दिल्ली दंगो पर राज्यसभा में हुई चर्चा में विपक्ष कि ओर से श्री. कपिल सिब्बल नें भाग लिया। जिसमें उन्होंने गृहमंत्री अमित शहा पर कई सवाल दागे। उन्होंने कहा, अगर चाहे तो सरकार दिल्ली दंगों को रोक सकती थी, पर उन्हे ऐसा करना नही था। उन्हे तो वायरस को फैलने देना था। उनकी यह चर्चा को RSTV के सौजन्य से हम आपके लिए दे रहे हैं। पिछली बार पहला भाग दिया था, अब पेश हैं उसका दूसरा और अंतिम भाग।
मैं गृह मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि जो भडकाऊ भाषण दे रहे थे, उनके ऊपर आज तक एफआईआर क्यों नहीं हुई? गृह मंत्री जी को मालूम होगा About Section 153A of the Penal Code, which says, “Whoever commits an offence specified in sub – Section (1) by words, either spoken or written, or by signs or by visible representations or otherwise, promotes or attempts to promote, on grounds of religion, race, place of birth, residence, language, caste or community or any other ground whatsoever, disharmony or feelings of enmity, hatred or ill will between different religious, racial, language or regional groups…”
उसको तीन साल की सजा हो सकती है और यह तो संज्ञेय अपराध (cognizable offence) है। जो यह कह रहा है कि देश के गद्दारों को और जनता कह रही है, मैं वह बात नहीं कहना चाहता हूँँ। वह तो संज्ञान लेने वाला अपराध है, इसमें एफआईआर में देरी क्यों हुई?
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FRI क्यों रोकी गई?
आपने उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की? जब न्यायाधीश ने पूछा, तो आपके एक सॉलिसिटर जनरल साहब नें कहा कि उसका योग्य समय अभी नहीं आया है। क्या एफआईआर का भी कोई सही समय होता है, जरा हमें भी बता दीजिए। हम भी थोड़ा कानून सीख लें।
The moment a cognizable offence is committed, an FIR has to be lodged. This is a license to kill. That is what was happening in Delhi and the Home Minister must tell us कि आज तक एफआईआर लॉज क्यों नहीं हुई?
आपका एक सदस्य कहने लगा कि शाहीन बाग के लोगों, बाद में क्या होगा कि यही लोग आपकी हत्या करेंगे, बलात्कार करेंगे, आपको मार देंगे। यह तो अंडर सेक्शन 153A एक cognizable offence है। आप ने उनके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं की? वे आपकी पार्टी के लोग हैं, इसलिए आप एफआईआर नहीं कर रहे हैं।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष #RahulGandhi , दिल्ली दंगों पर क्या बोले… pic.twitter.com/4zKJs9Ny0J
— BBC News Hindi (@BBCHindi) March 4, 2020
हर्ष मंदर के खिलाफ तो एफआईआर हो गई, लेकिन जिन लोगों ने ऐसे बयान दिए, उनके खिलाफ आज तक एफआईआर नहीं हुई। एक आपकी पार्टी के शख्स हैं, वे कहते हैं कि जाफ़राबाद मेट्रो के नीचे चांदबाग में जो लोग बैठे हुए हैं, अगर उनको तीन दिन में वहां से नहीं निकालोगे, तो हम सड़कों पर आकर कुछ करेंगे। क्या यह भड़काऊ बयान नहीं है?
अगर आप वाकई में इस वायरस को कंट्रोल करना चाहते हो, तो आप कर सकते हो, लेकिन नहीं, आप यह करोगे नहीं, क्योंकि आप इस वायरस को फैलाना चाहते हो।
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वायरस से सब तबाह होंगे
मैं आपको एक बात बता दूं, ठीक है हम तो रहेंगे या नहीं रहेंगे, अगर यह वायरस युवा लोगों के मन में बैठ गया, तो न आप रहोगे, न हम रहेंगे और ना लोकतंत्र रहेगा। आप इस बात को लिख लो। हमने कई बार, कई जगह पर इस बात को देखा है जब फसाद होते हैं।
ताज्जुब की बात यह है कि कश्मीर में उमर अब्दुल्ला को हिरासत में लिया, क्यों किया? अगर उनको रिहा किया जाएगा, तो शायद दंगे-फसाद हों।तो उनको धारा 107 के अंदर 6 महीने के लिए हिरासत में रखा।
उमर अब्दुल्ला को हिरासत रखा, महबूबा मुफ्ती को रखा और फारूक साहब को रखा, क्योंकि हो सकता है कि अगर उनको रिहा किया जाए और अगर वे कोई बयान दे दें, तो दंगे हो सकते हैं।
