लोकसभा से :
जनाबे चेयरमैन साहब, आपका बहुत शुक्रिया। मैं सदरे जम्हूरिया के खुद के मोशन के खिलाफ बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ मैं अपनी बात का आगाज़ उस मुल्क का नाम ले कर करना चाहता हूँ, जिसका नाम लेने से हमारे वजीरे आज़म डरते हैं और कांपते हैं। उस मुल्क का नाम चाइना है।
इस चीन ने 45 साल के बाद भारत और चीन की सरहद पर हमारे बीस सिपाहियों को मार दिया और उनकी शहादत को यह हुकूमत रायगा जाने दे रही है। जिस मुकाम पर इनको मारा गया था, उस मुकाम पर आज भारत की फौज, पीपी-4, पीपी-8 तक पेट्रोलिंग नहीं कर सकती हैं।
आज अरुणाचल प्रदेश में, भारत की ‘एलएसी’ में चीन ने अपने गांवों को बता दिया है। यह सरकार चीन से लफ़्जी तौर पर इस बात का एतेजाज़ करने की ताकत नहीं रख सकती है कि आपने भारत के लिए सिकंदर एक गांव को बना दिया है।
नाकूला, सिक्कम में चीन घुस रहा है, आखिर उस हुकूमत को क्या डर है और खास तौर से वज़ीरे आज़म को कि वे चीन का नाम लेने से भी डरते हैं। भाई, मुल्क सालिनियत का मसला है। मुल्क की ज़मीन पर चीन कब्ज़ा करते जा रहा है और भारत के वज़ीरे आज़म चीन का नाम नहीं लेते हैं।
मैं उम्मीद करता हूँ कि जब वजीरे आज़म अपना रिप्लाई देंगे तो वे हिम्मत दिखाएंगे और चीन का नाम ले कर कहेंगे कि चीन यहां इन जगहों पर घुसा हुआ है।
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सिंघु पर बॉर्डर, चीन पर नही!
चीन आज भी अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है। वहां पर फ़ौज़ को बढ़ा रहा है। मैं सरकार से जानना चाहता हूँ कि जब बर्फ पिघल जाएगी तो चीन दोबारा भारत की फौज़ पर हमला करेगा। तो आप इसके लिए क्या तैयारी कर रहे हैं?
सर, मैं यह तकरीर इसलिए भी कर रहा हूँ, क्योंकि मैं एक आंदोलनजीवी हूँ। हाँ, मैं एक आंदोलनजीवी हूँ और मुझे उसका फ़न है। इसलिए मैं खुल कर बोल रहा हूँ, अलफ़ाज़ छाप कर, किसी से डर कर बोलना मेरी फितरत में नहीं है।
सर, अफसोस तो इस बात का होता है कि जिस जगह पर हमको इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना था, वह हमने टिकरी पर बना दिया। जिस जगह पर हमको वह इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना था, हमने सिंघू पर बना दिया। जो इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत थी, हमने गाज़ीपुर पर बना दिया, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में नहीं बनाया। आखिर हो क्या रहा है?
किसान से जो बर्ताव किया जा रहा है, ऐसा लग रहा है कि वह चीन की फौज बनी हुई है और जो चीन की फौज़ से बर्ताव किया जाना था, वह आप किसानों से कर रहे हैं। तो मैं इस हुकूमत से जानना चाहता हूँ कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और यह किसानों से जुल्म क्यो किया जा रहा है?
