NRC और NPR भारत के हिन्दुओं के खिलाफ साबित होंगा

दिल्ली विधानसभा से:

मारे देश में इस समय बेरोजगारी बहुत अधिक स्तर पर बढी हुई है। बच्चे बेरोजगार घूम रहे हैं और बेकारी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। क्योंकि (भारत में) अर्थव्यवस्था का बहुत बुरा हाल हो चुका हैं। मुझे लगता है कि सारी सरकारों को मिलकर इस समय बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था की तरफ ध्यान देना चाहीए।

जब हमारे सामने जनता की वास्तविक समस्याएं हैं। और उनको बाजू करके अगर हम एक काल्पनिक समस्या पैदा कर दें और सारा देश उसके अंदर उलझ जाए। जिसे लेकर देश के अंदर हाहाकार मची हो, तो मुझे नहीं लगता कि यह देश हित की बात है। इस​​से देश की प्रगति नहीं हो सकती। इससे अपने बच्चों को नौकरी नहीं मिल सकती।

सारा देश इस समय सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर इसने यह कहा, उसने वह कह दिया, नागरिकता साबित करने पड़ेंगी; इस बात पर बहस कर रहा हैं। इससे किसका फायदा होने वाला है? इससे देश कैसे आगे बढ़ेगा? मेरी तो यह समझ के बाहर हैं।

मैं टीवी डिबेट में भी देखता हूं और कई बार लोग यह कहते हैं कि ‘अभी तो एनआरसी का ड्राफ्ट ही नहीं आया है, एनआरसी तो होने वाला ही नहीं हैं। अध्यक्ष महोदय, 20 जून 2019 को राष्ट्रपति श्री. रामनाथ कोविंदजी ने दोनों सदनों को संबोधित करते हुए कहा था, मेरी सरकार ने यह तय किया है कि एनआरसी को प्राथमिकता के आधार पर अमल में लाया जाएगा।

राष्ट्रपति तो इस देश के सर्वोच्च अथॉरिटी हैं, अगर राष्ट्रपति ने कहा है तो देश में एनआरसी को लागू किया जाएगा। हमारे देश के माननीय गृह मंत्री नें 10 दिसंबर 2019 को संसद के अंदर स्टेटमेंट दिया था, “हम इसपर बिल्कुल साफ हैं, एनआरसी तो इस देश में होकर रहेंगा।

राष्ट्रपति जी ने कह दिया, माननीय गृह मंत्रीजी ने कह दिया तो फिर बचा क्या? अब कहा जा रहा है कि सीएए अलग है, एनपीआर अलग है और एनआरसी अलग हैं। आपके कहने से तो नहीं होगा ना!

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने स्पष्ट कर दिया है कि यह कानून कैसे एक दूसरे में से जुड़े हैं। NPR तो 2010 में भी हुआ था। तब तो कोई अफरा-तफरी नहीं हुई थी। एनपीआर तो इन्हीं की सरकार में 2015 में आने के बाद भी किया था तब भी अफरातफरी नहीं हुई। फिर अब अफरा-तफरी क्यों मच रही है?

क्योंकि माननीय गृह मंत्री नें खुद समझाया हैं। उन्होंने कहा था कि क्रोनोलॉजी को समझने की कोशिश कीजिए। पहले CAA आएगा, फिर NPR आएगा और फिर NRC आएगा। उन्होंने खुद कहा है कि तीनों चीजें इंटरलिंक है। हम नहीं कह रहें हैं। मै आज एक एक शब्द वही बोलूंगा वो केंद्र सरकार के किसी न किसी अथॉरिटी ने, या कानून में लिखी हुई हैं।

लोगों के अंदर चिंता इसलिए है कि इस पिछले 5 साल के दौरान असम के डिटेंशन सेंटर में क्या हुआ यह लोगों ने देखा हैं। असम NRC हुआ उसके बाद 19 लाख लोगों को भारत के सिटीजन नहीं है ऐसा घोषित किया गया।

उन्हें डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया। उनको जेल में भेज दिया गया और जेल में उन लोगों का क्या हाल हुआ यह सारे देश ने देखा हैं। इसलिए अब देश में इस बात को लेकर चिंता है कि कहीं मेरा नाम तो एनआरसी से गायब नहीं हो जाएगा! कहीं मैं भी तो डिटेंशन सेंटर में नहीं चला जाऊंगा!

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खुदको पाकिस्तानी क्यों कहूँ?

अब इसका प्रोसेस क्या है? इसकी प्रक्रिया यह है केंद्रीय सरकार का कोई ना कोई अफसर आपके घर आएगा और कहा जाएगा कि आप अपनी नागरिकता साबित कीजिए। आप अपने कागज दिखाइए। अगर कागज दिखाओंगे तो चाहे आप हिन्दू हो, चाहे आप मुसलमान हो, चाहे आप किसी भी धर्म के हो; आप नागरिक हो गए।

अगर आप कागज नहीं दिखा पाओगे, तो अगर आप मुसलमान हो तो आप सीधे डिटेंशन सेंटर में जाओंगे। अगर आप हिन्दू हो तो आपसे पूछा जाएगा, पाकिस्तान से आए हो?’ अगर आप कहोगे हाँ, पाकिस्तान से आया हूँ तो आपके सारे कागज बना देंगे।

आपसे कुछ नहीं पूछा जाएगा, आपको नागरिकता दे दी जाएंगी। अगर आप कहोगे नहीं, मैं हिंदुस्तान में पैदा हुआ हिन्दू हूँ। तो कहेंगे, ‘हम आपकी कागज नहीं बनाएंगे। आपको सिधे डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाएगा।

बताओ, भारत के हिंदुओं ने क्या कसूर कर दिया जी! इस कानून को मैं जितना पढ़ता हूँ उतना मेरे समझ आता है कि यह कानून पाकिस्तान के हिन्दुओं के लिए है और हिन्दू हिन्दुस्तान के हिन्दुओं के खिलाफ है। भारत के हिन्दुओं को यह कहा जा रहा है कि जिसके पास कागज नहीं होगा और अधिकतर के पास 90 प्रतिशत लोगों के पास कागज नहीं होगा, उनको कहा जाएगा ‘बोलो, कि तुम पाकिस्तानी हो!’

हमारे देश के हिन्दुओं को जबरदस्ती से कहलवाया जाएगा, ‘बोलो, तुम पाकिस्तानी हो!’ क्यों बोले, हम पाकिस्तानी हैं? हम नहीं बोल सकते, हम देशभक्त हैं। मर जाएंगे, कट जाएंगे मगर हम नहीं बोल सकते कि हम पाकिस्तानी हैं।

यह कैसा कानून है? यह कैसी सरकार है? आजाद भारत के लिए जिन लोगों ने लड़ाई लड़ी थी, उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, कि 70 साल के बाद ऐसा टाइम आएगा, जब देश की सरकार जबरदस्ती कहेंगी, ‘बोलो, तुम पाकिस्तानी हो! नही तो तुमको डिटेंशन सेंटर में भेजेंगे।’ जो जो बोल देगा वह पाकिस्तानी हैं तो उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी। मगर जो कहेगा मैं हिंदुस्तानी हूं मेरे पास कागज नहीं है, तो उसे एक डिटेंशन सेंटर में भेज देंगे। यह कैसा कानून है?

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कानून हिन्दुओं के खिलाफ

लोगों मे एक गलतफहमी फैली हुई हैं। जब भी मैं लोगों से बात करता हूँ लोग कहते हैं, “ना जी हिंदुओं को तो नागरिकता मिल जाएंगी!” इस बारे में अमित शाहजी का स्टेटमेंट हैं, वह बताता हूँ। 17 दिसंबर 2019 को माननीय गृह मंत्री नें ‘आज तक’ को इंटरव्यू दिया था।

उसमें उन्होंने कहा था, “मैं स्पष्ट कर दूं एनआरसी में धर्म के आधार पर कोई कारवाई नहीं होगी। इस देश में जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का सिटीजन नहीं पाया जाएगा, उसे इस देश से निकाल दिया जाएगा।”

तो एनआरसी सिर्फ मुसलमानों के लिए है यह कहना ठीक नहीं हैं। वह (अमित शाह) खुद ही कह रहे हैं कि यह हिन्दुओं के खिलाफ भी है और मुसलमानों के खिलाफ भी हैं। जो-जो हिंदू इस गलतफहमी में है कि उन लोगों को पास कागज है नहीं है तो उनको नागरिकता मिल जाएंगी।

जिन-जिन हिंदुओं के पास कागज नहीं है, अगर वह एफिडेविट पर यह लिख कर देंगे कि ‘मैं पाकिस्तानी हूं’ तभी नागरिकता मिलेंगी। जो एफिडेविट नहीं देंगे, उनको नागरिकता नहीं मिलने वाली।

यह कहा जा रहा है कि डॉक्यूमेंट नहीं मांगे जाएंगे। कल (12 मार्च) मैंने माननीय गृह मंत्रीजी का पार्लमेंट का बयान सुना। उन्होंने साफ कर दिया कि एनपीआर के तहत जिसकी प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू हो रही है, उसमें डॉक्यूमेंट नहीं मांगे जाएंगे।

उन्होंने यह नहीं कहा कि एनआरसी में डॉक्यूमेंट नहीं मांगे जाएगे। उन्होंने कहा कि एनपीआर में डॉक्यूमेंट नहीं मांगे जाएंगे, इसमें इंफॉर्मेशन कलेक्ट की जाएगी। उस इंफॉर्मेशन के आधार पर बाद में NRC होगा।

तो कई लोग यह कह रहे हैं कि एनआरसी का ड्राफ्ट तो आ जाने दो! “अब पछतावे होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत” अगर अभी NPR हो गया तो उसके बाद कुछ नही बचेगा। फिर एनआरसी तो होकर ही रहेगा। एनआरसी तो होना ही है। राष्ट्रपतिजी नें कह दिया, गृहमंत्री नें कह दिया। एनआरसी तो होगा ही होगा और वह कैसा होगा वह इस किताब में लिखा हुआ है। अब इसमें कोई दो राय नहीं बची है।

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कल उन्होंने (अमित शहा) कहा है कि NPR में डॉक्यूमेंट नहीं मांगे जाएगें। उन्होंने यह नहीं कहा कि यह NRC में डॉक्यूमेंट नहीं मांगेंगे। एनआरसी में डॉक्यूमेंट मांगे जाएंगे। और कौन से डॉक्यूमेंट मांगे जाएंगे। यह भी गृहमंत्री का स्टेटमेंट है।

17 दिसंबर को अमित शाह ने ‘Times Now’ को इंटरव्यू दिया था। इंटरव्यू करने वाली नें उनसे पूछा, “क्या आधार कार्ड, वोटर कार्ड नागरिकता का प्रमाण माना जाएगा?” उन्होंने कहा “आधार, वोटर आईडी से नागरिकता तय नहीं होती है जी! आधार का अलग परपज होता है। यह डॉक्यूमेंट नहीं माने जाएंगे।”

डॉक्यूमेंट कौन से मांगे जाएंगे? केवल और केवल एक ही डॉक्यूमेंट माना जाएगा वह किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा जारी किया गया आपके जन्म का प्रमाण पत्र। पहले स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट होता था, अब वह नहीं चलेगा। म्यूसिपालिटी का या पंचायत का चलेगा। इसके अलावा कोई नहीं चलेगा।

