जब दंगे हो रहे थें, तब राज्यसभा सांसद श्री. नरेश गुजराल नें दिल्ली पुलिस से सहायता मांगी, पर पुलिस ने मदद पहुँचाने से इनकार किया, गुजराल को पुलिस द्वारा कोई सहयोग नही मिला।
बताया जाता हैं कि इस वजह से कई लोगों कि जाने चली गई। 12 मार्च को राज्यसभा में दिल्ली दंगों पर चर्चा की गई जिसमें नरेश गुजराल नें भी भाग लिया। राज्यसभा टीवी के सौजन्य से हम उनकी चर्चा आपके लिए दे रहे हैं।
महोदय, 23 फरवरी (2020) दिल्ली के इतिहास में एक काला दिन था। सांप्रदायिक आग ने इस शहर को अपनी चपेट में ले लिया। हथियारबंद बदमाशों ने निर्दोष हिन्दुओं और मुसलमानों पर हमला किया।
करीबन 50 लोगों की जान चली गई। 300 से अधिक लोग घायल हुए और हजारों करोड की संपत्ति नष्ट हो गई। जिसमें, कम से कम कहने के लिए पुलिस की सहायता मिलना जरुरी थी पर वह नही मिल पाई।।
यह दंगा मुझे 1984 की याद दिलाता है जब काँग्रेस नेताओं के नेतृत्व में भीड़ द्वारा हिंसा का एक नंगा नाच फैलाया गया था, जो दिल्ली कि सडकों पर तीन दिन और रातों तक चलता रहा। जिसमें लगभग 3 हजार निर्दोष लोगों का नरसंहार किया गया।
‘Not surprising’: Akali MP Naresh Gujral alleges police inaction over Delhi violencehttps://t.co/qb3bpkTemr pic.twitter.com/z0PrZKJND4
— Hindustan Times (@htTweets) February 27, 2020
महोदय, यह रहस्य है कि इन दंगों की शुरुआत किसने की और इतने सारे गुंडे इस शहर में कहां से दाखिल हो गए। मैं कहता हूँँ कि बहुत ही निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से इसकी जांच होनी चाहीए, ऐसा आयोग चाहीए जो इस सच्चाई का खुलासा कर सके।
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महोदय, बुद्ध और गांधी की राजधानी में ही इस तरह के भयावह दंगे देखना देश शर्म की बात है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि निश्चित रूप से धूमिल हुई है।
अब, दोषारोप के खेल में लिप्त होने के बजाए, मैं समझता हूँँ कि हमें सामूहिक रूप से ऐसी स्थितियां बनाने का संकल्प लेना चाहिए ताकि इस देश में ऐसी घटनाएं कभी न हों। सहिष्णुता, समानता, करुणा और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों, जैसा कि महान गुरुओं द्वारा प्रचारित किया गया है, को केंद्र स्तर पर आना चाहिए।
“Forms of sexual violence, recognized under the IPC, including rape, assault or criminal force to outrage modesty or intent to disrobe, must be added to the categories of injury with a compensation amount of ₹5 lakhs,” the letter said https://t.co/AL6ZgRmpUD #DelhiRiots
— The Hindu – Delhi (@THNewDelhi) March 13, 2020
महोदय, सदभाव को घृणा पर विजय प्राप्त करनी चाहीए। यह समय उन लोगों के घावों पर मरहम (बाम) लगाने का है जिन्होंने नुकसान झेला है, चाहे वह वे कोई भी जाति-धर्म के लोग हों, जिन्होंने परिवार के सदस्यों को खो दिया हो या जिनके बच्चे और परिजन घायल हुए हैं या जो अपने व्यवसायों और घरों को खो चुके हैं।
हमें यह सुनिश्चित करना होंगा कि सभी अपराधी, चाहे उनकी पार्टी की विचारधारा हों या उनकी कोई भी धार्मिक लाइनें हों, उन्हें शीघ्र सजा दी जानी चाहिए। साथ ही, जो लोग पीड़ित हैं, उनके लिए पर्याप्त मुआवजे का भुगतान तुरंत किया जाना चाहिए और इसके लिए मैं केंद्र सरकार के साथ-साथ दिल्ली सरकार से भी अपील करूंगा।
हमें पीड़ितों को मामूली मुआवजा देने में 1984 को दोहराने की अनुमति नहीं देनी चाहिए जिसमें 35 साल से अधिक का समय लगा। और अपराधियों को अभी भी दंडित नहीं किया गया है!
