राज्यसभा से :
दूसरा इल्जाम हम पर लगा कि आर्टिकल 370 की वजह से जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदी नहीं की जा सकती थीं और इसलिए उद्योग नहीं लगे। मैं बताना चाहता हूं कि जम्मू कश्मीर में जब तक हमने केंद्र और राज्य में 4 साल पहले सरकार छोड़ी तब 37 इंडस्ट्रियल ईस्टेट और तकरीबन 30 हजार के करीब छोटे-बड़े उद्योग थें। हमारे यहां 90 साल के लिए जमीन लीज पर देने का सिलसिला 1960 से शुरू हैं।
In the latest episode of BJP’s continuing drama series “Flagrant Violations of Parliamentary Procedure”, we were treated to the extraordinary &unseemly spectacle of the Lok Sabha “accepting”, by vociferous voice vote &over Oppn protests, a Bill it had not seen&had not been given! pic.twitter.com/2z0A6OpNUU
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 5, 2019
बिरला कि चिनाब टेक्सटाइल कश्मीर की एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री हैं। यह 60 के दशक के मध्य में कठुआ में लगी हैं। जिसमें 10 हजार लोगो को रोजगार मिले है। लेकिन 2015 में जो आप ने जो कोलिशन सरकार बनाई जिसमें आप के डिप्टी चीफ मिनिस्टर थें उन्होंने 2016 में इस लीज के अवधि को घटाकर 40 साल कर दिया।
और आप हमें बताते हैं कि दफा 370 की वजह से उद्योग नहीं लगते। 2015 और 2016 कि भारत सरकार की रिपोर्ट सदन के दोनों पटलों पर रख रहा हूं। जिसमें जम्मू-कश्मीर के सारे आंकड़े दिए गए हैं।
पढ़े : ‘बीजेपी नें आम लोगों को ख़िलौना दे के बहलाया हैं’
पढ़े : ‘झुठ और धोकेबाजी से निरस्त हुई धारा 370’
पांचवा आरोप,
आप नें कहा कश्मीर में लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयू बढाई (Per-Scribe) नहीं की गई। माना नियमों मे शिथिलता नही लाई। माना देशभर में नियम शिथिल किए गए। माना गुजरात में शिथिल किए गए। शायद हमारे यहां कानून ना बना हो लेकिन हमारा जरा मुकाबला तो करें।
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के हवाले से बता रहा हूँ 18 साल उम्र के नीचे कि लड़कियां जम्मू कश्मीर में 8.7 हैं, तो गुजरात में 24.9 और ऑल इंडिया 26.8 हैं। तो बताओ कानून बनाए बगैर हम प्रोग्रेसिव हैं क्या आप?
15 और 19 साल के बीच मे गर्भवती है या माँ बन गई है ऐसे माताओं का स्तर जम्मू कश्मीर मे 2.9 और गुजरात में 6.5 हैं और वही स्तर ऑल इंडिया में 7.9 हैं।
सामाजिक आरक्षण कि स्थिती
छठा आरोप हम पर किया गया के राज्य में दलित और पिछडो को पॉलिटिकल रिजर्वेशन नही हैं। मैं इस सदन के द्वारा बताना चाहता हूं कि हमारी यहां अनुसूचित जाति के लिए सर्विस में और राजनीति में आरक्षण बहुत अरसे से हैं। शेड्यूल कास्ट के लिए पॉलिटिकल रिजर्वेशन भी है और विधायिका में भी आरक्षण हैं। जब तक हमारी सरकार रही तब तक एससी और एसटी छह मंत्री थें।
कांग्रेस पार्टी का सदस्य 6 साल तक डिप्टी चीफ मिनिस्टर रहा और 6 साल स्पीकर रहा। एससी और एसटी के लिए हमारे यहां आरक्षण सर्विसेज में भी है और विधानसभा में भी है। हमारी सर्विसेज में एसटी का आरक्षण 10 प्रतिशत है। विधायिका में कानून नही था पर वह अगर 8 प्रतिशत बनता था तो हमारे असेंब्ली में 12 प्रतिशत विधायक थें। पिछडा समुदाय के विधायक उनके रिजर्वेशन के संख्या से ज्यादा में थे। लेकिन सर्विसेज में उनका रिजर्वेशन जरूर था।
फिर और एक सवाल आया कि फॉरेस्ट एक्ट के वजह से आम लोगो को जंगल क्षेत्र का लाभ नही मिलता। यह कानून हमारी सरकार नें बनाया था। मैं बताना चाहता हूँ कि जनाब हमारे यहां तो महाराजा हरि सिंह के जमाने में यह कानून बना; जिसका फायदा ट्राइबल और दूसरे लोग उठी सकते थें। वह लकडी काट सकते हैं। घर बना सकते हैं।
घास चराई करा सकते हैं। 1980 में दोबारा कानून बना। मेरे सरकार में तिसरी बार कानून बना। आप की (बीजेपी+पीडीपी) सरकार आते ही उन सब को निकाल दिया गया और कहा गया कि हम कानून नहीं बनाते! हमने तीन-तीन कानून बनाएं पर आप नें उन सबको निकाल दिया।
पढ़े : ‘बीजेपी सरकार ‘कम्युनल वायरस’ को फैलाना चाहती हैं’
पढ़े : ‘क्या नरेंद्र मोदी दिल्ली दंगा पीडितो को इन्साफ दिलायेंगे?’