उसके बाद धारा 107 के 6 महीने खत्म हुए, तो PSA लगा दिया, एक साल के लिए PSA लगा दिया। उन्होंने तो कोई बयान नहीं दिया था, फिर भी उनको हिरासत में कर लिया। यहां तो आपने बयान देने वाले के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज नहीं की।
आपकी सोच क्या है, आपके मन में अंतर क्या है, आपकी विडम्बना क्या है, मैं नहीं जानता। लेकिन इतना जरूर है कि आप तो लौह पुरुष हैं, सरदार पटेल की जगह पर बैठे हुए हैं, गृह मंत्री जी, कुछ तो ख्याल कीजिए अपने सरदार का। उन्होंने कभी नहीं चाहा होगा कि इस तरह से लोगों की हत्या हो और मासूम लोगों की हत्या हो।
उपसभाध्यक्ष महोदय, गजब की बात यह है, गृह मंत्री जी, आप तो खैर बहुत बिज़ी थे, क्योंकि ट्रम्प साहब आ रहे थे, And, while celebrations of Trump were being choreographed and shown on television channels on half the screen, on the other half of the screen, the choreographed violence was being shown. Both were choreographed. Where were you? He was busy in Ahmedabad, परंतु आप तो यहां भी पहुंच गए थे, आपने तो कोई बयान नहीं दिया। आपने तो देश की जनता को संबोधित नहीं किया।
आप इतना तो कह देते कि जो ऐसे दंगों में, फसाद में हिस्सा लेगा, उसको हम कड़ी से कड़ी सजा देंगे और हम यह होने नहीं देंगे। लेकिन असलियत तो यह है कि पुलिसकर्मी अपने आप ऐसा नहीं कर सकते थे, कहीं न कहीं से तो उनको इशारा मिला होगा न कि आप करो, हम उस तरफ ध्यान नहीं रखेंगे।
हमें भी मालूम है, आपको भी मालूम है, लेकिन आप कहोगे कि नहीं-नहीं काँँग्रेस के टाइम में बड़े दंगे-फसाद हुए, मुझे मालूम है कि आप जवाब क्या देने वाले हैं, आप बात इतिहास की करोगे, काँग्रेस की करोगे। आप दिल्ली के दंगों की बात नहीं करोगे। मैं आपको आज यह भी आश्वासन देना चाहता हूँँ…
मुझे मालूम है कि क्या होने वाला है, आपने एसआईटी तो बिठा दी, लेकिन पीड़ित लोगों को आरोपा बनाया जाएगा और जिन्होंने फसाद किया, उनको प्रोटेक्शन दी जाएगी। हमने कई बार ऐसी बात देखी है, कई बार हमने ऐसी बात देखी है।
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उज्ज्वला स्कीम के सिलेंडर दंगों में
गृह मंत्री जी, आपको यह भी मालूम होगा कि वहां पर एक मोहन नर्सिंग होम है, उस नर्सिंग होम में लोग छत पर चढ़ गए और तीन बजे मोहन नर्सिंग होम का मालिक कहता है कि भाई, हमें बाहर जाना पड़ा, क्योंकि दंगे-फसादी ऊपर आ गए थे, वे छत पर चढ़ गए। वे छत पर मास्क, हेलमेट लगाए हुए थे ताकि उनको कोई पहचान नहीं पाए और वह राइफल से गोली चला रहा था, नीचे चला रहा था, तो यह फोटो तो आपके पास है।
आपने किसी को पकड़ा? जो आप टेक्नॉलिजी की, Imagery की बात करते हैं, तो क्या आपने उसको पकड़ा? वे जो साथी थे, वहां पर बैठे हुए थे, क्या उनको पकड़ा? आपने मोहन नर्सिंग होम के मालिक से पूछा कि तुमने एफआईआर की कि मेरे यहां पर दंगाई आ गए हैं? आप कुछ करिए। आपने कोई कार्रवाई की, नहीं की और आप करेंगे भी नहीं।
यह जो आपकी उज्ज्वला स्कीम है, उसके द्वारा जो सिलेंडर मिल रहे थें, वे उनको घरों में फेंक रहे थें, जला रहे थें। यह उपलब्धि है। पेट्रोल को बोतलों में डालकर घरों को जला रहे थें। पहले लोगों को डरा कर भगा रहे थे, फिर उसी जगह पर, उसी घर को लूट रहे थे, लूटने के बाद जला रहे थें और यह दिल्ली में हो रहा था और प्रधान मंत्री 70 घंटे के लिए चुप थे। यह क्यों हुआ, किसलिए हुआ, क्यों आप बरबाद कर रहे हो इस देश के संविधान को?
मैं आपको एक छोटी सी बात कहना चाहता हूं, शायद आपको अच्छा लगेगा कि हमारे Directive Principles में मूलभूत कर्तव्यों के बारे में लिखा गया है – 51A में ‘to promote harmony and the spirit of common brotherhood’ यह citizen की Fundamental Duty है, तो यह हो रहा था। They were spreading brotherhood and embracing communal harmony.’
मैं कहना चाहता हूं कि उसमें लिखा है कि ‘to value and preserve the rich heritage of our composite culture.’ That is the Fundamental Duty. And the beauty of it is that there is a provision in the Constitution. It is in Article 48.