सर, यहां पर इन तीनों कानूनों को आपको वापस लेना पड़ेगा। आपकी अना को थोड़ा मिटाना पड़ेगा और तीनों कानूनों को वापस लेना पड़ेगा। यहा पर मुझे साहिर लुधियानवी का एक शेर याद आ रहा है। मैं साहिर लुधियानवी के साथ माज़रत (माफी) के साथ उस शेर में ज़रा तरमीम (विडंबन) कर के कहना चाहूंगा कि जो मौजूदा हालात पर है कि साहिर के शेर को थोड़ा तब्दील कर के कहता हूँ कि
चीन पर करम और किसानों पर सितम,
रहने दे थोड़ा सा भ्रम,
ऐ जाने वफा यह जुल्म न कर
यह साहिर लुधियानवी ने कहा था। बहरहाल यह जो किसानों का कानून है, इसमें क्या ‘काला’ है? ‘काला’ इसमें यह है कि इस हाऊस को, एग्रीकल्चर स्टेट सब्जेक्ट है और वह कहां लिखा है? संविधान में एंट्री 14, एंट्री 28, शेड्यूल 7 में है। और यह फेडरलिज्म के खिलाफ है। केशवानंद भारती (एक चर्चित न्यायालयीन मामला) खास तौर पर कहता है कि फेडरलिज्म बेसिक स्ट्रक्चर है, तो यह सबसे बड़ा काला है।
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आंदोलन होते रहेगे!
सर, किसानों के इस पूरे एजिटेशन से क्या बात मालूम हुई कि सरकार को इस लोक सभा की अस्मत, इसकी खूबसूरती की कोई इनके पास हैसियत नहीं है। सरकार इस ऐवान (संविधान) से डरती नहीं है। सरकार किससे डरती है?
जब लोग रोड पर निकल कर आते हैं तो मोदी जी की नींद हराम हो जाती है। तो आप वही पैगाम दे रहे हैं कि लोग रोड पर निकलें, तो सरकार कहती है कि हम डेढ़ साल तक कानूनों को मुल्तवी (बरखास्त) कर देंगे।
अरे! आप यह कैसे बोलते हैं? क्या यह इस ऐवान की तौहीन नहीं है? आप यहां पर कानून अपनी ताकत की बुनियाद पर बनाते हैं और इस लोक सभा की अज़मत को नेस्तनाबूत कर देते हैं? इस बात का पैगाम आपने दिया कि जब लोग रोड पर निकल कर आते हैं तो आप डरते हैं।
आप बनाओ सीएए के रूल्स, इन्शा अल्लाह हम दोबारा रोड पर निकलेंगे। पूरे भारत में उसके खिलाफ एतेज़ाज होगा। सर, तीसरी बात – सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास यह भी ‘झूठ’ है। क्यों ‘झूठ’ है? बाबरी मस्जिद के डिमोलिशन का केस आता है। जजमेंट आता है और केस में कहा जाता है कि किसी ने नहीं तोड़ा।
आखिर सरकार उस जजमेंट के खिलाफ अपील क्यों नहीं करती? सुप्रीम कोर्ट ने ‘डेमोलिशन ऑफ बाबरी मस्जिद’ को एक ‘क्रिमिनल एक्ट’ कहा। आप हुकूमत में हैं। आप अपील इसलिए नहीं कर रहे हैं कि आप अपने लोगों को पैगाम देना चाहते हैं। क्या पैगाम देना चाहते हैं, कि बेटा काशी, मथुरा में भी तोड़ दो, हम तुम्हारे साथ हैं।
बाबरी मस्ज़िद डेमोलिशन केस को अपील नहीं करना चाहते हैं। क्या आप इन्साफ पसंद नहीं हैं? क्या आप मजलूम के साथ नहीं खड़े रहना चाहते? क्या आप जालिमों को जेल में नहीं भेजना चाहते, जिन्होंने 6 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद को शहीद किया?
आपकी खामोशी इस बात का इकरार है कि आप तशद्दुद (असहिष्णु) पसंद हैं। आप जबर के नाम पर, आपके पास कानून की बालादस्ती का कोई रोल नहीं है।
सर, चौथा प्वाइंट – आंदोलनजीवी, पैरासाइट.. सर, जम्हूरियत की बका के लिए, संविधान की बका के लिए आंदोलन करना जरूरी है और वज़ीरे आज़म, या कोई बरसरे इख्तिदार जमात (सत्तापक्ष) के लोग अगर आंदोलनजीवी या पैरासाइट का लफ्ज इस्तेमाल करेंगे तो मैं आपके जरिए इस हुकूमत को याद दिलाना चाहता हूं कि हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों के खिलाफ उन्हें ‘कॉकरोचेज’ कहा, ‘टरमाइट्स’ कहा उसके बाद देखते हैं कि 2 मिलियन से ज्यादा यहूदियों को गैस चैम्बर में डाला गया।
इस तरह के अल्फाज इस्तेमाल करने से क्या आप भारत में वही जर्मनी की तारीख को दोहराना चाहते हैं? माननीय अध्यक्षः बोलते समय थोड़ा ध्यान रखें।
सर, यहां पर आदोलनजीवी, आंदोलन नहीं करना कहा गया किसी शायर ने अच्छा कहा था,
जिसमें न हो इंकिलाब,
मौत है वो जिन्दगी,
रूहे गम की हयात,
कस्मकश है इंकिलाब।
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कौन सी फॉरेन पॉलिसी?
