प्रो. बेन्नूर को थी मुहंमद अली जिन्ना से बेहद नफरत

भाग- 3

न 2007 में एक आश्चर्यकारक घटना मेरे जीवन में हुई। कराची की पीप्स पाकिस्तान इन्स्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल सायन्स (PIPS Forum) नामक एक एनजीओ हैं। वह 14 अप्रैल 2007 में डॉ. अम्बेडकर की जयंती मनाना चाह रहे थे। यह

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देशभर के विद्वानों से था प्रो. बेन्नूर का मेल-मिलाप

भाग- 2

प्रो. फकरुद्दीन बेन्नूर हमेशा के लिए लातूर छोड़ कर सोलापूर बस गए। पूर्व मंगलवार पेठ में उनका घर था। इच्छा होते हुए भी मैं सोलापूर जा नहीं पाता था। मेरी आर्थिक स्थिती काफी परेशानी वाली थी। परंतु वे महीने-दो महीने के अंतराल

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उच्च अभिनय प्रतिभा थी शौकत ख़ानम की पहचान

कैफी आजमी ने जब उमराव जानफिल्म देखी, तो उन्होंने कॉस्ट्यूम डिजाइनर सुभाषिणी अली को अपना रद्दे अमल देते हुए कहा, शौकत ने खानम के रोल में जिस तरह हकीकत का रंग भरा है,अगर शादी से पहले

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मंटो पढ़ते समय प्रो. फकरुद्दीन बेन्नूर होते भावविभोर

भाग- 1

प्रो. फकरुद्दीन बेन्नूर महाराष्ट्र का जाना-माना और नामचीन नाम। राजनीतिक विश्लेषक के रूप में उन्होंने कई किताबों की रचना की हैं। महाराष्ट्र ने उन्हें कई सम्मानों से नवाजा हैं। अगस्त 2018 में उनका निधन हुआ।

25 नवम्बर को उनका जन्मदिन। उनके करीबी दोस्त

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वामिक जौनपुरी ने शायरी से अकालग्रस्तों के लिए जोडा था चंदा

वामिक जौनपुरी का शुमार उन शायरों में होता है, जिनकी वाबस्तगी तरक्कीपसंद तहरीक से रही। जिन्होंने अपने कलाम से सरमायेदारी और साम्राज्यवाद दोनों पर एक साथ हमला किया। समाज के सबसे दबे-कुचले लोगों के हक में अपनी आवाज बुलंद की।

अपनी शायरी में

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नेहरू को नजरअंदाज करने की कोशिशे क्यों हो रही हैं?

पिछले कुछ सालों से, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी द्वारा भारत के पहले प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरु की विरासत को नज़रंदाज़ और कमज़ोर करने के अनवरत और सघन कोशिश की जा रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में उनका नाम लेने से

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उंगली कटी और किशोर बन गए दिलकश आवाज़ के मालिक !

भारतीय उपमहाद्विप के लोगों का शायद ही कभी एक दिन ऐसा गुजरा हो, जब उन्होंने किशोर कुमार के गाने नही सुने हो। किशोर एक दिलकश आवाज के मालिक थे। असल जिन्दगी में उतने ही हसमुख थे जितने फिल्मी परदे पर दिखते हैं। वे एक …

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आधुनिक शिक्षा नीति में मौलाना आज़ाद का रोल अहम क्यों है?

मुल्क में हर साल 11 नवम्बर, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की यौम-ए-पैदाईश, ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवसके तौर पर मनाई जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में आज़ाद का योगदान अतुलनीय है। स्वतंत्र भारत के वे पहले शिक्षा मंत्री थे। आज़ादी के

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महिला अधिकारों के हिमायती थे मौलाना आज़ाद

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद इस्लाम धर्म के अज़ीम आलिम, देशभक्ती, सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जज़्बा रखने वाले एक अद्वितीय शख्सियत थे। लेकिन, ये बहुत अफसोसनाक है कि उनकी खिदमात को तकरीबन भुला दिया गया है। स्कूल या कॉलेज जाने वाली नई पीढ़ी के छात्रों …

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अशोक महान हो सकते हैं तो टिपू सुलतान क्यों नहीं?

पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित 2015 में एक कार्यक्रम में बंगलुरु आए हुए थे। संयोग से मैं भी उस कार्यक्रम में मौजूद था। मैं उन्हें बहुत पहले से जानता हूं। मैंने उनसे पूछा कि दक्षिण भारत में वो और कहां जाने वाले हैं। (असल

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