इसमें लिखा है कि गाय की हत्या नहीं होनी चाहिए, गाय को संरक्षित करना चाहिए, सही बात है, लेकिन आप गाय की Protection के लिए तो कुछ भी कर सकते हैं, परन्तु मानव के संरक्षण के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं? क्या Directive Principles of State Policy में एक और आर्टिकल लाना पड़ेगा? क्या गाय की protection is more important than the protection of human beings and human lives?
#DelhiViolence में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर क्यों उठ रहे हैं सवाल? pic.twitter.com/GLFAqcaACl
— BBC News Hindi (@BBCHindi) March 4, 2020
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पुलिस के डर से FRI दर्ज नही होती
क्या आपने कभी इस बात के बारे में सोचा? यह बहुत दुख की बात है। और हुआ यह है कि there’s a massive internal displacement, लोग घर-बार छोड़कर चले गए हैं। असलियत यह है कि जो सात-आठ या आपने कहा कि 12 पुलिस स्टेशन है, वहां FIR भी दर्ज नहीं हो रही है।
महोदय, मैं कहना चाहता हूँँ कि आप सदन को बताइए कि इस बीच कितनी FIR दर्ज हुई हैं? अब, आज तो 12 मार्च हो गई है और आखिरी दंगा मेरे ख्याल से 29 फरवरी को हुआ था। इस बीच कितनी FIR दर्ज हुई? मेरे पास एक जानकारी है, उसे मैं आपको देना चाहता हूं।
मेरे पास एक FIR No. 30 है और यदि कोई दूसरा आदमी आकर कहता है कि मेरी FIR दर्ज करो, क्योंकि मुझे तो मालूम था कि इसने मुझे मारा, तो वह उसकी FIR दर्ज नहीं करता। वह उसकी पर्ची उस FIR No. 80 में लगा देता है।
यह बड़े ताज्जुब की बात है। मेरे पास ऐसे करीबन 10 उदारहरण हैं, जहां लोग FIR दर्ज कराना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि किसने दंगा किया, किसने फसाद किया, लेकिन उसकी FIR दर्ज ही नहीं होती।
महोदय, मेहेरबानी कर के यह मत होने दीजिए, क्योंकि आप तो कहते हैं कि ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ मैं कहना चाहता हूँँ कि ऐसा न हो कि कहीं उनका विश्वास ही आपके ऊपर से उठ जाए? हम यह नहीं चाहते, हम चाहते हैं कि उनका वह विश्वास आपके ऊपर बना रहे, वह विश्वास बरकरार रहे।
क्या दिल्ली पुलिस खुद यह दंगे करवा रही है या दंगाईयो का सपोर्ट कर रही है।
वीडियो में पुलिस की हरकतें देखकर तो पुलिस ही दंगाईयो का काम कर रही हो ऐसा लगता है।
ईस वीडिओ को इतना वाइरल करो की सही गुनहगारो को सजा मीले।
रीट्वीट करना न भूले। 🙏#DelhiRiots2020 #delhivoilence pic.twitter.com/CFvSolrw3S
— शिल्पा राजपूत ~ भारतीय (@Shilpa_Bhartiy) February 26, 2020
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अपने लोगों पर सर्जिकल स्ट्राइक?
महोदय, मैं यही कहना चाहता हूँँ कि आपने बालाकोट में जो सर्जिकल स्ट्राइक की, वह सही किया, लेकिन अपने लोगों के ऊपर क्यों सर्जिकल स्ट्राइक करते हो, भाई साहब? हमें तो छोड़ दो, देश की जनता को तो छोड़ दो।
जो लोग उत्तर प्रदेश से आए हैं, जो अपने चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे, जिनकी पहचान नहीं हो पा रही है, वे सब सीसीटीवी तोड़ रहे थे, ताकि किसी को पता नहीं चले, तो उन्हें तो आप कहते कि अपनी ही जनता पर सर्जिकल स्ट्राइक मत करो।
महोदय, मैं आपके माध्यम से आखिर में कहना चाहता हूं कि यह देश, एक महान देश है और हमारे देश का संविधान भी एक महान संविधान है। यदि हम इकट्ठे हाथ मिलाकर चलेंगे, तो कुछ न कुछ हम पाएंगे, लेकिन असलियत तो यह है कि हम इकट्ठे नहीं चल रहे हैं और मैं अपने साथियों से भी इल्तिज़ा करना चाहता हूं कि अपने घर के कम्फर्ट को हम भूल जाएं। भूलना पड़ेगा, हमें बहुत बड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। क्योंकि जो वायरस आप फैला रहे है, उसकी दवाई हम ही हैं।
यह हंसने की बात नहीं है। आप वाह-वाह करते जाइए, लेकिन मैं आपको एक बात बताता हूं कि,
“बिन खौफ के जब मैं चलने लगा,
हवा का रुख भी बदलने लगा।”
वह रुख बदलेगा। मैं अपने सहयोगी दलों से कहना चाहता हूं कि हम वह रुख बदलकर रहेंगे और हम आपको इस देश को तोड़ने नहीं देंगे।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
*कपिल सिब्बल कि यह पुरी चर्चा आप यहां देख सकते हैं।
लेखक पूर्व केंद्रीय न्यायमंत्री और काँग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं।