कमाल ख़ान खबरों के दुनिया के चांद थे

नडीटीवी इंडिया के एक्झीक्युटिव एडिटर कमाल ख़ान का दिल का दौरा पड़ने से 13 जनवरी के रात निधन हो गया। इस खबर के बात देशभर में उनके चाहनेवालें दर्शकों में शोक की एक गमगीन लहर दौड़ गई। जिसके बाद सोशल मीडिया पर शोक संदेशो …

यहाँ क्लिक करें

अली सरदार जाफरी: सियासी बेदारी लाने वाले इन्कलाबी शायर

कोई ‘सरदार’ कब था इससे पहले तेरी महफिल में

बहुत अहल-ए-सुखन उट्ठे बहुत अहल-ए-कलाम आये।

अली सरदार जाफरी का यह शेर उनकी अज़्मत और उर्दू अदब में अहमियत बतलाने के लिए काफ़ी है। अली सरदार जाफरी एक अकेले शख्स का नाम नहीं, बल्कि एक पूरे

यहाँ क्लिक करें

राम मुहंमद आज़ाद उर्फ उधम सिंह के क्रांतिकारी कारनामे

पंजाब की सरजमी ने यूं तो कई वतनपरस्तों को पैदा किया है, जिनकी जांबाजी के किस्से आज भी मुल्क के चप्पे-चप्पे में दोहराए जाते हैं, पर मुहंमद सिंह आज़ाद उर्फ उधम सिंह की बात ही कुछ और है।

उधम सिंह

यहाँ क्लिक करें

प्रधानमंत्री नेहरू भी खड़े होते थे बेगम अख्तर के सम्मान में !

वे सरापा ग़ज़​​ल थीं। उन जैसे ग़ज़लसरा न पहले कोई था और न आगे होगा। ग़ज़ल से उनकी शिनाख्त है। ग़ज़ल के बिना बेगम अख्तर अधूरी हैं और बेगम अख्तर बगैर ग़ज़ल! देश-दुनिया में ग़ज़ल को जो बेइंतिहा मकबूलियत मिली, उसमें

यहाँ क्लिक करें

महात्मा गांधी ने विनोबा को चुना था ‘पहला सत्याग्रही’

विनोबा भावे मशहूर भूदान आंदोलनके लिए जाने जाते हैं। इस आंदोलन से उनकी पहचान जनमानस में स्थापित हो गई। विनोबा महान जंग ए आज़ादी के सेनानी औऱ सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे गांधी के परम अनुयायी भी थे। साल 1940 में महात्मा

यहाँ क्लिक करें

और चल निकली भारतीय रंगमंच में ‘हबीब तनवीर’ शैली

धुनिक रंगकर्म के अध्ययन के बाद अपने नाटकों में देशज रंग-पद्धति अपनाने वाले हबीब मानते थे, “पश्चिम से उधार लेकर उसकी नकल वाले शहरी थिएटर का स्वरूप अपूर्ण और अपर्याप्त है, साथ ही सामाजिक अपेक्षाएं पूरी करने, जीवन के ढंग

यहाँ क्लिक करें

भारत को अपना दूसरा घर मानते थे अहमद फराज़

धुनिक उर्दू के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में गिने जाने वाले अहमद फ़राज़ का जन्म अविभाजित भारत के कोहाट में 12 जनवरी 1931 को हुआ था। इन के बचपन का नाम सैयद अहमद शाह था। इन के पिता जी का नाम सैयद मुहंमद शाह बर्क तथा

यहाँ क्लिक करें

अल्लामा इक़बाल : क़लम से क्रांति करने वाले विचारक

सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा

हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलिस्ताँ हमारा..

हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी की सुबह यह गीत सीधा दिल में उतर जाता है और देशभक्ति का जोश हमारी रगों में दौड़ने लगता है। लेकिन एक खास

यहाँ क्लिक करें

चाँद बीबी : दो सल्तनतों की मल्लिका जो छल से मारी गई

ध्यकालीन समय में भारत के इतिहास में खुद की एक छवि तैयार करने वाली बहादुर स्त्री राजकर्ती के रूप में निजामशाह की बेटी और आदिलशाह की बीवी चाँद खातून का काम बहुत महत्त्वपूर्ण रहा।

राज्य प्रशासन के सुधारणाओं की वजह से लोकप्रिय रहने वाली

यहाँ क्लिक करें

सांसद पेंशन सम्मान लेने से मना करने वाले मधु लिमये

गोवा मुक्ति संग्राम का अंतिम चरण आज से लगभग 75 साल पहले समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर  लोहिया द्वारा 18 जून 1946 को शुरू किया गया था। इसके लगभग पन्द्रह साल बाद 18-19 दिसंबर 1961 को गोवा, भारत सरकार द्वारा एक सैन्य ऑपरेशन

यहाँ क्लिक करें