लोकसभा में सवाल, हज सब्सिडी बंद हुई तो कितने स्कूल्स खुले?

लोकसभा से :

ध्यक्ष महोदय, 8 नवम्बर, 2016 को वजीरे आजम, नरेन्द्र मोदी साहब टीवी पर आते हैं और यह ऐलान करते हैं कि चार घंटे में 500 रुपए और 100 रुपए के नोट खत्म हो जाएंगे। यह इसलिए फैसला नहीं लिया जाता है कि वह अपनी अहमियत जताना चाहते थे या मजाक के तौर पर यह फैसला लिया गया।

उन्होंने उसका रीजन दिया कि हम यह इसलिए कर रहे हैं कि हमें तीन बातों का हल चाहिए। एक यह है कि इसके जरिए हम ब्लैक मनी हासिल करेंगे। दूसरा यह है कि मार्केट में जो काउंटरफीट नोट्स हैं, बाजारों में नकली नोट्स हैं, हम उस पर कंट्रोल करेंगे और तीसरा यह है कि हम डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देंगे।

मैं आज यह सवाल करना चाह रहा हूं कि आज वर्ष 2020 है। वर्ष 2016 में जो बातें की गई थी और वर्ष 2020 में जो हकीकत है, उसके बारे में बताना चाहता हूं। ब्लैक मनी के बारे में बताया गया था कि तीन से चार लाख करोड़ रुपए ब्लैक मनी निकल जाएगा, लेकिन 1.3 लाख करोड़ रुपए निकले।

जब वर्ष 2016 में डिमॉनिटाइजेशन किया गया, तो उस वक्त काउंटरफीट नोट्स के 6.32 लाख पीसेज मिले थे। मैं आपको वर्ष 2020 के आंकड़े बताता हूं कि आज भी नकली नोटो का चलन कितना है, आज भी नकली नोटों के 18.87 लाख पीसेज आरबीआई और अलग-अलग डैक्स में हैं।

इसका मतलब यह हुआ कि न तो ब्लैक मनी हासिल हुई और न ही आप नकली नोट पर काबू पारा यकीनन डिजिटल पेमेंट थोड़ा बढ़ा है। उसके लिए क्या इतना बड़ा फैसला लेना कि हम डिमॉनिटाइजेशन करेंगे, यह गलत है। मैं समझता हूं कि उस वक्त जब यह फैसला लिया गया था, तो इस सदन में बैठे हुए जितने भी लोग थे, बड़े जोरदार तरीके से तालियां बजाई थी।

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माइनॉरिटीज बजट कम क्यों?

मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या आप में हिम्मत है कि आप अपनी सरकार और वजीरे आजम से पूछ सके कि आपने वर्ष 2016 में हमें लाइनों में खड़ा किया था और यह बताया था कि इससे यह हासिल होगा, लेकिन यह हासिल नहीं हुआ। यह बजट के भाषण का हिस्सा नहीं बनेगा, यह इसलिए नहीं बनेगा। क्योंकि आपने उस वक्त लोगों को गुमराह किया था।

सभापति महोदय, मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूं, मैं यह सवाल भारतीय जनता पार्टी से नहीं करना चाहता हूं, क्योंकि माइनॉरिटीज का इनसे कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन मैं दो सो कॉल्ड सेक्युलर पार्टीयों के बीच में यहां बैठा हूं। माइनॉरिटी के बजट में 1024 करोड़ की कटौती की गई है।

क्या वजह है कि यह मुद्दा सिर्फ इम्तियाज जलील उठाएगा जो लोग मुसलमानों के नाम पर वोट मांगने का काम करते हैं, उनमें से कितने लोगों ने इस मुद्दे को उठाया है, हम यह सवाल करना चाहते हैं। 1024 करोड़ रुपये की कटौती माइनॉरिटी बजट में कर दी गई है। मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप, फ्री कोचिंग, इंट्रेस्ट सब्सिडी ऑन एजुकेशन लोन, ऐसे कुल मिला कर 110 करोड़ रुपए की कटौती की गई है।

सभापति महोदय, मैं माइनॉरिटी अफेयर्स मिनिस्टर, मुख्तार अब्बास नकवी साहब से एक सवाल करना चाहता हूं। इसी सदन में मेरी पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवेसी साहब ने कहा था कि मुसलमानों को हज की सब्सिडी नहीं चाहिए। यह हमारा मजहबी फरीजा ही यह हम अपने जेब से खर्च करेंगे, लेकिन आप उस पैसे से मुसलमानों को पढ़ने के लिए स्कूल्स, कॉलेजेज और हॉस्टल्स खोलिए।

मैं एक सवाल करना चाहता हूं कि आपने हज की सब्सिडी बंद कर दी है। कितने स्कूल्स, कितने कॉलेजेज और कितने हॉस्टल्स खोले गए हैं, आपको इसका जवाब देना पड़ेगा।

दूसरी बात यह है कि वित्त मंत्री जी, हम यह गर्व से कहते हैं कि हमारा देश कितना आगे जा रहा है, लेकिन पेट्रोल और डीजल के मामले में हम किसके साथ मुकाबला कर रहे हैं? हम से आगे कौन-कौन से देश हैं? साउथ – ईस्ट एशियाई देशों- जिनमें नेपाल, भूटान, मलेशिया, पाकिस्तान हैं, इन सभी देशों में पेट्रोल और डीजल की कीमत क्या है, यह आप अच्छी तरह से जानते हैं।

हम यह कहेंगे कि पेट्रोल और डीजल का जिक्र बजट के अन्दर नहीं करेंगे। लेकिन धीरे-धीरे एक-एक, दो-दो रुपए बढ़ाते रहेंगे, आपने एलान किया है कि आप सौ सैनिक स्कूल्स बनाएंगे। हम आपसे अनुरोध कि औरंगाबाद में भी एक सैनिक स्कूल बनाया जाए।

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क्या बेच रहे हैं?

आप बैंक्स बेच रहे हैं, एयर इंडिया बेच रहे हैं, आप हर चीज बेच रहे हैं। अगर आप बैंक्स बेच रहे हैं, तो मैं आपसे एक सवाल करना चाहता हूँ एक आरटीआई जवाब मिला है, उसमें यह कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में 50 विलफुल डिफॉल्टर्स, जो बड़े-बड़े धन्नासेठ हैं, उनके लिए 68,600 करोड़ रुपए का राइट-ऑफ किया गया है।

पुणे में एक आरटीआई एक्टिविस्ट हैं- विवेक वेलणकर, इन्होंने 12 पीएसबी यानी पब्लिक सेक्टर बैंक्स का सर्वे किया, आरटीआई से पूरे डॉक्युमेंट्स निकाले हैं और पता चला है कि आपकी दौर हुकूमत के अन्दर, पिछले आठ साल के अन्दर 6.32 लाख करोड़ रुपए का लोन राइट-ऑफ किया गया है।

लेकिन आप जवाब देते वक्त यह कहेंगे कि राइट-ऑफ का मतलब यह नहीं है कि पैसे नहीं लिये ये पैसे जो लोग लेकर जा रहे हैं, वे कौन लोग हैं, जो आज दुबई, लंदन में बैठकर ऐश कर रहे हैं। इनके बारे में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा ये जो अमीरे शहर है,

बड़े शौक से गरीबों का हक खा जाते हैं,

क्या ये रात को अपने

बिस्तर पर चैन से सो पाते हैं?

(सभार: LSTV)

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