सर, अब फॉरेन पॉलिसी पर आ जाइए। किसी ईना, मीना, डीका ने ट्वीट किया, आप परेशान हो गए। ईना, मीना, डीका ने ट्वीट किया, आप खड़े हो गए। आपकी कौन सी फॉरेन पॉलिसी है? भारत के एतराफ में जितने पड़ोसी हैं, चीन ने हमला किया। कौन – सा एक पड़ोसी है, जो चीन के खिलाफ बोलता है? बताइए?
कोई नहीं बोलता, मुँह नहीं खोलता! श्रीलंका में आप पोर्ट बना रहे हैं। किसके साथ? जापान के साथ! किसको काम मिल रहा था? आपके नूरे – नजर को, आपके चहेते नूरे नजर को। श्रीलंका ने कहा कि हम भारत को टर्मिनल पोर्ट यहां पर नहीं बनाने देंगी आप (यहां) फॉरेन पॉलिसी के बारे में बताइए।
सर, नेपाल का वज़ीरे आज़म कहता है कि भारत से ताल्लुकात उस वक्त तक बहाल नहीं होंगे, जब तक भारत, नेपाल की ज़मीन वापस नहीं करता। कहां सो रहे हैं आप?
पड़ोस में कोई हमारा दोस्त नहीं है। चीन, बांग्लादेश से कोविड की बात करता है। अफगानिस्तान से अमेरिका छोड़ कर जा रहा है। क्या आपके पास कोई पॉलिसी है? गनी हुकूमत को सपोर्ट करने की आपके पास कोई पॉलिसी नहीं है।
सर, FDI का मतलब अब समझाता हूं। एफडीआई का मतलब यह है कि 5 फरवरी को ब्रैड शर्मन, जो अमेरिका के रिप्रेजेंटेटिव हैं, उनके पास भारत के, अमेरिका के सफीर गए। ब्रैड शर्मन ने ट्वीट करके कहा कि “भारत सरकार को इंटरनेट खोलना चाहिए, भारत सरकार को पीसफुल प्रोटेस्ट करना चाहिए!” ब्रड शर्मन कौन होता है, जो भारत को सिखाए? यह एफडीआई कर है!
भारत सरकार का डिप्लोमट, एम्बसेडर बैठ कर उसका लेक्चर सुनता है। उसके बाद क्या होता है? तीन दिनों के बाद आप कश्मीर में इंटरनेट खोल देते हैं। यह आप एफडीआई कर रहे हैं, हम नहीं कर रहे हैं।
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कश्मीरियों के लिए कौन रोएगा?
बात कश्मीर की आई। कौन है इम्तियाज़, कौन है अबरार, कौन है इब्रार? इनको शोपियान में एन्काउन्टर पर मार दिया गया। प्रूफ हो गया। आर.आर. सेक्टर का ब्रिगेडियर, जिसने इन्हें टेररिस्ट कह कर मारा, उसे आपने अवार्ड दे दिया। इन मरने वाले कश्मीरियों के लिए कौन रोएगा? क्या वज़ीरे आजम रोएंगे, क्या कोई रोएगा?
