आर्थिक न्याय के बारे में इस्लाम क्या कहता है?

न्याय इस्लाम के प्रमुख मूल्यों में से एक है औ कोई भी आर्थिक प्रणाली जो न्याय पर आधारित नहीं है वो इस्लाम के लिए काबिले कुबूल नहीं हो सकती है।

कुरआन न्याय सबकी पहुँच में हो इस पर बहुत जोर देता है और समाज

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महिला अधिकारों के हिमायती थे मौलाना आज़ाद

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद इस्लाम धर्म के अज़ीम आलिम, देशभक्ती, सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जज़्बा रखने वाले एक अद्वितीय शख्सियत थे। लेकिन, ये बहुत अफसोसनाक है कि उनकी खिदमात को तकरीबन भुला दिया गया है। स्कूल या कॉलेज जाने वाली नई पीढ़ी के छात्रों …

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आपसी बातचीत हैं समाजी गलत फहमियाँ दूर करने का हल

ज की दुनिया बहुत बहुरुपता वाली है। दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो एक सा और बिना विविधता के हो। हालांकि पहले भी भिन्नता मौजूद थी लेकिन उपनिवेशीकरण, वैज्ञानिक विकास और परिवहन के साधनों के विकास ने दुनिया के विविधता

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क्यों ढ़हाये हिन्दू शासकों ने मंदिर, तो मुसलमानों ने मस्जिदे?

में मुसलमान शासकों द्वारा मंदिरों को ध्वस्त किए जाने के बारे में बहुत कुछ पढ़ने को मिलता है लेकिन हम कभी भी हिन्दू या बुद्ध शासकों द्वारा मंदिरों व अन्य धार्मिक स्थलों को नष्ट करने के बारे में या काश्मीर के राजा हर्ष द्वारा

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सूफी-संत मानते थे राम-कृष्ण को ईश्वर का ‘पैगम्बर’

भारत के सांझी विरासत को सहजने में सूफी-संतो का बड़ा योगदान रहा हैं। वे हिन्दू और मुस्लिम जनता दोनो के करीब थे। हजारो कि संख्या में लोग उनके पास आते थे। सूफी ‘वहादत अल वजूद’ (जीव कि एकता) के सिद्धान्त मे यकिन करते थे। …

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क्या इस्लाम में परिवार नियोजन जाईज है?

ई लोग खास तौर से महिलाएं मुझसे पूछती रही हैं कि, क्या इस्लाम में परिवार नियोजन जायज़ है। वो बताती हैं कि इमाम और उलमा कहते हैं किक़ुरआन परिवार नियोजन के लिए मना करता है। और इस सम्बंध

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क्या इस्लाम महिलाओं को आधुनिकता से रोकता है?

ऊदी अरब कि शायरा (कवियित्री) हिसास हलाल (Hissas Hilal) ने 2010 में अपने देश में महिलाओं के प्रति सख्त प्रतिबंधों के खिलाफ बोली।

दरअसल उन्होंने एक टीवी चैनल कार्यक्रम में अपने गुस्से का इज़हार किया। सच माने तो यह विरोध की आवाज

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