खुदा बक्श लाइब्रेरी बचाने के लिए जन आंदोलन की जरुरत !

खुदा बक्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी (Khuda Baksh Oriental Library) भारत के कौमी कुतुब खानों में से एक है। इसकी एक अलग पहचान है। ये कुतुब खाना मुल्क के अवाम के लिए ईसवीं 1891 में खोला गया था। इस कुतुब खाने के बानी खान बहादुर मौलवी खुदा बक्श (Maulvi Mohammed Bakhsh) थे। जिन्होंने 4000 किताबों के एक मुन्फ्ऱीद मजमुआ के साथ इसकी शुरुआत की।

ये लाइब्रेरी मुहकमा फन व सकाफत हुकूमत हिन्द (Ministry of Culture, Government of India) के दायरे इख्तियार में आता है जबके इसकी नुमाईंदगी बिहार के गवर्नर करते हैं। इस कुतुब खाने में फारसी और अरबी ज़बान के कलमी मख्तूतात मौजूद हैं। जबके राजपूत और मुग़ल अदवारे हुकूमत में नुमाया शक्सियात की तसावीर भी मौजूद हैं।

इस लाइब्रेरी में कलमी मख्तूतातकुतुब, महानामेअख़बारात, मैगज़ीन, मौसिकी रेकार्डज़मशहूर शख्सियात की आवाज़ें, नक्शेडाक टिकिट, कायदा मातियात का मजमुआ मौजूद है। ये राजधानी पटना के अशोक राजपथ पर स्थित है हर खास व आम को यहाँ आने की इजाज़त है। किताबों के जखायेर 250,000 हैं। यानी कुल किताबों के जखिरे की तादाद 50,00,0000 है।

कुतुब खाने में नादिर और बेश कीमत कलमी मख्तूतात मौजूद हैं, जिनमें ‘तैमूर नामा’ (खानदान ए तैमूर), ‘शाहनामा फिरदोसी’, ‘पादशा नामा’, ‘जामे तवारीख’, ‘दीवान ए हाफ़िज़’ और ‘सफीनतुल औलिया’ के कलमी मख्तूतात शामिल हैं। तैमूरी मख्तूतात पर अक्सर मुग़ल शाहेनशाहों के दस्तखत मौजूद हैं और महाराज रणजीत सिंह के सिपाही, फौज से मुतालिख भी मख्तूतात मौजूद हैं।

बिहार सरकार फ्लाइ ओवर निर्माण के बहाने पूरी दुनिया में हमारी पहचान बताने वाली खुदा बख्श लाइब्रेरी को तोड़ देना चाहती है,…

Posted by Simab Akhtar on Thursday, 8 April 2021

सल्तनतें मुग़लिया के ज़माने में तख़लीक़ की जाने वाली तसावीरखताती और तजिन व आराइश की कुतुब भी इस कुतुब खाने का हिस्सा हैं जो अरबी और उर्दू ज़बान में हैं। कुरआन करीम का एक नादिर नुस्खा जोहरन की खाल पर लिखा गयाभी मौजूद है।

इन सब इतिहास को अपने दामन में समेटे खुदा बक्श लाइब्रेरी के वजूद पर खतरा लाहक़ है इसलिए के महकमे सड़क तामिरात (रस्ता निर्माण विभाग) ने फ्लाईओव्हर की जो तजवीज़ रखी है, इस से खुदा बक्श लाइब्रेरी का अस्तित्व खत्म होना तय माना जा रहा हैं।

बिहार पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने कारगिल चौक से एनआईटी मोड़ तक नियोजित फ्लाईओव्हर की तामीर को लेकर के खुदा बक्श लाइब्रेरी से एनओसी तलब किया है।

विकास और लोगों को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने की दलील दे कर हुकूमत फ्लाईओवर की तामीर कराना चाहती है। और इसके लिए रवां साल के जनवरी माह में ही महक़मा सड़क तामिरात ने खुदा बक्श से एनओओसी की इजाज़त मांगी थी।

