बिजापूर शहर आदिलशाही सल्तनत काल में गंगा-जमुनी तहजीब का अप्रतिम मिसाल रहा हैं। आज इसके कई प्रमाण शहरभर घुमने के बाद आसानी से मिल जायेंगे। इस आलेख में बिजापूर के आसार महल कि कहानी हैं, जो अपनी कई विशेषत: के लिए प्रसिद्ध हैं। इस महल में इस्लाम के अंतिम संदेष्टा पैगंबर मुहंमद के पवित्र वस्तुओ को रखा गया हैं।
विजयापूर (बिजापूर) शहर की सैकड़ों इमारतों में से, ‘असार महल’ सबसे महत्वपूर्ण इमारत है। यह इमारत शहर के किले के पश्चिम में स्थित है। बिजापूर में, किले के द्वार को छोड़कर किले के अवशेष बाकी बचे नहीं हैं। कुछ जगहों पर सुरक्षात्मक दीवार का एक छोटा हिस्सा पाया जाता है। असार महल इस महल की कुछ इमारतों में से एक हैं।
इमारत में पैगंबर मुहंमद (स) की दाढ़ी के पवित्र बाल रखे गए हैं। यह बात सच होने के लिए कई सनद प्रमाण के रुप में आसार महल में उपलब्ध हैं। मीर सालेह हमदानी के पास रहे पैगंबर कि दाढ़ी के इस बाल को लाने के लिए दूसरे इब्राहिम आदिलशाह ने बहुत पैसा खर्च किया।
बहुत मशकतो के बाद इसे प्राप्त करने पर, असार महल में लाया। इतना ही नही आदिलशाह नें इसकी देखभाल के लिए एक अलग से व्यवस्था भी निर्माण करवाई।
आदिलशाह नें महल में काम करने वाले सेवक तथा छात्रों के लिए एक लंगर शुरू किया था। पैगंबर के वंशजों से कुछ सामान लाकर इब्राहिम आदिलशाह द्वारा इस महल में रखा गया। इस विधि उनके पुत्र मुहंमद आदिलशाह ने भी आगे जारी रखी। कुछ इतिहासकारों ने तर्क दिया है कि उन्होंने ऐसी कई वस्तुए खोज-खोज कर यहा लाकर रखी हैं।
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लगी थी आग
अंतिम आदिलशाही शासक, सिकंदर आदिलशाह तक, इस इमारत के रखरखाव के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया था। ईद-ए-मिलाद याने पैगंबर के जन्मदिन के अवसर पर यहा कुछ कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं।
उस समय 75 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक का खर्च किया जाता। मोहर्रम में अलग से 50 रुपये तक का खर्च किया जाता।
शुरुआत में पैगंबर के इन वस्तुओं को गगन के महल में रखा गया था। मुहंमद आदिलशाह के शासनकाल के दौरान, गगन महल में आग लगी थी। इस इमारत में लाखों रुपये मूल्य के आदिलशाही शासन के किमती वस्तुए रखी गई थीं। वे सब आग के हवाले हो गयें।
सुलतान को आग की सूचना मिलने पर वह तुरंत उस स्थान पर पहुंचे। आग ने विकराल रूप धारण कर लिया था। कोई भी उस इमारत के करीब नहीं जा सका। बादशाह के आँखों में आँसू आ गए।
सुलतान के पीछे अली खान नामक एक व्यक्ति खडा था। सुलतान के आंखों में आंसू देखकर वह आग में लिपटे भवन में चला गया। और उसने देखते-देखते पैंगबर मुहंमद के पवित्र वस्तुए रखा संदूक देखा, और उसे लेकर वह बाहर आ गया।
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अदालत महल
अली खान ने पैगंबर के उस किमती वस्तुओ को आग के हवाले होने से बचा लिया। कुछ घंटों के भीतर, गगन महल आग से पूरी तरह नष्ट हो गया। बाद में, पैगंबर के इन सामानों को दाद महल में रखा गया – जिसे ‘अदालत महल’ भी कहा जाता हैं।
