शिक्षा की विरासत लिए खडी हैं आदिलशाही लायब्ररियाँ

ध्यकालीन भारत में कई अभ्यासक, संशोधक और उच्चकोटी विद्वान थें। सभी ने भारत के बहुसांस्कृतिक सभ्यता और संमिश्र संस्कृति को शब्दो और ग्रंथों के माध्यम में संवर्धित किया।

मुग़लो के सत्ताशासन के बाद भारत के इस प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को  दुनिया में पहुँची। …

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एक मामूली शौक ने बनवा दिया सालारजंग म्युजिअम

तेलंगना की राजधानी हैदराबाद का सालारजंग म्युजिअम दुनिया भर के इतिहास प्रेमीयों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा हैं। नवाब मीर यूसुफ अली खान ने जमा कि हुई ऐतिहासिक वस्तुओं को एकत्जरित कर यह म्युजियम बनवाया गया था।

जिसमें आज निजाम राजवंश के कई

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राष्ट्रवाद कि परिक्षा में स्थापित हुआ था जामिया मिल्लिया

ये नागरिकता कानून देश को बांटने का का काम कर रहा हैं। इसलिए जामिया के छात्र CAA और NRC ने के खिलाफ खडे हुए हैं। इस विरोधी आंदोलन के चलते विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय निष्ठा पर संदेह किया जा रहा हैं।

पिछले महिनेभर से

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अपनी बेटी जिनतुन्निसा और येसुबाई के साथ औरंगजेब के कैसे थें रिश्ते?

राठा शाही घराने के जो सद्स्य पेडगाव के बहादूरगड (ता। श्रीगोंदा, जि। अहमदनगर) में लाए गए थे, इनमें येसुबाई, शाहू के अलावा शिवाजी महाराज की एक विधवा सखवार बाई और संभाजी महाराज, राजाराम महाराज कि पत्नीयाँ और कम

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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ : सत्ताधारीयों को खुली चुनौती देने वाला शायर

न दिनों भारत में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ बडा आंदोलन चल रहा हैं। बहुत सालों बाद युवा वर्ग रास्ते पर उतरकर धर्म को बांटने वाले इस कानून को रद्द करने कि माँग कर रहा हैं। आंदोलन में हबीब जालिब और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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शेरशाह सुरी : भोजपुरी संस्कृति का अफगानी नायक

शेरशाह सुरी, अफगाणवंश का वह धुरंधर योद्धा है, जिसने मुगल सत्ता को पराजीत कर दिल्ली पर अपना परचम लहरा दिया था। शेरशाह सुरी की उदारता, महानता की कई कहानियाँ आज भी मध्यकालीन इतिहास का अभिन्न अंग बनी हुई हैं।

शेरशाह को

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अशफाखउल्लाह के दोस्ती से हुआ था रामप्रसाद बिस्मिल का शुद्धिकरण

रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाखउल्लाह खान के दोस्ती के कई किस्से आज भी चर्चा का विषय बनते हैं। नये दौर में इन दोनों दोस्ती नई पिढी के लिए आदर्श मिसाल बनी हैं। जो भी इन दोनो क्रांतिकारीओं के बारे में जानता हैं या जानने की

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सालों तक इतिहास के गुमनामी में कैद रहा नलदुर्ग किला

नलदुर्ग महाराष्ट्र सभी भुईकोट किलों मे सबसे बडा माना जाता हैं। उस्मानाबाद जिले में स्थित यह किला आदिलशाही, मुघल तथा आसिफजाही सल्तनतों के देखरेख में रहा हैं इस किले कि सीमा करीब 3 किलोमीटर में फैली हैं। किले में कुल 114 बुर्ज हैं।

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मौसिखी और अदब कि गहरी समझ रखने वाले आदिलशाही शासक

जब दकन की सबसे बडी सल्तनत बहमनी का खात्मा हुआ तो, कुछ सुबेदारों ने अपनी अलग अलग सल्तनतें कायम कर ली। इनमें एक ‘सल्तनत ए बिजापूर’ भी है। जिसे आदिलशाही राजवंश कहा जाता है।

यह सल्तनत वास्तविक मायनों में बहमनी की जानशीन कही जा सकती

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आज भी अपनी महानतम सभ्यता को संजोए खडा हैं परंडा किला

महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित यह किला कई सालों से गुमनामी के अंधेरे मे छिपा हैं। किले के बारे में जानने के लिए जह हम यहां पहुँचे तो हमे कई हैरान करने वाली प्राचीन वस्तुओ का जखिरा मिला।

हम बात कर रहे हैं परंडा …

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