क्यों जरुरी हैं एमपीएससी परीक्षा में उर्दू साहित्य का वैकल्पिक विषय!

हाल ही में एमपीएससी ने अगले प्रयास यानि 2023 से राज्य सेवा परीक्षा के अपने पैटर्न और पाठ्यक्रम को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तरह ही बदल दिया है। इस प्रकार मुख्य परीक्षा अब वर्णनात्मक होगी, इसमें सामान्य अध्ययन के चार पेपर, निबंध का …

यहाँ क्लिक करें

शहरों या राज्यों का नाम बदलने की कानूनी प्रक्रिया

गर आप सोच रहे हैं कि किसी भी शहर का नाम बदलने के ऐलान के साथ ही उस का नाम बदल जाता है तो आप गलत हैं। किसी भी शहर का नाम बदलने के लिए एक प्रक्रिया का पालन किया जाता है। बिना यह …

यहाँ क्लिक करें

नाम बदलने के तर्क, या चुनावी कवायद !

विलियम शेक्सपियर ने एक बार कहा था, “नाम में क्या रखा है? किसी चीज का नाम बदल देने से भी चीज वही रहेगी। गुलाब को किसी भी नाम से पुकारो, गुलाब ही रहेगा।” लेकिन लगता है कि नाम में बहुत कुछ रखा है। व्यवहार, …

यहाँ क्लिक करें

सामाजिक-सांस्कृतिक जड़े हिलाने वाले ‘दलित पैंथर’ के पचास साल

त्ताधारियों द्वारा जाति वर्चस्व की मानसिकता को समर्थन दिया जाता है, मजदूर वर्ग में बेरोजगार युवाओं को उकसाया जाता है और दलितों पर हमले किए जाते हैं, यह हालात 50 साल पहले भी मौजूद थे। जब दलित पैंथर बना, तब से ही संगठन ने …

यहाँ क्लिक करें

नफरत के खिलाफ ‘सभ्यताओं के गठबंधन’ की जरुरत

पूरी दुनिया में ‘सभ्यताओं के टकराव’ की बात करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारत में भी विघटनकारी प्रवृत्तियां मजबूत हुई हैं। लेकिन ‘सभ्यताओं के गठबंधन’ का सिद्धांत ही कई नए उभरते समूहों का पथप्रदर्शक और हमारे भविष्य के लिए वे अत्यंत …

यहाँ क्लिक करें

सफ़दर हाशमी ने नुक्कड़ नाटक को दी एक नई पहचान

रंगकर्मी सफ़दर हाशमी का नाम जे़हन में आते ही ऐसे रंगकर्मी का ख़याल आता है, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी नुक्कड़ नाटक के लिए कु़र्बान कर दी। उन्होंने बच्चों के लिए कई मानीखे़ज गीत लिखे, देश के ज्वलंत मुद्दों पर पोस्टर्स बनाए, फ़िल्म फे़स्टिवल्स आयोजित …

यहाँ क्लिक करें

जब सम्राट जहाँगीर ने अबुल फ़ज़ल की हत्या कर दी?

कबर अपने सहयोगी अबुल फजल पर कितना भरोसा करते थे, यह किसी से छिपा नहीं है। आखिर वह उनका सलाहकार, जीवनीकार भी था। उन्होंने अकबर के दक्षिण अभियान का नेतृत्व किया। वह तुर्की, फारसी, संस्कृत, अरबी और हिन्दी के विद्वान थे।

अबुल फजल ने …

यहाँ क्लिक करें

चर्चों पर हमले : नफरत को कानूनी जामा पहनाने की मिसाल

स सप्ताह पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने कर्नाटक के ईसाई समुदाय और उनके गिरजाघरों पर हुए हमलों के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसी सप्ताह ही कर्नाटक सरकार ने एक ऐसे कानून का ऐलान किया है जिससे अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता …

यहाँ क्लिक करें

क्या होती हैं ‘गंगा-जमुनी’ तहजीब?

विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव मिलिन्द परांडे ने हाल में (सितंबर 2021, द टाईम्स ऑफ इंडिया) में कहा कि गंगा-जमुनी तहजीब (जिसे भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृति के संगम के लिए प्रयुक्त किया जाता है।) एक अप्रासंगिक और खोखली परिकल्पना है। उन्होंने कहा

यहाँ क्लिक करें

उदार और धर्मनिरपेक्ष निज़ाम जब हुए दुष्प्रचार के शिकार !

पंधरा अगस्त 1947 को भारत तमाम संघर्ष के बाद आजाद तो हो गया लेकिन उस वक्त सरकार के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती थी वह 565 छोटी-बड़ी रियासतों के विलय की थी। चूंकि कांग्रेस ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि आजादी के

यहाँ क्लिक करें