इतिहास में भारत अद्भूत घटनाओ को लेकर जाना जाता हैं। बादशाहीयत के साथ हैवानियत में भी भारत इतिहास के पन्नो दर्ज हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर तो कई काले दाग भारतीय जनता के मुँह पर दिमक की तरह चिमटे हैं।
‘कठुआ’ और ‘उन्नाव’ बलात्कार कांड भी इनमें से एक हैं। इस घटना ने विकृती के कई अध्याय जोडे हैं। कठुआ रेप कांड कि घटना इतिहास में वहशियत के लिए जानी जायेंगी। उसी तरह यह घटना आरोपी के बचाव के लिए महिला समर्थकों के मोर्चे के लिए भी याद रहेंगी।
जनवरी 2018 को जम्मू के कठुआ में एक 8 वर्षीय घुमंतू जाति के बकरवाल समुदाय के मासूम बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसकी हत्या की गई। बलात्कार जैसा घिनौना अपराध ही नहीं बल्कि उस मासूम को नशीली दवाई पिलाकर कई दिनो तक बेहोश रखा गया।
इस बेहोशी की हालत में उस छोटी सी बच्ची के साथ कई लोगों ने सामूहिक अत्याचार किया। यह सारा मामला एक पवित्र स्थली मंदिर में चल रहा था। जहां उस बच्ची को बंधक बनाकर रखा गया था। बच्ची को 10 जनवरी को अग़वा किया गया था और करीब एक सप्ताह बाद उसका शव पास के एक जंगल में पडा मिला था।
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आरोपी ने अपनी हवस बुझाने के बाद बच्ची के सलवार के नाडे से उसका गला रौंदकर हत्या कर दी। और उसके शव को सुनसान जगह पर छोड दिया। इधर पीडिता के माँ-बाप बच्ची गुम हो जाने के वजह सें परेशान थें।
ज्ञात रहे कि यह सारा मामला जम्मू पुलिस के चार्जशीट के बाद प्रकाश में आया। पुलिस ने अप्रैल 2018 में स्थानीय कोर्ट में दाखिल की थी। जिसमें घटना को किस जघन्यता से अंजाम दिया गया उसका विस्तृत ब्यौरा दिया गया था। मुख्य आरोपी भारतीय जनता पार्टी से संबधित बताया गया। उसके खिलाफ चार्जशिट के विरोध के चलते मामला प्रकाश में आया। देशभर में इस जघन्य अपराध की निंदा की गई।
गौरतलब है कि इस जघन्य अपराध में 3 पुलिसकर्मी भी शामिल थे। जो मामलो को छुपाने के लिए उस मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने लिए राजी हुए थे। खबरो के मुताबिक इस बलात्कार का मुख्य आरोपी सांझी राम का बेटा भी इस सारे अपराध में लिप्त था।
नाबालिग आरोपी ने अपने ममेरे भाई (मुख्य आरोपी का लडका) को मेरठ से लडकी के साथ बलात्कार का करने के लिए बुलाया था। मतलब जाँच में सांझी राम का बेटा विशाल जंगोत्रा ने भी इस अपराध में पुरी तरह से लिप्त पाया गया है। जबकी चार्जशीट में इसका उल्लेख भी नजर आता हैं।
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समर्थन में मोर्चा
इस मामले की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई तब स्थानीय हिंदुवादी संगठनों ने इस मुद्दे को धार्मिक रंग देखकर आरोपी के पक्ष में तिरंगा यात्रा निकाली और पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने से रोका। बीबीसी के मुताबिक जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस मामले में 7 फरवरी को एक और उसके बाद 10 फरवरी को एक पुलिसकर्मी जिसका नाम दीपक खजुरिया था, उसे गिरफ्तार किया।
खजूरिया हीरा नगर पुलिस स्टेशन में तैनात थे। वो उस टीम में शामिल थे जो आसिफा को तलाशने जंगल गई थी। खजूरिया की गिरफ्तारी के ठीक सात दिन बाद कठुआ में हिंदू एकता मोर्चा ने आरोपी के समर्थन में रैली निकाली।
प्रदर्शन में बीजेपी के समर्थक औऱ कुछ स्थानिय लोग भी शामिल थे।। जिसमे महिलाओ कि संख्या अधिक दिखाई देती हैं। प्रदर्शनकारी हाथों में तिरंगा लेकर आरोपी की रिहाई की मांग कर रहे थे।