ढांचागत सुविधा में अव्वल
बताया गया कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों को एलपीजी, टाईलेट्स, बिजली, पानी, रोड और मूलभूत सेवा की बेहतर सुविधा उपलब्ध हुई। यह 2018 में हुआ में 2016 कि एक रिर्पोर्ट पढता हूँ। घर-घर में बिजली 97.4, गुजरात 96 मतलब देढ प्रतिशत हमसे नीचे और ऑल इंडिया 88 प्रतिशत था। घर के इस्तेमाल के लिए खाने के शुद्ध तेल का निर्माण जम्मू कश्मीर में 47.4, गुजरात 52.7 हैं। शौचालय में 52.5 है और नेशनल लेवल 48.4 था।
इसके अलावा कहा गया कि आर्टिकल 370 के वजह से हेल्थ में कुछ नहीं होता। अगर कुछ नहीं होता था तो हमारा लिंग अनुपात बढता नही। सब चाहते हैं कि लड़कियों की संख्या बढ़ाई जाए। हमारे यहां 1 हजार में 972 लड़कियां जम्मू कश्मीर में है और गुजरात में सिर्फ 9 50 हैं। एनमिक जो गर्भवती नहीं है ऐसे 15 से 50 साल की औरतें वह 49.5 हैं।
और गुजरात में 55 प्रतिशत मतलब वहां एनीमिक 5 परसेंट ज्यादा हैं। और देश में 53 प्रतिशत मतलब हम नेशनल एवरेज से भी ठीक है और गुजरात से भी।
15 से 49 उम्र की गर्भवती औरतें हमारी सिर्फ 47 परसेंट है और गुजरात में 51 प्रतिशत हैं। महिला सशक्तिकरण के बारे में कहा गया कि वहां महिलाओं को कुछ अधिकार नहीं है। कहा गया के हमने महिलाओं को मुक्त कर दिया। अत्याचार पीडित विवाहित महिलाए हमारे यहां सिर्फ 9.4 परसेंट हैं, गुजरात में 20.9 प्रतिशत और नेशनल लेवल पर यही आंकडा 31 प्रतिशत हैं। मतलब हमारा प्रतिशत देश और गुजरात से कहीं ज्यादा हैं।
पढ़े : ‘विकास में देश से आगे फिर भी कश्मीर के साथ अन्याय क्यों हुआ?’
पढ़े : ‘सरकार गलती कबुल करे और कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करें’
महिला सक्षक्तिकरण
हमारे यहां महिलाओं के नाम पर रिहायशी मकान और जमीन का प्रतिशत 33.3 और गुजरात में 27.2 प्रतिशत हैं। औरतों का बैंक अकाउंट खुद के नाम पर है और खुद चलाते हैं क्या नहीं ऐसी महिलाएं जम्मू कश्मीर में 60 प्रतिशत हैं और गुजरात में सिर्फ 48 प्रतिशत हैं। यही आंकडा राष्ट्रीय स्तर 53 प्रतिशत हैं। औरतों के पास मोबाइल फोन है और वह खुद चलाती है ऐसी महिलाएं जम्मू कश्मीर में 54.2 हैं, गुजरात में सिर्फ 40.7 और नेशनल लेवल पर 45 प्रतिशत हैं।
महावारी के दौरान हाइजेनिक पैड इस्तेमाल करने वाली महिलाएं जम्मू-कश्मीर में 66.5 प्रतिशत हैं, राष्ट्रीय स्तर पर 57.6 और गुजरात 60 प्रतिशत हैं।
21 साल के पहले के पुरुष जिनके विवाह हो चुके हैं ऐसे जम्मू कश्मीर में सिर्फ 10.5 और गुजरात में 28.4 प्रतिशत और नेशनल लेवल पर 20 प्रतिशत हैं। पिछले 15 साल से उम्र 49 तक कितने आदमी एनीमिक है ऐसा आंकडा हमारे यहां सिर्फ 20 प्रतिशत है देश और गुजरात में इससे कहीं ज्यादा हैं।
घटता बालमृत्युदर
कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में बच्चों के साथ नाइंसाफी हुई है। स्वास्थ्य के बारे में विकास के जो पैरामीटर माने जाते हैं वह बच्चों के मृत्यु दर से तय होता है। मैं इस बारे में भी बताना चाहता हूं कि शिशु मृत्यु जम्मू कश्मीर में 1 हजार बच्चों में सिर्फ 32 बच्चे मरते हैं। गुजरात में 34 मरते हैं और नेशनल स्तर यह आंकडा 41 पर है। मतलब इस मामले में भी जम्मू कश्मीर बेस्ट है।
5 साल के अंदर कितने बच्चे मरते हैं ऐसे आंकडे जम्मू कश्मीर में 1 हजार के तुलना में 38 हैं तो गुजरात में 43 और राष्ट्रीय स्तर पर 50 बच्चे मरते हैं। 1 साल और 2 साल के बीच के बच्चों को लगाए जाने वाला टीको का स्तर जम्मू कश्मीर में 75.1 हैं, गुजरात 50 और नेशनल लेवल 62 प्रतिशत हैं।
पैदा होने के 2 दिन के भीतर मरने वाले बच्चे जम्मू कश्मीर में 20.3 प्रतिशत, गुजरात 15.8 और राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकडा 24 प्रतिशत हैं। 1 और 2 साल के बीच के बच्चे को बीसीजी के टीके लगाने का प्रतिशत 95.5 हैं। और गुजरात में सिर्फ 80 प्रतिशत हैं।
शेष भाग पढने के लिए क्लिक करे…