सांंप्रदायिकता का भूत हम सबको निगल जायेंगा

दिल्ली दंगों को लेकर लोकसभा में 11 मार्च 2020 को चर्चा हुई, जिसमें AIMIM के सांसद श्री. असदुद्दीन औवैसी नें भाग लिया। उन्होंने केंद्र सरकार पर दंगाईयो को छुट देने का आरोप लगाया। श्री. ओवेसी नें सरकार अपनी संवैधानिक कर्तव्यों में कसूर करने का आरोप लगाया। उनकी यह चर्चा हम ‘LSTV’ के सौजन्य से आपके लिए शब्दों में दे रहे हैं। – संपादक

माननीय, सभापति महोदय, चर्चा में भाग लेने की इजाजत देने के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ। महोदय, शुरुआत में मैं यह कहना चाहूंगा कि माननीय प्रधान मंत्री जनाब मोदी को दो प्रोग्राम्स की अध्यक्षता करने का यह बड़ा गौरव प्राप्त है।

और यह (दिल्ली दंगा) दूसरा है, इसमें वे जानबूझकर, प्रत्येक भारतीय, विशेष रूप से भारतीय मुसलमानों के जिन्दगी, शरीर और प्रॉपर्टी को बचाने के अपने संवैधानिक जिम्मेदारीओं का निर्वहन करने में विफल रहे हैं।

महोदय, जब माननीय प्रधानमंत्री जनाब मोदी श्री. डोनाल्ड ट्रम्प की मेजबानी कर रहे थे, तो तब नौसेना एक बैंड सेरेमनीकर रहा था। नेवी क्या बैंड बजा रहा था, “क्या आप आज रात प्यार महसूस कर सकते हैं?” (Can you feel the love tonight?) जब भारतीयों को कसाई तरह मारा जा रहा था और उनके लाशों को एक नाले में फेंक दिया गया था, तो नेवी बैंड पर क्या आप आज रात प्यार महसूस कर सकते हैंधुन बजा रहे थें।

मुझे नहीं मालूम कि जनाब प्रधान मंत्री का प्यार किसके लिए था! महोदय, तीसरी बात जो मैंने अभी पूरी बहस में सुनी, वह यह थी कि दंगों के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है। महोदय, मैं आपके माध्यम से यह बात कहना चाहता हूँ कि गृह मंत्री और प्रधान मंत्री, गृह मंत्रालय के व्यवसायिक नियम 1961 (Allocation of Business Rules) की दूसरी अनुसूची क्या है?

यह दिल्ली के एनसीटी, आंतरिक सुरक्षा, आईबी, सीआरपीएफ, प्रतिबंधात्मक नजरबंदी, अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर समूहों के खिलाफ आपराधिक कृत्यों में पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखना।

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बरबादी और नरसंहार में पुलिस

सरकार कहती है कि हमारे पास पर्याप्त बल नहीं थें। दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 की धारा 39 क्या कहती है? वह यह कि एलजी (LG) के पास सेना को बुलाने के लिए पर्याप्त शक्तियां हैं।

कई जांच आयोगों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि कोई सांप्रदायिक नरसंहार 24 घंटे से अधिक समय तक जारी रहता है, तो यह एक पूर्व नियोजित प्रोग्रम हैं। जिसमें यंत्रणा (State) न केवल भीड़ को उकसाती है बल्कि जिसमें पुलिस भी बरबादी और नरसंहार में मुख्य भूमिका निभाती हैं। इसे सांप्रदायिक दंगा कहना मजाक होंगा, यह एक सुनियोजित प्रोग्रमहै और इसे केवल उसी तरह से संबोधित किया जाना चाहिए।

कहां हैं मेरा सम्मान?

महोदय, भारत का संविधान अपनी प्रस्तावना में भाईचारे की बात करता है। उसका स्पष्ट रूप से कहना है कि इस भाईचारे से व्यक्तिगत सम्मान को आश्वस्त करना चाहिए। मेरा सम्मान क्या है?

