पूर्वी लद्दाख में चीन कि घुसपैठ पर सरकार क्या बोली?

लोकसभा से:

होदय, मैं भारत और चीन सीमा पर हाल फिलहाल जो डेवलपमेंट्स हुए हैं, उसकी जानकारी देने के लिए, उस पर वक्तव्य देने के लिए सदन के समक्ष खड़ा हुआ हूं अध्यक्ष जी, पिछले वर्ष सितम्बर में इस गरीमामय सदन के समक्ष मैंने एक विस्तृत वक्तव्य ईस्टर्न लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर हुई डेवलपमेंट्स के बारे में दिया था।

मैंने यह बताया था कि चीन द्वारा पिछले वर्ष अप्रैल, मई 2020 के दौरान ईस्टर्न लद्दाख की सीमा के समीप भारी संख्या में सशस्त्र बल तथा गोला-बारूद आदि इकट्ठा कर लिया गया है।

चीन द्वारा एलएसी के आस पास कई बार ट्रांसप्रेशन का प्रयास भी किया गया था। हमारी सशस्त्र सेनाओं ने उन सभी प्रयासों के दृष्टिगत उपयुक्त जवाबी कार्रवाई की थी।

अध्यक्ष महोदय, राष्ट्र के साथ इस सदन ने भी उन वीर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी थी, जिन्होंने भारत की सीमा की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दिया था। आज मैं इस सदन को कुछ और महत्वपूर्ण डेवलपमेंट्स के बारे में जानकारी देना चाहता हूं।

पिछले वर्ष सितम्बर से दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के साथ मिलिट्री एंड डिप्लोमैटिक चैनल्स द्वारा संवाद स्थापित कर रखा है। हमारा यह लक्ष्य है कि एलएसी पर डिसइन्गेजमेंट तथा यथा स्थिति, यानी स्टेटस- क्वो हो जाए, ताकि पीस एंड ट्रॅक्विलिटी पुन: स्थापित हो सके।

मैं संक्षेप में वहां की ग्राउंड सिचुएशन के बारे में सदन को दोबारा अवगत कराना चाहता हू। सदन को ज्ञात है कि चीन ने अनधिकृत तरीके से लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के अंदर करीब 38 हजार स्क्वायर किलोमीटर पर वर्ष 1962 के संघर्ष के समय से कब्जा जमा रखा है।

इसके अतिरिक्त पाकिस्तान ने अनधिकृत तरीके से पाक ऑक्युपाइड कश्मीर में भारत की लगभग 5,180 स्क्वायर किलोमीटर भूमि तथा सिनो-पाकिस्तान बाउंड्री एग्रीमेंट, वर्ष 1963 के तहत चीन को दे दिया है। इस प्रकार भारत की भूमि पर चीन का लगभग 43 हजार स्क्वायर किलोमीटर अनधिकृत कब्जा है।

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बातचीत के जरिए हल

चीन पूर्वी क्षेत्रों में, अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर भी कई वर्ग किलोमीटर की भूमि को अपना बताता है। भारत ने इन अनजस्टिफाइड क्लेम्स तथा अनधिकृत कब्जे को कभी भी स्वीकार नहीं किया है।

अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को यह भी बताना चाहता हूं कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि बाइ-लेट्रल रिलेशन दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं। इसके साथ-साथ सीमा विवाद के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है, लेकिन एलएसी पर पीस एंड ट्रेक्विलिटी में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारी बाइ-लेट्रल टाइज पर बुरा असर पड़ता है।

इससे चीन भी अच्छी तरह से अवगत है। कई हाई लेवल ज्वाइंट स्टेटमेंट्स में भी यह जिक्र किया गया है। एलएसी तथा सीमाओं पर पीस एंड ट्रैक्विलिटी कायम रखना बाइ-लेट्रल रिलेशन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

