीं की। आज उस रक्षा विभाग की हालत क्या हुई है? सीएजी (CAG) की रिपोर्ट देख लीजिए। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी है। सियाचिन में लोग (सैनिक) है, जो लद्दाख में लोग हैं, बाकी जगह भी हैं।
उनके पास मूलभूत चीजें नहीं है। मैं उन चीजों का ज्यादा उल्लेख नहीं करना चाहता। उन तमाम चीजों का उल्लेख यहां नहीं करना चाहूंगा जिसका सीएजी ने किया है। मैं कहता तो मुझे पाकिस्तानी कहते पर आप सीएजी को नहीं कह पाएंगे।
सीएजी ने तमाम बाते कही है की डिफेन्स में इक्विपमेंट की हालत क्या है? बाकी चीजों की हालत क्या है? आज कहां गया डिफेन्स का जज्बा? आप जीत गए, डिफेन्स के नाम पर सरकारे बन गई। आज मॉडर्नायझेन ऑफ डिफेन्स भूल गए। डिफेन्स फोर्सेस भूल गए। उनके कपड़े भूल गए। उनका खाना भूल गया। उनका इक्विपमेंट भूल गए। उनका मॉडर्नायझेन भूल गए।
वोट लेने के लिए आज 24 घंटे पड़ोसी दुश्मन मुल्कों का नाम लेते हैं। आप के भाषणों से दुश्मन कंट्री का कुछ नहीं होगा। वह तो फौज के सशक्तिकरण से होगा। वह मॉडर्नायझेन से होगा। गालियां देने से वोट आयेंगे लेकिन गालियों से जंगे जीती नही जाती। इसलिए डिफेन्स फोर्सेस का और उनके इक्विपमेंट का मॉडर्नाइजेशन करिए। गालियां देने से कुछ नहीं होगा।
मैं यह नहीं कहता कि गालियां मत दो। लेकिन वह सिर्फ आप वोट लेने के लिए करते हैं। अगर मन से करना होता तो उनके लिए फौज हैं और उनके लिए खाना है। उनके लिए आधुनिक हथियार की जरूरत है।
उसके लिए डिफेन्स बजट की जरूरत है। जिसमे सरकार की कोई रुचि नहीं है। कई अखबारों ने लिखा है, कई राइटर्स ने लिखा है कि बजट में डिफेन्स नें दूसरा स्थान ले लिया हैं। आप अलग मंत्रालय बनाओ। या अलग डिपार्टमेंट बनाओ। या तीनों सेनाओं का अलग चिफ बनाओ; उससे लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती।
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बेरोजगारी का अंधेरा
यह तो देश का मुद्दा है। इस मामले में चारो ओर अंधेरा छाया हुआ है। आपको मालूम है करोड़ों लोग अपने बच्चों को अपनी जमीन बेचकर, अपनी जायदाद बेचकर, अपने घर गिरवी रख कर, सड़कों पर मजदूरी करके अपने बच्चों को पढ़ाते हैं। और आज वह बच्चे डिग्रियां हासिल करके उनके सामने अंधेरा छाया है।
उसके लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। होगा भी कैसे? 10 करोड नौकरी तो आप देने में असफल हुए। बगैर सोचे समझे आप ने नोटबंदी लाया। जिसके वजह से लाखों उद्योग बंद हो गए। लाखों मजदूर भी घर पहुंचे। उनमें से हजारों व्हाइट कॉलर लोग थी थे वह भी घर पहुंच गए।
जीएसटी जिसका पहले तो आप के सरकार ने और नेताओं ने विरोध किया था। बाद में सरकार आते ही उसे आपने लाया। लेकिन लाना आपको आया नहीं। आपने नोटबंदी के नियमों में डेढ़ सौ दफा तब्दीली की। शायद सौ दफा जीएसटी के नियमों में भी बदलाव किया। उसकी वजह से कितने उद्योग बंद हो गए। उसके लिए आप इकरार करने के लिए तैयार नहीं है।
आप अपनी गलती मानने के लिए भी तैयार नहीं है कि हमसे इतनी बड़ी गलती हो गई। लोगों से क्षमा चाहते हैं, के हम ने बगैर सोचे समझे नोटबंदी विदाउट एप्लीकेशन ऑफ माइंड यह चीजें की है और जिसकी वजह से आधा देश बेकार कर दिया हमने। आप यह भी करते नहीं हैं।
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