बूढ़ापे में नहीं बल्कि जवानी में ही करें हज यात्रा

क्यूं देर कर रहा है उस दर की हाज़री में

जन्नत के दर खुले हैं उस घर की हाज़री में

पवित्र कुरआन में अल्लाह कहता है कि मैंने उस शख्स पर हज को फर्ज़ कर दिया जो वहां (मक्का) तक पहुंचने की ताकत रखता हो

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गरिबों को ‘मुफ़लिसी’ से उबारने का नाम हैं ‘ईद उल फित्र’ !

दुनिया भर के मुसलमानों के लिए ईद-उल-फ़ित्रकी बेहद अहमियत है। यह त्यौहार इस्लाम के अनुयायियों के लिए एक अलग ही ख़ुशी लेकर आता है। ईद के शाब्दिक मायने ही बहुत ख़ुशी का दिनहै।

ईद का चांद आसमां में

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क़ुरआन समझने की शर्त उसे खाली जेहन होकर पढ़े !

क़ुरआन अल्लाह की तरफ से उतारी गई एक दावती किताब है। अल्लाह तआला ने अपने एक बन्दे को सातवीं सदी ईसवीं की पहली तिहाई में एक ख़ास कौम के अंदर अपना नुमाइंदा बनाकर खड़ा किया और उसे अपने पैग़ाम की पैग़ाम्बरी (संदेशवाहन) पर मामूर

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आर्थिक न्याय के बारे में इस्लाम क्या कहता है?

न्याय इस्लाम के प्रमुख मूल्यों में से एक है औ कोई भी आर्थिक प्रणाली जो न्याय पर आधारित नहीं है वो इस्लाम के लिए काबिले कुबूल नहीं हो सकती है।

कुरआन न्याय सबकी पहुँच में हो इस पर बहुत जोर देता है और समाज

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इस्लाम के नाम पर हत्याएं आम मुसलमानों के लिए आफत

म धारणा है कि इस्लाम प्राचीन नहीं तो मध्यकालीन विश्वासों पर यकीन करने वाला पिछड़़ा धर्म है। दकियानूसी यहां तक कि अपने नजरिए में बेहद परंपरावादी है। अपने अनुयायियों को हिंसक और असहिष्णु होने के लिए प्रेरित करता है। यह भी माना जाता है

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महिला सम्मान एवं अधिकार के पैरोकार पैग़म्बर!

द उल मिलाद उन नबी त्योहार, खुदा के प्यारे रसूल हजरत पैग़म्बर मुहंमद सल्ललाहोवलैहिसल्लम की पैदाइश की याद में मनाया जाता है। यह त्योहार ईदों की ईद है। यदि ईद मिलादुन्नबी ना होती, तो ईद और ईदुल अज्हा की खुशी न मिलती।

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नेहरू ने इस्लाम के पैग़म्बर को ‘अल् अमीन’ कहा था !

नेहरु की लेखमाला :

पंडित नेहरू के दार्शनिक विचारों ने आधुनिक भारत कि नींव को अब तक मजबूती से पकडे रखा हैं। उनके लिखे कई विचार आज भी प्रासंगिक नजर आते हैं। भारत का प्राचीन और विश्व के इतिहास को देखने कि उनकी दृष्टी एक

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करबला बर्बरता की सियासी कहानी क्या हैं?

गस्त 26,  683 (AD) के दिन हर्रा का युद्ध हुआ था। इसके विषय में लिखने से पहले संक्षेप में कुछ कहना ज़रूरी है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम साल का पहला महीना है जिसके दसवें दिन सन 61 हिजरी (10 अक्तूबर 680 ईसवी)

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आपसी बातचीत हैं समाजी गलत फहमियाँ दूर करने का हल

ज की दुनिया बहुत बहुरुपता वाली है। दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो एक सा और बिना विविधता के हो। हालांकि पहले भी भिन्नता मौजूद थी लेकिन उपनिवेशीकरण, वैज्ञानिक विकास और परिवहन के साधनों के विकास ने दुनिया के विविधता

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चिकित्सा विज्ञान में महारत रख़ती थीं हजरत आय़शा

पैगम्बर मुहंमद (स) कि पत्नी हजरत आय़शा को लेकर इस्लाम के आलोचक कई बार विवाद खडा करते हैं। मगर माता आयशा के व्यक्तित्व कि विशेषताओं कि चर्चा उनके द्वारा कभी नहीं कि जाती।

हजरत आय़शा, अरब कि महान चिकित्सक हैं और अरब विज्ञ़ान

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