चिकित्सा विज्ञान में महारत रख़ती थीं हजरत आय़शा

पैगम्बर मुहंमद (स) कि पत्नी हजरत आय़शा को लेकर इस्लाम के आलोचक कई बार विवाद खडा करते हैं। मगर माता आयशा के व्यक्तित्व कि विशेषताओं कि चर्चा उनके द्वारा कभी नहीं कि जाती।

हजरत आय़शा, अरब कि महान चिकित्सक हैं और अरब विज्ञ़ान के इतिहास में उन्हें सम्मान का स्थान प्राप्त है। अरबों में मौखिक इतिहास कथन कि परम्परा रही है, इसके एक प्रभावशाली इतिहासकार के रुप में उन्हें देखा जाता है। उनके व्यक्तिगत विशेषताओं कि चर्चा अलीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सय्यद सुलैमान नदवी के इस लेख में कि ग है।

जरत आय़शा (रजि.) के शिष्यों का कहना है कि इतिहास, साहित्य, सम्बोधन और शायरी में उनको अच्छी महारत हासिल थी। चिकित्सा में भी उनका किसी हद तक दखल था। हिशाम बिन उर्वा की रिवायत है, “मैंने कुरआन, फर्ज कामों, हलाल और हराम, शायरी, अरब का इतिहास, वंशानुक्रम का आय़शा से अधिक जानकारी रखनेवाला किसी को नहीं पाया।

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चिकित्सा में प्रयोगशील

हिशाम कहते हैं, “मैंने आय़शा से धिक किसी को चिकित्सा के ज्ञान का माहिर नहीं पाया।यह स्पष्ट है कि अरब चिकित्सा विज्ञान नियमित रुप से रिवाज न था, अरब का सबसे बडा चिकित्सक उस जमाने में हारिस बिन कल्द था। देश में छोटे-छोटे चिकित्सक थे। उनका चिकित्सा विज्ञान वही था जो ज्ञानरहित कौमों में प्रचलित होता है।

कुछ जडी-बूटीयों कि विशेषताएँ मालूम होंगी, कुछ बिमारीयों कि प्रभावपूर्ण दवाएँ मालूम होंगीआय़शा से एक व्यक्ति ने पूछा कि आप शेर (कविता) कहतीं हैं, लेकिन आपको चिकित्सा विज्ञान कि यह जानकारी कैसे हुई? उन्होंने फरमाया पैगम्बर आखिरी उम्र में बिमार रहा करते थे। अरब चिकित्सक आया करते थे, जो वह बताते मैं याद कर लेती थी।

हम समझते हैं कि हजरत आय़शा की चिकित्सा की जानकारी वैसे ही होगी, जैसे पहले खानदान कि बडी-बूढीयां बच्चों का इलाज करती थीं और कुछ दूसरी बिमारीयों के कामयाब नुस्खे याद रखती थी। मगर यह पूरा सच नहीं हैमुसलमान औरतें आम तौर से लडाईयों में पैगम्बर के साथ जाती थीं और घायलों की मरहम पट्टी करती थीं।

खुद आय़शा भी उहद के जंग में सेवा करने में व्यस्त थी। इससे मालूम होता कि उस जमानें में इस्लामी औरतों को आवश्यकतानुसार इस हुनर कि जानकारी थी। इतिहास, अरब के हालात, अज्ञानता काल कि रस्में और कबीलों के आपसी वंशानुक्रम की जानकारी में हजरत अबू ब्रक (रजि.) को पूरी महारत हासिल थी। आय़शा उनकी बेटी थी।

इसलिए इन कलाओं की जानकारी उनकी ख़ानदानी विरासत थीं। हिशाम कहते हैं, “मैंने आय़शा से धिक किसी को अरब के इतिहास और वंशानुक्रम का माहिर नहीं पाया।

अरब कि अज्ञानता काल कि रस्मों और सामाजिक हालात के बारे में कुछ बहुत जानकारियाँ हदीस की किताबों में हजरत आय़शा के जुबान से रिवायत कि ग हैं। जैसे अरब में शादी के तरीके कितने प्रचलित थे। तलाक किस तरह होती थी, शादियों में क्या गाया जाता था। उनके रोजे का दिन कौनसा था? कुरैश हज में कहां उतरते थे। जनाजे को देखकर क्या कहते थे? आदी.