अदालत महल का निर्माण मुहंमद आदिलशाह ने ईसवी सन् 1664 में करवाया था। इस अदालत महल को बाद में ‘असार महल’ नाम मिला। आसार महल में मौजूद पैगंबर के इन वस्तुओ को लेकर कई दंतकथाए सुनी और सुनाई जाती हैं।
माना जाता हैं कि, पैगंबर मुहंमद का जन्मदिन इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रबीउल के महीने की 12 तारीख को आता हैं। इस तिथि की पूर्व संध्या पर, 11 रब्बीउल को पैगंबर के सामान और उनके दाढ़ी के बाल वाले बक्से को श्रद्धालूओं के लिए खोल दिए जाता हैं।
जब मुगल शासक औरंगजेब ने बीजापुर पर विजय प्राप्त की, तो सिकंदर आदिलशाह को अपने अस्तित्व की चिंता होने लगी। उस समय, सिकंदर के कुछ प्रमुखों सेनापतीओ नें सुझाव दिया कि वो बक्सा जिसमें पैगंबर की दाढ़ी के बाल है, उसे सिर पर रखकर औरंगज़ेब के दरबार पहुँचे।
उसने अपने नौकर को आदेश दिया कि वह इस बक्से को औरंगजेब के पास भेट स्वरूप ले आए। उस समय, नौकर ने वह पवित्र बक्सा बिजापूर से बाहर अन्य जगह न चला जाए इसलिए उसे बदल दिया और एक अलग संदूक वहां रख दिया वह दूसरा बक्सा लेकर औरंगजेब बादशाह के पास गया।
उस समय औरंगजेब ने उसको बहुत सम्मान दिया। उसने वह संदूक दिल्ली तो भेजा। इस प्रकार, पैगंबर की दाढ़ी के बाल वाले मूल बक्सा बीजापूर में भी रहा।
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दावे सच हैं या झूठ
लेकिन इस मामले के बाद, कई जगहों पर, पैगंबर की दाढ़ी के पवित्र बाल रखे जाने के दावे सामने आते गये। जिनमें रायचूर, लिंगसुर, आलमपुर, मुदगल, जलदुर्ग, अन्नासूर, सालगुंडा, गुलबर्गा, बीदर, निलंगा, हैदराबाद, औरंगाबाद, खुलताबाद के लोगों ने भी दावा किया कि उनके पास पैगंबर की दाढ़ी के बाल मौजूद हैं। लेकिन उनमें से कितने लोगों के दावे सच हैं या झूठ हैं उसके कोई प्रमाण नहीं मिलते।
हेन्री कोजनीस नामक एक अंग्रेजी लाइब्रेरियन ने आसार महल में चोरी की सूचना दी हैं। एक रात कुछ चोर असार के महल में आए। इस बात से कोई इनकार नहीं है कि उसने कुछ चीजें चुराई होंगी। लेकिन पैगंबर की दाढ़ी के बाल वाला संदूक अभी भी मौजूद हैं।
कई हमलों के बाद, असार का महल अभी भी पैगंबर की पवित्र वस्तुओं के साथ पैगंबर स्मृतिओ को संजोये आज भी खड़ा है। आसार महल की यह इमारत, आदिलशाही सल्तनत की चार-पाँच पीढ़ियों के इतिहास की गवाह हैं।
इमारत दो मंजिल है जिसमें बड़े से कमरे हैं। इसके दोनों ओर बड़े-बड़े हॉल हैं। बीच का हॉल 81 फीट लंबा और 27 फीट चौड़ा हैं। फुटपाथ पर गैलरी से गुजरने के बाद प्रकाशस्तंभ दिखाई देता है।
असार महल में एक विशाल पुस्तकालय था। किताबें रखने के लिए बड़ी सी अलमारी भी थीं। बीजापूर जीतने के बाद, औरंगजेब किताब को अपने साथ ले गया।
जाते जाते :
* राजनीति से धर्म को अलग रखने वाला सुलतान यूसुफ आदिलशाह
* मौसिखी और अदब कि गहरी समझ रखने वाले आदिलशाही शासक
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