सर, एक और बात है। बात आई कि शादी के घर में गुस्सा होता है। अरे, कौन सी शादी की बारात है कि 18 लाख करोड़ टैक्स मिलता है और 36 लाख करोड़ यह सरकार खर्च करती है? क्या शादी कर रहे हैं आप? वाह… वाह…, माने वाकई में आपकी इकोनॉमिक पॉलिसी को सलाम कि 18 लाख करोड़ टैक्स में मिलते हैं, 36 लाख करोड़ आप लोग शादी में खर्च करते हैं। आपको मुबारक हो। शादी का यह बड़ा शानदार घर है।
सर, दिल्ली के ‘लॉ एण्ड ऑर्डर’ की बात है तो एक साल में तीन बड़े दंगे हो गए। एडवोकेट पुलिस, उसके बाद सी.ए.ए. के 50 से ज्यादा रायट्स हुए। उसमें लोग मारे गए। 20 से ज्यादा मस्जिद को नुकसान हुआ। क्या यह सरकार जिम्मेदार नहीं है?
आपकी सरकार है, आपके होम मिनिस्टर हैं। आप रोक नहीं पा रहे हैं, आपकी कमजोरी और आपकी नादानी की वजह से। आप में दूर अंदेशी नहीं है, आप उसको एलाउ कर रहे हैं। फ़ैजान का कातिल कौन है? आपने अब तक फ़ैजान के कातिल को क्यों नहीं पकड़ा?
जिन बच्चों को रोड पर मारा जा रहा था, जन-गण-मन बोला जा रहा था, एक तो अभी तक आप नहीं पकड़ा।
सर, आखिर में मैं आपका ध्यान एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट की तरफ दिलाना चाहता हूँ। नीति आयोग के 20 में से 11 बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट्स मुस्लिम डोमिनेटेड हैं। सीमांचल में कटिहार, पुर्णिया और अररिया है। पुर्णिया के एयरपोर्ट का सिविल टर्मिनल का काम क्यों नहीं होता है?
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माइनॉरिटी स्कॉलरशिप कहां हैं?
सर, अब आप माइनॉरिटीज पर आ जाइए। तीन स्कॉलरशिप स्कीम्स हैं। मैं पुकार रहा हूँ, मुतालिबा कर रहा हूँ कि हमारी डिमांड पूरा कीजिए। सरकार ने वर्ष 2020-21 में तीन स्कॉलरशिप के लिए 2,265 करोड़ रुपये का एलान किया। आपने कितने पसे दिए?
आप सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात करते हैं, लेकिन 400 करोड़ रुपये से 30 करोड़ रुपये कर दिए। आप किसको झुठ बना रहे हैं? आप लोग इसे पढ़िए।
सर, उसके बाद आप देखिए कि कितने को माइनॉरिटी स्कॉलरशिप नहीं मिली। 42 लाख 36 हजार माइनॉरिटी स्कॉलरशिप नहीं मिली सबसे ज्यादा इलिटरेसी मुसलमानों की हैं, लेडीज की है। आप बोलते नहीं हैं।
आखिर में मैं आपके जरिए से हुकूमत से अपील कर रहा हूँ कि आदोलन होगा, नाइन्साफी के खिलाफ आवाज़ उठेगी, संविधान को बचाया जाएगा।
नरेंद्र मोदी भारत के वजीरे आज़म है, दिल्ली सल्तनत के बादशाह या जहाँपनाह नहीं है। जिल्ले इलाही का दौरा खत्म हो चुका है, जहाँपनाह का दौर खत्म हो चुका है। मोदी की आँखों में आँख डाल कर उनकी गलतियों को बोला जाएगा। इसीलिए किसी शायर ने कहा था कि
जो चुप रहेगी ज़बान-ए-खजर,
लहू पुकारेगा आस्तीन का सर,
बहुत-बहुत शक्रिया।
सभार : LSTV
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AIMIM के यह सांसद किसी परिचय के मोहताज नही हैं। स्पष्टवक्ता और तेजतर्रार भाषणो के लिए वह दुनियाभर में जाने जातें हैं। (यहां उनकी संवैधानिक तकरीरे ट्रान्सस्क्रिप्ट की जाती हैं। उनकी भूमिका से संपादक सहमत हो जरुरी नही।)