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इतिहास कथन का हुनर

हदीस के विद्वानों की सभा में अन्सार के बुआस के युद्ध का उल्लेख हमने हजरत आय़शा की जुबान से सुना। अन्सार की कुछ धार्मिक रस्में जैसे यह कि वह अज्ञानता काल में मिशनल की मूर्ती पूजते थे, यह उन्हीं से हमको मालूम हुआ।

इस्लाम कि कुछ महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं जैसे आप पर वही (कुरआन के अवतरण) का प्रारं होना और पैगम्बरी के विस्तृत हालात, हिजरत की विस्तृत घटनाएं, स्वयं अपने उपर आरोप कि घटना पूरी तरह जैसी की तैसी, उन्हीं की जुबान से लोगों ने सुना। हदीस की सही किताबों में हदीसें तीन पंक्तियों से धिक नहीं होतीं लेकिन हजरत आय़शा की यह घटनाएं हदीसों के दो-दो, तीन-तीन, पृष्ठों में लगातार बयान हुई हैं।

कुरआन किस तरह और किस क्रम से अवतरित हुआ, नमाज कि क्या-क्या शक्ल इस्लाम में पैदा हुई, उन्हीं ने बताया है। पैगम्बर मुहंमद की वफात की बिमारी का प्रारं से विस्तृत विवरण केवल उन्हीं की जुबान से सुनकर दुनिया ने जाना। पैगम्बर के कफन में कितने कपडे थे, और किस तरह के थे, उन्हीं ने बताया।

यह तो अन्दर कि बातें थीं। युद्ध के मैदान के हालात भी उन्होंने हमको सुनाए हैं। बद्र के जंग कि कुछ घटनाएं उहद के युद्ध के हालात खन्दक के युद्ध के कुछ हालात, बनी कुरैजा के युद्ध के कुछ आंशिक विवरण, जातुर्रिकाअ के युद्ध में खौफ कि नमाज की हालत, मक्का विजय में औरतों की बैअत, अन्तिम हज कि घटनाओं के महत्त्वपूर्ण अंश उन्हीं से हाथ आए।

पैगम्बर मुहंमद कि जीवनी के संबंध में सही और विस्तृत जानकारी उन्हीं ने उपलब्ध करायी। जैसे ही के प्रारं होने की कहानी, हिजरत का वाकया, निधन की घटना के अतिरिक्त पैगम्बर की रात कि इबादत (प्रार्थना), पैगम्बर घर में क्या करते थे। उनके व्यक्तिगत चरित्र का सही नक्शा, उन्हीं ने हमको खींचकर दिखाया।

पैगम्बर के बाद हजरत अबू बक्र की खिलाफत हजरत फातिमा और पवित्र बीवियों का दावा, हजरत अली का दुख और फिर बैअत के सभी विस्तृत विवरण सही रिवायतों के साथ उन्हीं से हमको मालूम हुए।

इस्लामी साहित्य के संबंध में उनकी जानकारी तो व्यक्तिगत अवलोकन पर आधारित थी, लेकिन अरब अज्ञानता के हालात उन्होंने किससे सुने? एक हदीस के प्रमाण पर मालूम होता है कि यह इनाम उनको अपने पिता बुजुर्गवार से प्राप्त हुआ था। उनके एक शिष्य कहते है – आपके अरब इतिहास के संबंध में जानकारी पर मुझको कोई आश्चर्य नहीं, मैं कहता हूं कि, आप हजरत अबू बक्र कि बेटी हैं।

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