अध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष से चीन के द्वारा उठाए गए कदमों के कारण पीस एंड ट्रॅक्विलिटी पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इसके फलस्वरूप चीन और भारत के संबंधों पर भी प्रभाव पड़ा है। उच्च स्तर पर चीन के साथ कई बार बातचीत के दौरान, जिसमें मेरे द्वारा चीनी रक्षा मंत्री के साथ पिछले सितम्बर की बैठक और मेरे सहयोगी विदेश मंत्री श्री जयशंकर जी की चीनी विदेश मंत्री के साथ तथा एनएसए अजीत डोभाल की अपने चीनी काउंटर पार्ट के साथ बातचीत भी शामिल है।

हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह अत्यंत आवश्यक है कि एलएसी के सभी फ्रिक्शन पॉइंट पर डिसइन्गेजमेंट किया जाए ताकि पीस एंड ट्रॅक्विलिटी पुनः स्थापित हो सके।

अध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष मैंने इस सदन को अवगत कराया था कि एलएसी के आसपास ईस्टर्न लद्दाख में कई फ्रिक्शन एरियाज बन गए हैं। चीन ने बड़ी संख्या में सेना और गोला-बारूद भी एलएसी के आसपास तथा उसके पीछे अपने क्षेत्रों में इकट्ठा कर लिया है।

हमारी सशस्त्र सेनाओं द्वारा भी भारत की सुरक्षा की दृष्टि से एडीक्वेट तथा इफेक्टिव काउंटर डिप्लॉयमेंट भी किए गए हैं। मुझे यह बताते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय पैंगोंग सो के साउथ व नों बैंक पर दिया है।

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई क्षेत्रों को चिन्हित कर हमारी सेनाएं कई पहाड़ियों के ऊपर तथा हमारे दृष्टिकोण से उपयुक्त अन्य क्षेत्रों पर मौजूद हैं। भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाड़ियों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारा एज बना हुआ है।

हमारी सेनाओं ने इस बात पर भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर है और अनवरत रूप से अपने कर्तव्य को पूरा कर रहे हैं।

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समझौते की स्थिति पर पहुंचे

अध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष मिलिट्री एंड डिप्लोमैटिक स्तर पर चीन के साथ हमारा संवाद बना रहा है। इस बातचीत में हमने चीन को यह बताया है कि तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान हम चाहते हैं।

पहला, दोनों पक्षों द्वारा एलएसी को माना जाए और उसका आदर किया जाए। दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यूनीलटरली स्टेटस क्वो को बदलने का प्रयास नहीं किया जाए। तिसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए। ये तीन बातें उनके समक्ष रखी गई थीं।

फ्रिक्शन क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट के लिए भारत का यह मत है कि 2020 की फारवर्ड डिप्लॉयमेंट, जो एक दूसरे के बहुत नजदीक है, वे दूर हो जाएं और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थायी एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं।

अध्यक्ष महोदय, बातचीत के लिए हमारी स्ट्रैटिजी तथा एप्रोच माननीय प्रधान मंत्री जी के इस दिशा-निर्देश पर आधारित है कि हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही यह फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं।

इन दिशा-निर्देशों के दृष्टिगत सितम्बर, 2020 से लगातार सैन्य और कूटनीतिक लेवल पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई है कि इस डिसइंगेजमेंट का म्यूचुअली एक्सेप्टेबल तरीका निकाला जाए। यह बातचीत हुई है। अभी तक सीनियर कमांडर्स के स्तर पर 9 राउंड्स की बात हो चुकी है। राजनयिक स्तर पर WMCC (Working Mochanism for Consultation & Coordination on India-China Border Affairs) के तहत बैठकें होती रही है।

अध्यक्ष महोदय, मुझे सदन को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारी इस एप्रोच तथा सस्टैंड टॉक्स के फलस्वरूप चीन के पैंगोंग लेक के नॉर्थ एवं साउथ बैंक पर डिसइंगेजमेंट का समझौता हो गया है और इस बात पर भी सहमति हो गई है।

अध्यक्ष महोदय, इस बात पर भी सहमति हो गई है कि पैंगोंग लेक से पूर्ण डिसइंगेजमेंट के 48 घंटे के अंदर सीनियर कमांडर स्तर की बातचीत हो, ताकि बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जा सके।

अध्यक्ष महोदय, पैंगोग लेक एरिया में चीन के साथ डिसइंगेजमेंट का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष फारवर्ड डिप्लॉयमेंट को फेज्ड, कोआर्डिनेटेड और वेरीफाइड मैनर में हटायेंगे। चीन अपनी टुकड़ियों को नॉर्थ बैंक में फिंगर 8 के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा।

मैं फिर से दोहराना चाहता हूँ। चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को नॉर्थ बैंक में फिगर 8 के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा। (व्यवधान) असदुद्दीन ओवैसी (हैदराबाद) : क्या आप फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग कर पाएंगे?