मैं आपसे यह जानना चाहता हूँँ, कि क्या आपके चेहरे पर कोई पछतावा है? क्या आपको अपनी नाक के नीचे होने वाले बुरे कामों को लेकर कोई शर्मिंदगी है? नहीं, आपको कोई शर्मिंदगी नहीं है। आप उन लाशों पर गर्व करते हैं जो अब भी दिल्ली के नालों में पड़ी हैं।

संविधान बंधुभाव के बारे में बात करता है और यह कहता है कि इस बंधुभाव से व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और इज्जत को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जब मेरी 19 मस्जिदें नष्ट हो गईं या क्षतिग्रस्त हो गईं; तो क्या यहीं मेरी सम्मान हैं? 4 सिलेंडर एक मस्जिद के अंदर डाल दिए गए और मस्जिद को जला दिया गया? जब मैं अपनी मस्जिद पर भगवा झंडा लगा देखता हूँ तो मेरी गरिमा क्या होती है?

मेरी क्या सम्मान है जब फैजान नामक एक लड़के की गोली मारकर हत्या कर दी गई और उसे जन गण मन को गाने के लिए मजबूर किया गया?

अगर 85 साल की अकबरी बेगम को जिन्दा जला दिया गया क्या यहीं मेरा सम्मान हैं? हजारों मुस्लिम घरों को जला दिया गया है क्या यहीं हैं मेरी सम्मान? जब बच्चे अनाथ हो गए हैं तो क्या यहीं मेरा सम्मान हैं? कहां हे मेरी प्रतिष्ठा?

कृपया मुझे दिखाओ कि कहाँ है सम्मान? क्या आप में कोई इन्सानियत बची है? खुदा की खातिर, अपनी इन्सानियत दिखाओ! यह हिन्दू या मुसलमान का सवाल नहीं है, यह सवाल है कि क्या आप अपने संवैधानिक कर्तव्यों का ऊपर उठकर निबाह करेंगे?

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भगवान किस कहते हैं?

महोदय, प्रधान मंत्री ने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया? प्रधानमंत्री, वास्तव में मैं रोया, जब एक महिला ने आपको भगवान का अवतारकहा था। यह कैसा भगवान है मेरा, जिसका दिल कभी नहीं धड़कता, जिसकी आंखें कभी नहीं रोतीं कि दिल्ली में क्या हुआ हैं।

उसे भगवान नहीं कहा जा सकता; उन्हें प्रधान मंत्री भी नहीं कहा जा सकता है। इस सरकार को जाना (इस्तिफा देना) चाहीए। मैं भारत के लोगों से, विशेषकर मेरे हिन्दू भाइयों से अपील करता हूँ कि इस देश की आत्मा को बचाए रखें। अब आपकी यह जिम्मेदारी है, आप इस देश की आत्मा को बचाएं।

महोदय, मैं आपको पुलिस के वीडियो के बारे में भी बताना चाहूंगा। सरकार ने आधिकारिक तौर पर यह घोषणा भी क्यों नहीं की कि 54, 59 या 60 लोगों की मौत हो चुकी है? माननीय गृह मंत्री ने कहा कि इतने सारे लड़कों को गिरफ्तार किया गया है?

पुलिस किसके साथ थीं?

महोदय, क्या आप जानते हैं, मैं जिम्मेदारी के साथ कहता हूँ कि करीबन 1100 मुसलमान अवैध रूप से हिरासत में लिए गए हैं। पुलिस रिश्वत को दी जा रही है। पुलिस रिश्वत ले रही है। फिर कहां है जांच?