भाजपाई लोग समर्थन में
बताया जाता हैं कि इस मोर्चे में स्थानीय वकील और पत्रकार भी शामिल हुए थें। इस तिरंगा यात्रा में जम्मू-कश्मीर की बीजेपी-पीडीपी सरकार में शामिल दो भाजपाई विधायक (तत्कालीन बीजेपी-पीडीपी सरकार में मंत्री) चौधरी लाल सिंह और चंदर प्रकाश गंगा शामील थें। इतिहास में इस तरह की घटना पहले कभी नही घटी थी। देश के इतिहास में पहली बार बलात्कार के आरोपी को बचाने के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था से जुडे वकिलो ने प्रयास किया था।
बीते दिनो 10 जून 2019 को पठाणकोट न्यायालय ने मुख्य आरोपी सांजी राम के अलावा परवेश कुमार, दो स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक कुमार और सुरेंदर वर्मा, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता को इस मामले में दोषी करार दिया था। पुलिसकर्मियों को सबूतों को मिटाने में दोषी ठहराया गया। अदालत ने सांजी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया हैं। तथा अन्य नाबालिग को जुवेनाइल कोर्ट में सुनवाई का फैसला दिया हैं।
पुलिस के चार्जशीट के अनुसार आरोपी विशाल जंगोत्रा बलात्कार का दोषी हैं। पर कोर्ट ने तो उसकी घटनास्थल पर मौजूद होने की बात को नकारा हैं और निर्दोष साबित किया है। जबकि पुलिस के चार्जशीट के अनुसार उस आरोपी की इस घटना में सिधे तौर पर लिप्तता पाई गई हैं।
इन सब का कहना था कि आरोपियों को धर्म के नाम पर फंसाया जा रहा है। जबकि दूसरी ओर कोर्ट में यह मामला देखने वाली वकील राजावत को भी इन हिंदूवादी संगठनों ने धमकियां देनी शुरू की।
कुछ समय बाद राजावत नें भी इस केस से खुद को अलग कर लिया। पठानकोट फैसले के बाद राजावत की प्रतिक्रिया आई है, जिसमे उन्होंने कहा है कि, “इस सारे मामले में मुझे हिंदूवादी संघटनो बदनाम किया हैं। मुझपर जिस तरह से फब्तियां कसी है, उस घटना को लेकर मैं एक किताब लिखने वाली हूं।”
इतना ही नही बल्की कई मीडिया संस्थान आरोपी के समर्थन में खडे हुए थें। दैनिक जारगण अखबार ने तो पीडिता से बलात्कार के खबर को गलत बताते हुए मुख्य खबर तक बना डाली थी।
वही झी समूह के बदनाम एंकर सुधीर चौधरी ने तो इस खबर पर विशेष शो तक कर डाला था। इन खबरो नो चार्जशीट को झुठा करार देकर आरोपी को फंसानी के बी भी कही थी। पठाणकोट अदालत के बाद कुछ लोगो ने इन खबरीया संस्थानो को भी सजा दिलवाने की मांग की थी।
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उन्नाव का काला इतिहास
फोटो : Twitter/@qanuj
उत्तर प्रदेश के उन्नाव में ऐसी ही घटना घटी। जब स्थानिय लोग ‘मेरा विधायक निर्दोष हैं’ के बैनर हाथो में लिए बलात्कार के आरोपी के बचाव में उतरे थें। 4 जून 2017 को एक 17 वर्षीय लडकी के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। इस मामले में कुल दो चार्जशिट दाखिल हुई। एक में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर मुख्य आरोपी थें।
अप्रेल 2018 के बाद मामला तुल पकडा जब पीडित लडकी नें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आवास के सामने प्रदर्शन किया। जिसके बाद देशभर में रोष कि लहर दौडी उठी। प्रदेश कि पुलिस ने आरोपी को पडकने के बजाए पीडित लडकी पर ही मामला दर्ज किया।