जब ये मामला रोशनी में आया तो लोगों ने ऐतिहासिक विरासत खुद बक्श लाइब्रेरी को बचाने की तहरीक (आंदोलन) शुरू कर दी। महक़मा सड़क तामिरात के एडिशनल प्रिंसपल सेक्रेटरी अमृतलाल मीना से वज़ह पुछी की गई तो इन्होंने कहा के कुछ लोगों ने फ्लाईओव्हर की तामीर की वजह से आसार कदीमा यानी खुदा बक्श के तहफ़्फ़ुज़ को लेकर खत लिखा है। हम ने अभी तक कोई आखरी फैसला नही लिया है। पटना के जिला मेजिस्ट्रेट को मामले की तफ्तीश (जांच) का हुक्म दिया है।

इस मामले पर खुदा बक्श की डायरेक्टर डॉ. शाहिस्ता बेदार कहती हैं कि महक़मा ने इन से फ्लाईओव्हर की तामीर केलिए एनओसी माँगा था, लेकिन हमने मुतबादिल (पर्यायी) जगह तलाश करने की तजवीज़ पेश की है। जिल्हा मेजिस्र्ट्रेट को इसकी खबर दी जा चुकी है। खुदा बक्श लाइब्रेरी को बचाना हम सब की ज़िम्मेदारी है। फ्लाईओव्हर की तामीर किसी दूसरी जगह कराई जाए। और ये बात इस लिए मोजू लगती है कि पीएमसीएच के बाद एनआईटी तक कोई ट्राफिक का मसला नही है।

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सीनियर आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने गुज़िश्ता रोज़ पुल निर्माण महकमा के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को खत लिखा था। इस बाबत जब इन से पूछा गया तो इन्होंने कहा कि हुकूमत की नीयत साफ नही है। इसलिए के माफिया को टेंडर देकर रियासती हुकूमत ऐसे लोगो को बढ़ावा देती है जो अपनी मर्ज़ी के आसास खदिमा को निस्त व नाबूत कर सकते हैं।

अमिताभ कुमार दास ने कहा कि खुदा बक्श लाइब्रेरी में इन्सानी विरासत मौजूद है। मैं किताबों का शौकिन हुन इस लिए मुझे बहुत तकलीफ पहुंची है। हुकूमत के कुछ लोग और महकमे पर मुझे ज़रा बराबर यक़ीन नही है। मैं इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला हूँ।

इसलीए अगर आदलिया इस बात से बखूबी वाकिफ है कि खुदा बख्श से हमारी रियासत की शनाख्त है और इस शनाख्त को हम खोने नही देंगे। लोगों से अपील करते हुए कहा कि खुदारा खुद बक्श को इन्हेंदाम (नष्ट होने) से बचा लें।

फ्लाईओव्हर के नियोजित निर्माण की वजह से ऐतिहासिक खुदा बख्श लाइब्रेरी को ध्वस्त से बचाने के लिए इंडियन नेशनल टेस्ट फ़ॉर एंड कल्चर यानी इंटक के बिहार कन्वीनर प्रेम शरण, जे. के. लाल कहते हैं कि इस विरासत के तहफ़्फ़ुज़ के लिय हुम सब को आगे आना होगा। इसलिए के हुकूमत की नीयत साफ नही है।

नितीश कुमार की सरकार पूरी तरह से अराजक होगई है। विकास नहीं विनाश का चस्का लग गया है। अब इसी नाम पर खुदा बक्श लाइब्रेरी को तोड़ने की तैयारी है। यह लाइब्रेरी बिहार ही नहीं देश की शान है।

Posted by Zafar Eqbal on Sunday, 4 April 2021

तालीमी तहरीक से जुड़े मुहंमद दानिश ने कहा के अब यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले तुलबा को खुद बख्श लाइब्रेरी के सामने हुकूमत के खिलाफ प्रदर्शन करना होगा। इसलिए के तुलबा मक़ाबला जाति इम्तेहानात की तैयारी में इस लाइब्रेरी से खातिर ख्वा फायदा उठाते हैं। हमारी पहचान इसी लाइब्ररी से है और हम अपनी पहचान की बका के लिए आईन (संविधान) के दायरे में हुकूमत से लड़ेगें। हुकूमत को अपना यह फैसला वापस लेना होगा।

(यह आलेख 7 अप्रेल को बिहार के ‘समाज’ नामक उर्दू अख़बार में ‘खुदा रा, खुदा बक्श को बक्श दीजिये !’ शीर्षक के साथ प्रकाशित हुआ हैं)

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