अंकित की हत्या, फैजान की हत्या, किसी के भी हत्या की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अंकित की जिन्दगी और फैजान की जिन्दगी से ज्यादा मुआवजा नहीं हो सकता। यह दोनों भारतीय हैं, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि एक मुस्लिम था और दूसरा मुसलमान नहीं था और इसलिए हम सरकार की तरफ से देखते हैं कि उन्होंने जानबूझकर गैरमुसलमानों ज्य़ादा मुआवजा देने कि बात की है।

महोदय, मैं आपके नजर में वह वीडिओ भी लाना चाहूँगा जिसमे कहा गया, ‘अंन्दर कि बात हैं पुलिस हमारे साथ हैंयह क्या है? क्या आप उन वीडियो को निकालेंगे और उसकी एक निष्पक्ष जांच की जाएगी?

मुझे यह भी आपके नजर में लाना चाहिए कि जुबैर की पिटाई के वीडिओ का इस्तेमाल ISIS अपनी पत्रिका के लिए कर सकता हैं। क्या आप चाहते हैं कि मुसलमानों को कट्टरपंथी बनाया जाए? आपने अपने हिन्दू समुदाय को कट्टरपंथी बना दिया है, कृपया हमें कट्टरपंथी मत बनाइए। हम ISIS में शामिल नहीं होना चाहते हैं। हम उनसे लड़ रहे हैं। हम इस संविधान को बचाने के लिए मरेंगे। हम संविधान को अपने पास रखेंगे।

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संविधान बचाने कि सजा

ऐसा क्यों है कि मुझे दण्डित किया जा रहा है क्योंकि मैं संविधान बचा रहा हूं? यही मेरा एकमात्र अपराध है। मैं संविधान बचा रहा था और मैं प्रस्तावना पढ़ रहा था, और मैं सुनिश्चित कर रहा था कि संविधान में मुझे अधिकार दिए गए हैं।

यही वह अपराध है जिसके लिए यह सरकार मुझे सजा दे रही है और इसी वजह से यह गंभीर नरसंहार हुआ है। यह एक भूत, यह फ्रेंकस्टीन (Frankenstein – कुछ ऐसा जो उस व्यक्ति या लोगों को नष्ट या परेशान करने कि लिए बनाया गया होता है) जो तुमने बनाया है, मेरा विश्वास करो, यह एक दिन सबको निगल जायेंगा। मैं इसे रिकॉर्ड पर रख रहा हूँ।

मैं सिख समुदाय को धन्यवाद देना चाहता हूँ। मैं जनाब बघेल साहब का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ जिन्होंने 70 प्रतिशत चोट का सामना किया और सात मुस्लिम लोगों की जान बचाई।

यह हिन्दुत्व के नफरत की त्सुनामी में जल रहे छोटे दीपक हैं, जिसने हमारे देश को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे हमारा देश तबाह हो जाएगा। यह सरकार ऐसा करना चाहती है। लेकिन हम खुद इसकी रक्षा करेंगे।

17 करोड़ मुसलमान अपना जीवन यापन करेंगे और यदि मुमकिन हो तो हम यहां पर अपनी कब्रों का निर्माण करेंगे लेकिन इस नरसंहार को जारी नहीं रखने देंगे।

अन्त में, मैं मांग करता हूँ कि जिस तरह गुजरात में दंगाग्रस्त क्षेत्रों मे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा था, उसी तरह दिल्ली में भी भेजा जाए। मैं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिश या हाईकोर्ट के न्यायाधीश द्वारा जांच आयोग की मांग करता हूँ ताकि वास्तविक तथ्यों (Actual facts) को जाना जा सके।

हमें SIT पर कोई भरोसा नहीं है। 1984 के दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों, नल्ली नरसंहार और गुजरात दंगों के बारे में यहां बैठे मंत्री से पूछें, जिन लोगों ने इन प्रोग्रम्स की अध्यक्षता की, उन्होंने लोगों कब्रों पर अपने राजनीतिक महल बना लिए हैं और वे राजनेता बन गए हैं। आप प्रधान मंत्री बन गए हैं। मुझे उम्मीद है, भारत के लोग आपको बहुत जल्द निकाल बाहर कर देंगे।

थँक्यू..

*यह भाषण मूल अंग्रेजी से कलीम अजीम ने अनूदित किया गया हैं, जिसे आप यहां देख सकते हैं।

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