सिराज उद् दौला की वह माफी जिससे भारत दो सौ साल गुलाम बना

जू1756 की वह 20 तारीख थी, जब बंगाल के नवाब सिराज उद् दौला की विजयी सेना ने ईस्ट इंडिया कंपनी के कलकत्ता साम्राज्य को तबाह कर दिया था। कलकत्ता कोठी के तमाम अंग्रेज कैद कर लिए गए थे। हर कोई जान बचाने के

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गुफ़्तगू ए मौसिक़ी से अनवर गुमनाम क्यों हुए?

ज भी सिने संगीत के शौकिन ये मानते हैं कि मौहब्बत अब तिजारत बन गयी हैं.. गीत मुहंमद रफी ने गाया हैं। दरअसल ऐसा नही है, ये मशहूर गाना अनवर हुसैन ने गाया हैं। चौंक गये नजी हाँ बॉलीवूड के

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नामदेव ढ़साल : नोबेल सम्मान के हकदार कवि

नामदेव ढ़साल कविताओ में तिखें शब्दों के इस्तेमाल के लिए जाने जाते हैं। मराठी का ये कवि विद्रोह का जिता जागता शोला था। जिसने न सिर्फ समाज मे पनपे ब्राह्मण्यवाद, उच-निच पर प्रहार किया बल्कि एक सांस्कृतिक नवजागरण भी दर्ज कराया, जो

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बादशाह खान का नाम हटाना ‘भारत रत्न’ का अनादर तो नही!

रियाणा के फरिदाबाद में बीते दिनों एक अनहोनी घटना हुई, जिसे सरकार का संरक्षण प्राप्त था। तीन दिसम्बर को यहां के एक सरकारी अस्पताल का नाम बदला गया। वैसा भाजपाई राज में नामों को बदलना अब आम हो गया हैं। पर यह नाम

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औरंगाबाद के इतिहास को कितना जानते हैं आप?

न दिनों महाराष्ट्र कि सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले औरंगाबाद के शहर की चर्चा आम हैं। बीते तीन दशक से इस शहर के नाम बदलने कि कोशिशे चल रही हैं। पर इस शहर के विकास का इतिहास क्या हमें ज्यादा कुछ पता नही है

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सावित्री बाई फुले को कितना जानते हैं आप?

किसी भी कॉलेज के गेट के बाहर खड़े होकर अगर आप किसी छात्रा से पुछेंगे, “सावित्री बाई फुले कौन है?” तो शायद लडकियों से जवाब मिलने कि सुरत बहुत कम हैं। क्योंकि उनकी पिढी इस ऐतिहासिक किरदार को ज्यादा नही जानती।

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देव आनंद फिल्म इंडस्ट्री के ‘रूमानियत का बादशाह’

दाबहार अभिनेता देव आनंद की चर्चा फिल्म गाईड और सुरैय्या के प्रेम प्रकरणो से आगे अभी तक नही बढ़ पायी हैं। जब भी उनका जिक्र आता हैं, तो हर कोई ये दो कहानीयां दोहराता हैं। गाईड की चर्चा आम और खास भी हैं। खुद

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उंगली कटी और किशोर बन गए दिलकश आवाज़ के मालिक !

भारतीय उपमहाद्विप के लोगों का शायद ही कभी एक दिन ऐसा गुजरा हो, जब उन्होंने किशोर कुमार के गाने नही सुने हो। किशोर एक दिलकश आवाज के मालिक थे। असल जिन्दगी में उतने ही हसमुख थे जितने फिल्मी परदे पर दिखते हैं। वे एक …

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फकरुद्दीन बेन्नूर : मुसलमानों के समाजी भाष्यकार

देश में हिन्दुत्वप्रणित संघठनों का आतंक जब अपनी चरम पर था, ठिक उसी समय सामाजिक सौहार्द और सद्भावना के बानी प्रो. फकरुद्दीन बेन्नूर इस दुनिया से चल बसें। आज उनके निधन को दो साल पूरे हुए हैं। इस बिच मुसलमानों के दुख और दर्द

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बशर नवाज़ : साहित्य को जिन्दगी से जोड़नेवाले शायर

क्षिण महाराष्ट्र को साहित्यकारों और विद्वानों कि भूमि कहा जाता है। यहां के सूफी संतो सामाजिक सौहार्द और बहुसांस्कृतिकता को संजो कर रखने की कोशिशों मे लगे थे, इस विरासत को यहां के साहित्यकार, लेखक और शायरों ने आगे ले जाने का

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