लोकसभा से :
मोहतरम जनाब चेयरमैन साहब, आपका बेहद शुक्रिया कि आपने मुझे एक अहम दस्तूर-ए-तरमीम ( संविधान संशोधन) बिल पर बोलने का मौका फ़राहम किया है। मोहतरम, मैं आपकी जानिब से बरसरे इक्तिदार जमात (सत्तापक्ष) को मुबारकबाद देना चाहता हूं कि आज जो दस्तूर-ए-तरमीम बिल लाया गया है।
मैं आपको मुबारकबाद देता हूं, (इस कोशिश से) आप शाहबानो के उस कानून के लाने के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। मैं यह उम्मीद करता हूं कि इसके बाद बरसरे इक्तिदार जमात के जिम्मेदारों की जुबानों से बार-बार शाहबानो का जिक्र नहीं होगा।
क्योंकि दस्तूर (संविधान) में इस बात की इज़ाज़त है कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला देता है, तो सरकार को इस बात की इजाज़त है कि वह उस फैसले के ऊपर कानून बनाए, जैसा कि आपने (इस बार) किया है। इसलिए मैं कह रहा हूं कि आपने शाहबानो की रिवायत (परंपरा) को बरकरार रखा है, उसके लिए आपको मुबारकबाद।
दूसरी बात यह है कि बड़ी-बड़ी बातें हुई है कि ओबीसीज़ के लिए सरकार है। मैं इसको डिस्पेल (निरस्त) करता हूं, एक्सपोज़ करता हूं। यह सरकार ओबीसीज़ के लिए नहीं है। क्यों नहीं है? जो ‘नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट’ और ‘नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल ट्राइब्स’ है, 338 (बी) में उनको जो अख्तियार दिया गया है, वह प्लान एंड पार्टिसिपेट करने का है।
आप (सरकार) कहें कि एनसीबीसी को खाली एडवाइस करना है। यहां पर प्लान और पार्टिसिपेट है ही नहीं। यह आपकी ‘हिपोक्रेसी’ (पाखंड) और आपकी ‘मुनाफिकत’ (दोगलेपन) को एक्सपोज़ करता है।
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50 फीसद को क्रॉस कीजिए
तीसरी बात यह है कि ‘रोहिणी कमीशन’ ने कहा है कि 10 प्रतिशत ओबीसी, 50 फीसद रिजर्वेशन को हासिल कर रहे हैं। (यहां) 20 फीसद जातियां ऐसी हैं, जिनको कुछ नहीं मिल रहा है, तो आप सब कैटेगराइज़ेशन क्यों नहीं कर रहे हैं?
अगर आप ओबीसीज़ के लिए है, तो आप उन मखसूस कास्ट के लिए हैं। आप तमाम ओबीसीज़ के लिए नहीं हैं। यह आप ही के रोहिणी कमीशन ने कहा है, तो आप सब कैटेगराइज़ेशन करेंगे या नहीं करेंगे?
चौथे, यह कैसी बात है कि अगर रियासत-ए-तेलंगाना में जो मुसलमानों की बैकवर्ड कास्ट है, उनको रिज़र्वेशन मिलता है। मगर उसका जिक्र सेन्ट्रल लिस्ट में नहीं होता है। इसलिए एक तो (हमे) ऐसा कानूनी मैकेनिज्म बनाने की जरूरत है कि अगर किसी स्टेट और रियासत में वह यह तय करती है कि यह हमारे राज्य की ओबीसी है, तो सेन्ट्रल लिस्ट में उसको रिफ्लेक्ट होना चाहिए। मिसाल के तौर पर बिहार के ‘सुरजापुरी साहब’ का जिक्र सेन्ट्रल लिस्ट में नहीं है, तो हुकूमत यह (काम) करेगी या नहीं करेगी?