मेरे पास तो नहीं हैं। नागरिकता साबित करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। मैं आज सवेरे अपने बीवी से पूछा, उसके पास भी नहीं है। मेरे मां-बाप के पास भी नहीं है। हमारे घर में 6 आदमी है। मैं, मेरी धर्मपत्नी, मेरे माता पिता और मेरे दोनों बच्चे।

बच्चे दिल्ली के अस्पताल मे पैदा हुए थे तो उनका म्यूनिसिपालिटी का सर्टिफिकेट हैं। बाकी हमारे चारों के पास नहीं है। वह सर्टिफिकेट जो यह मांग रहे हैं। तो क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री के पूरे परिवार को डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाएगा? मनीषजी के पास नहीं है। सत्येंद्र जैन के पास नहीं हैं। हमीरे पूरे कैबिनेट के पास जन्म का प्रमाण पत्र नहीं है। क्या दिल्ली की पूरी कैबिनेट डिटेंशन सेंटर में जाएंगी? स्पीकर साहब क्या आपके पास भी है, उनके पास भी नहीं है।

70 लोगों के विधानसभा में 61 लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र नही हैं। यह साबित करने के लिए कि वह इस देश के नागरिक हैं। केवल 9 लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र है। एक बात पूछना चाहता हूं कि जब लोग घर पर आएंगे और आपसे एफिडेविट पूछेंगे अब कितने लोग एफिडेविट देंगे कि मैं पाकिस्तान से आया हूं?

अध्यक्ष महोदय, मर जाएंगे, कट जाएंगे, मिट जाएंगे, मगर देश के साथ गद्दारी कभी भी नहीं करेंगे। यह जो कह रहे हैं बोलो पाकिस्तानी हो, तभी आप को नागरिकता देंगे। अध्यक्ष महोदय, पूरी जिन्दगी डिटेंशन सेंटर में बिता देंगे मगर देश के साथ किसी भी हालत में गद्दारी नहीं करेंगे।

यह केवल मैं नहीं कह रहा हूं, मेरे देश का एक-एक नागरिक यही कह पहा हैं। हमारे देश भारत का एक-एक नागरिक कट जाएगा, मर जाएगा, मगर भारत के साथ कभी गद्दारी नहीं करेगा।

अध्यक्ष महोदय, मैं चैलेंज करता हूं यूनियन केबिनेट में पूछ लो! कितनों के पास है। एक और मुख्यमंत्री केसीआर नें कहा कि मेरे पास भी नहीं है। वह बोले कि मैं आत्महत्या कर लूं क्या? तुम मुझे डिटेंशन सेंटर में भेज दोंगे। देश के अधिकतर मुख्यमंत्रियों के पास यह वाला जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिलने वाला।

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एनआरसी बहुत दर्दनाक

असम में जो NRC हुआ वह बहुत दर्दनाक था। मैं उसके केवल चार उदाहरण आपके सामने रखना चाहता हूँ। एक व्यक्ति है दुलालचंद्र पॉल जो मूलत: असम के रहनेवाले बंगाली हिन्दू है।

65 साल की उम्र है। इनके पास कागज नहीं थें तो दो साल पहले 11 अक्टूबर 2017 को उन्हें डिटेंशन में भेज दिया गया। 2 साल में इनकी बुरी हालत हुई। अभी 13 अक्टूबर 2019 को डिटेंशन सेंटर में इनकी मौत हो गई।

दूसरे हैं, छबिंद्र शर्मा जो एयरफोर्स में फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे। 38 साल देश के लिए एयरफोर्स में इन्होंने सेवा दी हैं। इनके पूरे परिवार का नाम लिस्ट से बाहर है। 28 फरवरी 2018 को यह फ्लाइट लेफ्टिनेंट के तौर पर रिटायर हुए। 30 जुलाई 2018 को जो सिटीजन की लिस्ट निकली उसमें इनका नाम नहीं था। पूरे के पूरे परिवार का नाम लिस्ट से गायब था।