महोदय, मुस्लिम समुदाय इस बात से खफा था कि उन्हें CAA में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि, जब CAA को NRC से जोड़ने और NPR के नए प्रारूप के साथ कुछ प्रयास किए गए तो उनके मन में भय, असुरक्षा और संदेह की भावना पैदा हुई।
उन्हें लगा कि उनसे उनकी नागरिकता छीन ली जाएगी। मैं सरकार से अनुरोध करूंगा कि वह उन्हें फिर से आश्वस्त करने के लिए तत्काल कदम उठाए कि उनका भय निराधार है।
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माननीय प्रधानमंत्री ने कई बार कहा है कि राष्ट्रव्यापी एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है। बिहार में भाजपा विधायकों द्वारा समर्थित बिहार के मुख्यमंत्री सहित अधिकांश मुख्यमंत्रीयों ने कहा है कि वे NPR के पुराने स्वरूप पर अडिग रहेंगे और मैं आशा करता हूं कि इसका पालन किया जाएगा ताकि इससे अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा दूर हो सके।
महोदय, भारत का विचार, जैसा कि हमारे संस्थापकों द्वारा परिकल्पित किया गया है, चार स्तंभों पर टिकी हुई है – जिसमें लोकतंत्र और जिन संस्थाओं का समर्थन किया गया है, विविधता, धर्मनिरपेक्षता और संघवाद में हमारी एकता हैं।
जब हम इनमें से किसी भी स्तंभ को कमजोर करते हैं, तो हम उस भवन को नीचे लाने का जोखिम उठाते हैं जिस पर यह पूरी संरचना टिकी हुई है
दंगा प्रभावित लोगों को सहायता पहुँचाने का कार्य पूरी तेज़ी से शुरू कर दिया है pic.twitter.com/sQM21Jj6ME
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 28, 2020
टॉलस्टॉय (Tolstoy) ने कहा, “यदि आप किसी देश को नष्ट करना चाहते हैं तो अपने नागरिकों को धर्म के नाम पर लड़ाइए। देश अपने आप ही नष्ट हो जाएगा।”
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महोदय, शांति और सदभाव का अर्थव्यवस्था के विकास से सीधा संबंध है। हमें अपने युवाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाए, आवास और सबसे महत्वपूर्ण नौकरियां प्रदान करने की जरूरत है जिसके लिए हमे बहुत बड़े संसाधनों की आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश, महोदय, हमारे पास बचत का एवरेज बहुत कम है।
हमें एफडीआई की जरूरत है लेकिन हम सभी को याद रखना चाहिए कि यदि हम सड़क पर संघर्ष करते हैं तो एफडीआई कभी नहीं आएगा। वे तब आते हैं जब सदभाव होता है, जब शांति होती है और जब किसी देश में शांति होती है तब वह आता हैं।
महोदय, अंत में यह कहेंगे कि लोकतंत्र में महान राजनेता और नेता हमेशा लचीले और उत्तरदायी रहते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके और लोगों के बीच विश्वास का बंधन सदा मजबूत बना रहे।
मुझे नेहरू की बात याद आई, जब उन्होंने हिंदी को सारे देश कि संपर्क भाषा बनाने की मांग कर दी थी और दक्षिण में बड़े पैमाने पर आंदोलन खडे हुए थे। मैं वापसी की बात कर रहा हूँँ, जब हिंदी को संपर्क वाली भाषा (link language) बनाने की मांग की गई थी।
दिल्ली के दंगे और हिंसा का मामला ब्रिटिश संसद में भी उछला… pic.twitter.com/tIEgmY1tK7
— BBC News Hindi (@BBCHindi) March 4, 2020
उस समय, नेहरू ने कहा, “हिंदी महत्वपूर्ण है लेकिन भारत की एकता से अधिक महत्वपूर्ण ऩही है।” हमारे पास आज एक प्रधानमंत्री हैं जो लोकप्रिय हैं। उन पर भरोसा किया जाता है क्योंकि उन्हें भारत के लोगों द्वारा दो बार भारी बहुमत से चुना गया है, और उनका मानना है, “सबका साथ, सबका विकास, सबका साथ।”
मैं गृह मंत्री से विनती करूंगा कि वे इसे बार-बार दोहराएं ताकि इस देश के सभी अल्पसंख्यक इस पर विश्वास करें और वह यह सुनिश्चित करे कि उन्हे इस सरकार पर भरोसा है। इससे एक औऱ संदेश जाता है कि उनका भविष्य इस सरकार के हाथ में है।
महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद।
*श्री. नरेश गुजराल का भाषण सुनने के लिए यहां क्लिक करे.
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