श्री राजनाथ सिंह: आप रूक जाइए, मैं बताता हूँ। हम बताएंगे। वह भी बताते हैं। बैंक में फिगर 8 के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा और इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकड़ियों को फिंगर थ्री के पास अपने परमानेन्ट बेस धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा।

इसी तरह की कार्रवाई साउथ बैंक एरिया में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी। ये कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे तथा जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल, 2020 से नॉर्थ एंड साउथ बैंक पर किया गया है, उन्हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी।

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हमने कुछ भी खोया नहीं

महोदय, यह भी तय हुआ है कि दोनों पक्ष नॉर्थ बैंक पर अपनी सेना की गतिविधियाँ, जिसमें परम्परागत स्थानों की पेट्रोलिंग भी सम्मिलित है को अस्थायी रूप से, अस्थायी रूप से स्थगित रखेंगे। पेट्रोलिंग तभी शुरू की जाएगी जब सेना एवं राजनयिक स्तर पर आगे बातचीत करके समझौता बनेगा। इस समझौते पर कार्रवाई कल से नॉर्थ एंड साउथ बैंक पर प्रारंभ हो गई है।

महोदय, मैं सदन को इस बात की भी जानकारी देना चाहता हूँ कि मेरी अभी तक की जो जानकारी है यानी स्टेटमेंट देने के लिए जब में इस सदन में आ रहा था, तब तक की जो जानकारी है, मेरी अभी तक की जानकारी के अनुसार जो समझौता हुआ है, उसका क्रियान्वयन अभी तक, मैं फिर से दोहरा रहा हूँ कि अभी तक ठीक तरीके से हो रहा है।

अभी तक दोनों तरफ से सारी बख्तरबंद गाड़ियाँ अपने परमानेन्ट बेस पर वापस जा चुकी हैं। यह हमें जानकारी मिली है। महोदय, मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है। में आगे की बात नहीं बोलना चाहूँगा।

महोदय, मैं इस सदन को पुन: आश्वस्त करना चाहता हूँ कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है। में सदन को यह भी जानकारी देना चाहता हूँ कि अभी भी एलएसी पर डिप्लॉयमेंट तथा पैट्रोलिंग के बारे में कुछ आउटस्टैंडिंग इश्यूज बचे हैं। इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा।

दोनों पक्ष इस बात पर सहमत है कि बाइ-लेट्रल एग्रीमेंट्स तथा प्रोटोकॉल के तहत पूर्ण डिसइंगेजमेंट जल्द से जल्द कर लिया जाए। यह सहमति बनी है। अब तक की बातचीत के बाद चीन भी देश की संप्रभुता की रक्षा के हमारे इस संकल्प से अवगत है।

हमारी अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिल कर बचे हुए मुद्दों को हल करने का पूरी गम्भीरता से प्रयास किया जाएगा।

अध्यक्ष महोदय, में इस सदन से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे साथ संपूर्ण सदन हमारी आर्म्ड फोर्सेस की इन विषम एवं भीषण बर्फबारी की परिस्थतियों में भी शौर्य एवं वीरता के प्रदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करे।

अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जिन शहीदों के शौर्य और पराक्रम की नींव पर यह डिसइंगेजमेंट आधारित है, उन्हें देश सदैव याद रखेगा।

अध्यक्ष महोदय, मैं आश्वस्त हूं कि यह पूरा सदन चाहे कोई भी किसी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा रहेगा और एक स्वर से समर्थन करता है कि यह संदेश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे विश्व तक जाएगा। इन्हीं शब्दों के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

सभार : LSTV

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