समाज में समता स्थापित करने बना था ‘अलीगढ कॉलेज’

र सय्यद अहमद खान ने 1875 में मोहम्मेडन अँग्लो ओरिएंटल कॉलेजकि स्थापना की थी। जो आगे चलकर 1920 में अलीगढ मुस्लिम युनिव्हर्सिटीबनी।

मुसलमानों के लिए स्वतंत्र रूप से कॉलेज स्थापन करने के बाद सय्यद अहमद पर हिंदू और

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साहिर की बरबादीयों का शोर मचाना फिजुल हैं

शायर जब जिन्दा होता हैं तो वह लोगों के लिए मरा हुआ होता हैं। और जब वह मर जाता हैं तो लोगों के लिए वह जिन्दा हो जाता हैं। जो लोग उससे मुँह फेरते थें वही उसके मरने के बाद उसपर कसिदे गढते हैं

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इस्लाम से बेदखल थें बॅ. मुहंमद अली जिन्ना

पाकिस्तान के संस्थापक बॅमुहंमद अली जिन्ना को दुनिया कायदेआज़मके नाम से जानती हैं। महात्मा गांधी ने यह नाम उन्हें दिय़ा था। पाकिस्तान के पहले गव्हर्नर जनरल रहे बॅ. जिन्ना जीते जी किवंदती बन गये थें।

निधन के सात दशक

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शांति और सदभाव के पैरोकार थें असगर अली इंजीनियर

पिछले तीन दशकों ने यह साबित किया है कि देश को विभाजित करने के सांप्रदायिक ताकतों के प्रयास, समाज में शांति के स्थापना और देश के विकास में बाधक हैं।

यद्यपि भारत में सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत सन् 1961 (जबलपुर) से ही

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… तो कर्नाटक का शिवाजी रहता टिपू सुलतान

ज भी कर्नाटक में उस पर लिखे हुए कई लोकगीत प्रचलित हैं। वे राज्य के लोगों की स्मृति में अब तक जिन्दा हैं। कन्नड़ के प्रसिद्ध नाटककार गिरीश कर्नाड टिपू के इतने जबरदस्त प्रशंसक थें कि उन्होंने यह मांग की थी कि बेंगलुरू के

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रफिक ज़कारिया महाराष्ट्र के राजनीति के विकासपुरुष

न 1962 को अलग महाराष्ट्र राज्य का पहला विधानसभा चुनाव घोषित हुआ था। तब उस चुनाव में भाग लेने प्रधानमंत्री पण्डित नेहरू नें डॉ. रफिक ज़कारिया (Dr. Rafiq Zakaria) को महाराष्ट्र भेजा। उस समय वे दिल्ली की सियासत में अपनी अच्छा पकड

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राजनीति और फर्ज को अलग-अलग रखते थें न्या. एम. सी. छागला

छागला करीबन 11 साल तक बंबई उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधिश रहेउन दिनों मे उन्होंने एक बार छुट्टी नही ली। सुबह ठीक साडे ग्यारह बजे वह कोर्ट में हाजीर होते। अपने सामने पडे मामलों को वह जल्द से जल्द निपटाने में यकीन

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जाकिर हुसैन वह मुफलिस इन्सान जो राष्ट्रपति बनकर भी गुमनाम रहा

धुनिक भारत कि शिक्षा नीति को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला यह शख्स वैसे तो एक गुमनाम जिंदगी जिता रहा। देश के प्रथम नागरिक बनने के बाद वे लोगों में परिचित हुए। उससे पहले वे बिना शोर शराबा और बिना चर्चा मे आए

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विश्व के राजनीतिशास्त्र का पितामह था अल फराबी

स्लाम की स्थापना के पश्चात अरब समाज में कई अहम चिंतक पैदा हुए। जिन्होंने ॲरिस्टॉटल, सॉक्रेटिस औऱ प्लुटो के तत्त्वज्ञान का अध्ययन कर मानवी समाज की प्रगती में बडा योगदान दिया। इनमें से एक नाम ‘अल फराबी’ का भी हैं। 

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अब्बास तैय्यबजी : आज़ादी के इतिहास के गुमनाम नायक

ब्बाजी’ के नाम से प्रसिद्ध अब्बास तैय्यबजी (Abbas Tyabji) महात्मा गांधी के करीबी अनुयायी थे। वे तैय्यबजी परिवार के प्रमुख व्यक्ति थें जिन्होने भारत के स्वाधिनता संग्राम में भाग लिया था। अब्बाजी के बारे में अपर्णा बसु लिखित जीवनी (NBT)

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