पांचवी बात यह है कि आप क्यों डर रहे हैं? नरेन्द्र मोदी की सरकार क्यों डर रही है ? आप 50 फीसद को क्रॉस कीजिए न, जब प्यार किया तो डरना क्या ? 50 फीसद को तोड़ दीजिए।
आप 50 फीसद के लिए क्यों डर रहे हैं? जो 50 फीसद हैं, उनको 47 फीसद और जो 20 फीसद हैं, उनको 50 फीसद, तो आपकी मोहब्बत ओबीसीज़ से नहीं हैं, आपकी मोहब्बत उनके वोट से है।
आपका दिल उन 20 फीसद के लिए धड़कता है, जिनके लिए आपने 50 फीसद तहाफुसा रिजर्वेशन दिया है। यह आपकी हकीकत है।
जनाब चेयरमैन, छठी बात यह है कि हम हुकूमत से मुतालबा कर रहे हैं कि प्रो-एक्टिवली नरेन्द्र मोदी की सरकार 50 प्रतिशत सीलिंग को तोड़ें, निकलें। आप क्यों नहीं करना चाहते हैं? करने की जरूरत है, डेटा है, एम्पिरिकल एविडेंस है, बैकवर्डनेस का वह 50 फीसद, 27 फीसद कैसे दे रही है, यह गलत है।
महोदय, सातवीं बात यह है कि यह एक सुनहरा मौका है कि आप इस तरह का कानून बनाइए। 50 प्रतिशत लिमिट को क्रॉस कीजिए और ओबीसी समाज के साथ सही मायनों में इंसाफ कीजिए।
सर, मैं एक बात और कहना चाहता हूँ कि आज ही के दिन 10 अगस्त, 1950 को एक प्रेसिडेंशियल ऑर्डर निकला था। वह बड़ा तारीखी दिन था, जिसमें हमने शेड्यूल कास्ट को रिजर्वेशन दिया था। जब कांग्रेस की हुकूमत थी तो मैं वहां पर बैठता था। मेरी हुकूमत से मुतालिबा है। आज यहां बैठकर भी तीसरी मर्तबा कह रहा हूँ कि सन् 1950 का प्रेसिडेंशियल ऑर्डर मजहब के बुनियाद पर बनाया गया था, जो ‘राइट टू इक्वेलिटी’ के खिलाफ है।
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शेड्यूल कास्ट में दलित मुसलमान क्यों नहीं?
आपके पास एक सुनहरा मौका आया है कि आप रिलीजन-न्यूट्रल कीजिए। जब शेड्यूल कास्ट में हिन्दू, बौद्ध और सिख आ सकते हैं तो फिर दलित मुसलमान और दलित क्रिश्चियन क्यों नहीं आ सकते हैं?
सच्चर कमेटी गवर्नमेंट की कमेटी है, उसमें इसका जिक्र है, लेकिन आप नहीं करना चाहते हैं और अगर नहीं करेंगे तो आपको उत्तर प्रदेश का अंसारी समुदाय देख रहा है। महाराष्ट्र के पसमांदा मुसलमान देख रहे हैं कि आप लोग क्या तमाशा कर रहे हैं। यहां के वहां चले जाते हैं, वहां के यहां चले आते हैं और हम लोग बीच में फंसे रहते।
सर, आठवीं बात यह है कि मैं हुकूमत से इस बात का मुतालिबा कर रहा हूँ कि 1950 के प्रेसिडेंशियल ऑर्डर को रिलीजन न्यूट्रल किया जाए। आपकी ओबीसी की सरकार है। (जिसमें) 89 सेक्रेटरीज़ हैं।
आप बताइए कि (उसमें) कितने ओबीसी हैं? 89 सेक्रेटरीज़ में से 5 अगस्त तक एक भी ओबीसी का सेक्रेटरी नहीं था। एक शेड्यूल कास्ट और तीन एसटी के थे। मुबारक हो, आपकी यह मोहब्बत है! यह डेटा कह रहा है, मैं नहीं कह रहा हूँ। आप मुझे झूठा साबित कर दीजिए।
सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में 51.6 परसेंट ओबीसी की पोस्ट्स वेकेंट (खाली) हैं। इसीलिए मैंने कहा है कि आपको उनके वोट्स से मोहब्बत है, उनको जमीन से आसमान तक उठाने में आपको कोई मोहब्बत नहीं है, यहीं (आपकी) हकीकत है।
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मुसलमानों को सिर्फ खजूर!
