‘सेंट्रल विस्टा’ संसदीय इतिहास को मिटाने का प्रयास

लोकसभा से :

माननीय सभापति महोदय, आपने हमेशा मातृभाषा को प्रोत्साहित किया है और ज़ोर देकर कहा है कि इस सदन के सदस्य अपनी मातृ भाषा में अपने विचार व्यक्त करें। इस भावना को ध्यान में रखते हुए, मैं आज मराठी में बोलने जा रहा हूं। मुझे मराठी में बोलने का अवसर देने के लिए मैं आपका आभारी हूं।

मैं देश में बढ़ती हुए अनियोजित शहरी अराजकता के साथ-साथ व्यापक शहरीकरण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। कई लोगों ने यह विश्वास व्यक्त किया है और उम्मीद की है कि प्रधानमंत्री की अभिनव स्मार्ट सिटी परियोजना शहरों में, कम से कम शहरी सुंदरता, शहरी नियोजन और शहरी डिजाइन के संदर्भ में सुधार करेगी।

मैं शहरी विकास संबंधी संसदीय स्थायी समिति का सदस्य भी हूं। इसलिए मुझे कई शहरों में जाने का अवसर मिला है। सभी शहरों में सुंदरता लाने के बजाए, शहर बदसूरत और विकृत होते जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी के नाम पर, कुछ पुरानी परियोजनाओं को ही, मरम्मत आदि कार्य कर, नई परियोजनाओं के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है और करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

क्या कारण है कि राष्ट्रीय संगठनों जैसे कि नेशनल आर्किटेक्ट्स, अर्बन प्लानर्स और उनके आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन की बहुत गंभीर आपत्तियों के बावजूद, उन आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया है।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की लापरवाही राजधानी दिल्ली में बरती जा रही है, जहां 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से सेंट्रल विस्टा परियोजना को लागू किया जा रहा है और संसद भवन जैसी अनेक विरासतकही जाने वाली और ऐतिहासिक इमारतों को मिटाने के प्रयास किए जा रहे है।

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इतिहास की बरबादी

यह वह इमारत है जहाँ पडित जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्रीजी ने देश के गौरवशाली इतिहास को याद किया, जहाँ इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पाकिस्तान की पूर्ण हार के साथ और बांग्लादेश के निर्माण के साथ दक्षिण एशिया का इतिहास और भूगोल बदल गया।

उसके कारण आदरणीय भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इसी संसद में इंदिरा जी को कांप्लीमेंट दिया था। नए लोकसभा-राज्यसभा भवन का निर्माण करते समय, न केवल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को जगह से हिलाया गया, बल्कि पूरे संसदीय इतिहास को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।

यह केवल 20,000 करोड़ के धन की बरबादी नहीं है, बल्कि स्वतंत्र भारत के इतिहास की बरबादी है। संसदीय लोकतंत्र को एक तरह से चुनौती दी जा रही है। दुर्भाग्य से, इस परियोजना के कारण होने वाले दिल्ली के विघटन और विकृति को सभी के द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है।

जैसा कि उपर उल्लेख किया गया है, सैकड़ों आर्किटेक्ट्स, शहरी योजनाकारों ने सेंट्रल विस्टा स्कीम के रूप में इस परियोजना पर गंभीर आपत्तियां जताई है। करोड़ों रुपये की बरबादी को तत्काल रोका जाना चाहिए क्योंकि देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इतना कहकर में अपनी बात समाप्त करता हूँ, धन्यवाद।

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सभार : RSTV

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