इतना ही नही उसके 2 परिजनो कि शंकास्पद तरीके से दुर्घटना में मौत हो गई। मामला इतना तुल पकडा कि दोनो सदनों मे विपक्षी लोगों ने आवाज उठाई। प्रदेश से लेकर देशबर तक प्रदर्शन होते रहे। लोगों ने सडको पर उतरकर आरोपी को गिरफ्तार करने को लेकर रोष प्रकट किया।
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देशभर में प्रदर्शन
कोई कारवाई न होते देख इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया। पुलिस-प्रशासन पर विधायक के प्रभाव में काम करने को लेकर अदालत ने कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने किशोरी से रेप और उसके पिता की हत्या के आरोप में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को अप्रेल 2018 को गिरफ्तार किया।
जिसके बाद प्रदेश में कई जिलों में बीजेपी विधायक सेंगर के समर्थन में शांति मार्च निकाला गया। मार्च में शामिल लोग विधायक के ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे साजिश करार दे रहे थे। लोगों को कहना था कि राजनैतिक द्वेष व पारिवारिक रंजिश की वजह से विधायक को फंसाया जा रहा है।
खबरो के मुताबिक, 19 मार्च 2018 को विधायक के समर्थन में जिले के कई इलाकों में लोगों ने शांति मार्च निकाला गाय। इस जुलूस में पुरुषों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थी। बांगरमऊ, सफीपुर, बीघापुर समेत अन्य इलाकों में निकाले गए जुलूस में लोगों ने अपने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं, जिसमें लिखा था, ‘हमारा विधायक निर्दोष है।’ इसमें जनप्रतिनिधियों समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
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कोर्ट ने लिया संज्ञान
सेंगर के गिरप्तार होने के बाद पीडिता के घर पर मुसिबतो का पहाड टुट पडा। उसके चाचा क पुलिस ने पुराने मामले में गिरफ्तार किया। जिसके बाद पीडिया ते सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिश मदद कि गुहार लगाई। कोर्ट ने मामले को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई कि मंजुरी दी। अदालती सुनवाई के दौरान पीडिता पर हमले हुए। जिसमें वह और उसके परिजन बुरी तरह से घायल हुए।
जिसके बाद पीडिता ने खुद को आग लगा ली। जिसमें वह बुरी तरह झुलस गई। इलाज के लिए उसे दिल्ली स्थित एम्स ले जाया गया। जहाँ इलाज के दौरान 7 दिसंबर 2019 को उसकी मत्यू हो गई।
मौत के तीन दिन बाद सुप्रीम कोर्ट में मुख्य आरोपी के खिलाफ चार्जशिट दाखिल कि गई। सुप्रीम कोर्ट नें को 20 दिसंबर 2019 को अंतिम फैसला सुनाया, जिसमे दोषी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा और 25 लाख का जुर्माना लगाया।
कठुआ और उन्नाव बलात्कार कांड भरात के इतिहास के वह काले अध्याय है जिसके चलते भारत कि विस्व में बहुत बदनामी हुई। विदेशी मीडिया ने इस घटना को काफी उछाला। हमारे समाज में बलात्कार जघन्य अपराध माना जाता हैं। और उसका समर्थन करना पाप माना जाता हैं।
पर अफसोस कठुआ और उन्नाव मामले में महिलाए बलात्कार के आरोपी के समर्थन में खडी थी। इस मामले नें भारत के मुँह पर हमेशा के लिए वो कालीख पोत दी जो जितना भी धुले कम नही होंगी।
जाते जाते :
* जनसंख्या नियंत्रण में मुसलमानों का योगदान ज्यादा
*आज़ाद भारत में राजद्रोह कानून की किसे जरूरत?
हिन्दी, उर्दू और मराठी भाषा में लिखते हैं। कई मेनस्ट्रीम वेबसाईट और पत्रिका मेंं राजनीति, राष्ट्रवाद, मुस्लिम समस्या और साहित्य पर नियमित लेखन। पत्र-पत्रिकाओ मेें मुस्लिम विषयों पर चिंतन प्रकाशित होते हैं।