मैंने यहां पर बैठकर कांग्रेस के अपने लीडर की तकरीर को सुना है। शिवसेना वाले और एन. सी. पी. वाले मराठा-मराठा कह रहे हैं। भाई साहब, महाराष्ट्र में महमूद-उर रहमान कमेटी की रिपोर्ट ने कहा था कि मुसलमान सोशली एजुकेशन में बैकवर्ड है। (इसी बुनियाद पर बाद में) मुंबई के हाईकोर्ट ने उसको (राज्य सरकार द्वारा दिया गया मुस्लिम आरक्षण) ऑफेंड (बचाव) किया था और आप सिर्फ मराठाओं की बात करते हैं। आप मुसलमानों की बात क्यों नहीं करते हैं?
महाराष्ट्र में मुसलमानों की 50 जातियां पिछड़ी हैं, वे आपके इस तमाशे को देख रही हैं और वे आपको एक्सपोज करके रहेंगी। आप उनकी बात ही नहीं करते हैं। आप मराठाओं को जरूर रिजर्वेशन दीजिए, लेकिन क्या आपके बड़े दिल में उन गरीब मुसलमानों के लिए धड़कता हुआ दिल नहीं है।
क्या हम भिखारी हैं? आप हमसे वोट हासिल करेंगे और हम आपको नेता बनाएंगे। आपको मुख्यमंत्री बनाएंगे, प्रधान मंत्री बनाएंगे और हमें इफ्तार की दावत और मुंह में खजूर मिलेगा। हमें रिजर्वेशन नहीं मिलेगा। यह कौन सा इंसाफ है। इसीलिए यह इनकी मुनाफिकत है। इसीलिए हम हुकूमत से मुतालिबा करते हैं।
हैरत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले को ओवरकम करने के लिए यह बिल लाया गया था, (उनके बारे में) सुप्रीम कोर्ट ने मराठाओं के बारे में कहा कि उसे सोशली एजुकेशनल बैकवर्डनेस (पिछड़ापन) नहीं दिख रहा है तो फिर आप (पिछड़ेपन को) कैसे दिखाएंगे?
यह महराष्ट्र की 50 मुसलमान बिरादरियां देख रही हैं। इसीलिए हम हुकूमत से कहना चाहते हैं कि आप ओबीसी के अपलिफ्टमेंट के लिए नहीं हैं। आप मज़लूम के साथ नहीं है। आप कमजोर के साथ नहीं हैं। (उसी तरह) आप बेरोजगार के साथ (भी) नहीं है।
हाँ, एक हकीकत है कि आप ताकतवर के साथ थे और ताकतवर के साथ रहेंगे। आपको सिर्फ (उनके) वोट्स की जरूरत है। ओबीसी और मुसलमान बिरादरियां, जो कि नीचे हैं, (आपके लिए) उनको (उपर) उठाने की जरूरत नहीं है।
सभापति जी, यह बिल यकीनन अच्छा है। मैं इसकी ताईद (समर्थन) करता हूँ और गालिब ने बड़ा खूब कहा था।
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज तमाशा मेरे आगे।
सभार : LSTV
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AIMIM के यह सांसद किसी परिचय के मोहताज नही हैं। स्पष्टवक्ता और तेजतर्रार भाषणो के लिए वह दुनियाभर में जाने जातें हैं। (यहां उनकी संवैधानिक तकरीरे ट्रान्सस्क्रिप्ट की जाती हैं। उनकी भूमिका से संपादक सहमत हो जरुरी नही।)