बच्चे पैदा करना मुसलमान और हिन्दू दोनों के लिए देशद्रोह !

किताबीयत : दि पॉपुलेशन मिथ 

पनी नवीनतम पुस्तक दि पॉपुलेशन मिथ: इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया में, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी व्यवस्थित रूप से इस मिथक को तोड़ते हैं कि मुस्लिम आबादी जल्द ही

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गरिबों को ‘मुफ़लिसी’ से उबारने का नाम हैं ‘ईद उल फित्र’ !

दुनिया भर के मुसलमानों के लिए ईद-उल-फ़ित्रकी बेहद अहमियत है। यह त्यौहार इस्लाम के अनुयायियों के लिए एक अलग ही ख़ुशी लेकर आता है। ईद के शाब्दिक मायने ही बहुत ख़ुशी का दिनहै।

ईद का चांद आसमां में

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क़ुरआन समझने की शर्त उसे खाली जेहन होकर पढ़े !

क़ुरआन अल्लाह की तरफ से उतारी गई एक दावती किताब है। अल्लाह तआला ने अपने एक बन्दे को सातवीं सदी ईसवीं की पहली तिहाई में एक ख़ास कौम के अंदर अपना नुमाइंदा बनाकर खड़ा किया और उसे अपने पैग़ाम की पैग़ाम्बरी (संदेशवाहन) पर मामूर

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कुरआनी आयतों पर रिजवी का बयान गहरी साजीश का हिस्सा

त्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर यह मांग की है कि क़ुरआनकी 26 आयतों को इस पवित्र पुस्तक से हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे चरमपंथ को

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महिला सम्मान एवं अधिकार के पैरोकार पैग़म्बर!

द उल मिलाद उन नबी त्योहार, खुदा के प्यारे रसूल हजरत पैग़म्बर मुहंमद सल्ललाहोवलैहिसल्लम की पैदाइश की याद में मनाया जाता है। यह त्योहार ईदों की ईद है। यदि ईद मिलादुन्नबी ना होती, तो ईद और ईदुल अज्हा की खुशी न मिलती।

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आपसी बातचीत हैं समाजी गलत फहमियाँ दूर करने का हल

ज की दुनिया बहुत बहुरुपता वाली है। दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो एक सा और बिना विविधता के हो। हालांकि पहले भी भिन्नता मौजूद थी लेकिन उपनिवेशीकरण, वैज्ञानिक विकास और परिवहन के साधनों के विकास ने दुनिया के विविधता

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CAA विरोधी आंदोलन धार्मिक एकता स्थापित करने का समय

पिछले दिनों पुणे के आजम कॅम्पस में नागरिकता कानून के विरोध में विशाल जनसभा हुई। जिसमें जमात इस्लामी के नायब सदर एस. अमीनुल हसन ने संबोधित किया उन्होंने अपने तकरीर में मुसलमानों के कई सामाजिक मसलो पर बात की जिसके एक

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साम्राज्यवाद की गिरफ्त में इस्लामी विद्रोह

स्लाम के कुछ अनुयायी थें जिन्होने तत्वज्ञान कि मूल प्रेरणाओं को विकसित कर, इस्लाम को दुनिया के शोषितों का धर्म बनाने में कामयाबी हासिल की। इन विचारकों को आज सुफीवाद के विचारक, जिसे इस्लामी अध्यात्मी विचार कहा जाता है, के तौर पर प्रचारित किया …

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वकृत्व और शाय़री का शौक रख़ती थीं हज़रत आय़शा

प्राचीन अरब साहित्य प्रगल्भ, संवेदनाक्षम और शैली कि विशेषता से अलंकारित है। इस्लाम के पूर्व अज्ञानता काल में अरब समाजजीवन पर इस साहित्य का काफी प्रभाव था। इसी साहित्य से अरबी सामजिक मानसिकता और सांस्कृतिक संरचना का भी दर्शन होता है।

पैगम्बर मुहंमद (स) …

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क्या इस्लाम सज़ा ए मौत को सहमती प्रदान करता हैं?

दुनियाभर में सज़ा ए मौत को रोक लगाने कि बात बीते कई सालों से जारी हैं। कई देशों ने इस सजा के प्रावधान को अमानवीय करार देते हुए बंद किया हैं। मानवी अधिकारों को नकारती और अमानवीय शिक्षा पुरी तरह सें बंद करनी की चर्चा

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