सनाउल्ला खान नें 32 साल तक इन्होंने आर्मी में काम किया। इनके पूरे परिवार को; सनाउल्ला खान, उनकी पत्नी और 3 बच्चे; पांचो को भी विदेशी करार दिया गया। 32 साल सेना में काम करने के बाद इनके पूरे परिवार को विदेशी करार दिया गया और इन्हे डिटेंशन सेंटर में डाल दिया।

इन्होंने जम्मू कश्मीर में काम किया है। नॉर्थ ईस्ट में काम किया है। काउंटर इमरजेंसी ऑपरेशन में काम किया है। रिटायरमेंट के बाद बॉर्डर पुलिस में काम कर रहे थें। बताओ कैसे साबित करें हम इस देश के नागरिक हैं?

एक है नरेश कोच, असम के अंदर कोच ट्राइब्स समुदाय हैं। मतलब सवाल ही पैदा नहीं होता कि यह बन्दा बांगला देश का है। इनका बेटा और इनका भाई का सिटीजन लिस्ट में नाम था। पर इनका नाम नागरिकता सूची में नहीं था। डिटेंशन सेंटर में इनकी भी मौत हो गई।

रतन चंद्र बिश्वास दलित हिंदू है। इनका एक वीडियो आया था जिसमें डिटेंशन सेंटर के बेड से इनको बांध रखा है। छठी क्लास तक पढ़े हुए हैं। इनके पिताजी का नाम 1966 के वोटर लिस्ट में है।

उसके बावजूद भी इन्हें नागरिक नहीं माना गया। जैसे कहा गया कि वोटर लिस्ट नागरिकता का प्रमाण नहीं मानी जाएगी। इनके पिताजी के नाम पर जमीन है। 2 साल 5 महीने से यह डिटेक्शन सेंटर में है।

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NPR नही होना चाहीए

19 लाख लोगों को फर्जी तौर पर असम के अंदर डिटेंशन सेंटर में डाला हुआ है। 19 लाख लोगों को नागरिक नहीं है ऐसा करार दिया गया। जिसमें 14 लाख हिन्दू है और 5 लाख मुसलमान है।

मैं सोच रहा था दिल्ली में 40 लाख पूर्वांचली रहते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार से आए हुए 40 लाख लोग हैं। अब यह सारे लोग अपने गांव में कागज बनवाने जाएंगे? और कौन इन्हें कागज बनवा कर देगा? पहले जमाने में तो सब लोग घर में ही पैदा होते थें। दाई आया करती थी उन दिनों में। अब कौन सर्टिफिकेट बना कर देंगा, कहां से लेकर आएंगे?

आज दिल्ली समेत 11 राज्यों की विधान सभाओंने प्रस्ताव पारित किया कहा है कि NPR और NRC लागू नहीं होना चाहिए। यह कोई छोटी बात नहीं है। 11 राज्य मतलब लगभग आधे भारतवर्ष ने कह दिया एनपीआर और एनआरसी लागू नहीं होना चाहिए।

मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, बिहार, पुदुचेरी आज दिल्ली भी इसमें शामिल हो रहा है। तामिलनाडु, बिहार और आंध्र प्रदेश-तेलंगाना इनके (भाजपा) समर्थक राज्य माने जाते हैं वहां भी इसका विरोध हुआ।

इन सब विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर दिया है कि के यह कानून पास नहीं होना हैं, लागू नहीं होना चाहिए। मेरी भी केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर विनती है कि इस पूरे एनपीआर को और एनआरसी को विड्रॉ किया जाए। और किसी भी हालत में इसको लागू नहीं किया जाए। माननीय श्रम मंत्री गोपाल रॉय द्वारा जो प्रस्ताव रखा गया था, उस प्रस्ताव का मैं पूरी तरह से समर्थन करता हूँ।

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