रेप मामलों में कानूनी सख्ती की मांग, पर मानसिकता का क्या?

इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली मुंबई की बलात्कार की घटना को ले कर इन दिनों महाराष्ट्र में बेहद गुस्से और आक्रोश का माहौल बना हुआ हैं। सोशल मीडिया पर कैंपेन चल रहे हैं, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और सियासत

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औरंगज़ेब को इतिहास में मूर्तिभंजक क्यों लिखा जाता हैं?

रंगज़ेब द्वारा बनारस के प्रसिद्ध शिश्वनाथ मंदिर के ध्वंस की काफी चर्चा होती है। यह मंदिर अकबर के नौरत्नों में शामिल टोडरमल द्वारा बनवाए गया था। अक्सर इस घटना को औरंगज़ेब की धार्मिक घृणा के परिणाम के रूप में देखा जाता है। इतिहासकार डॉ.

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महमूद ग़ज़नवी के खिलाफ हिन्दू राजा एकजूट क्यों नही हुए ?

मूद ग़ज़नवी मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी राजवंश के एक महत्वपूर्ण शासक थे। जिसे अपना राजपाट और उसकी व्यवस्था चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती थी, जिसे अफगानिस्तान जैसे बंजर और रेगिस्तानी क्षेत्र से पाना संभव ही नहीं था। इसी धन

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प्रेमचंद के साहित्य में तीव्रता से आते हैं किसानों के सवाल !

प्रेमचंद के सम्पूर्ण साहित्य पर यदि नज़र डालें तो, उनका साहित्य उत्तर भारत के गांव और संघर्षशील किसानों का दर्पण है। उनके कथा संसार में गांव इतनी जीवंतता और प्रमाणिकता के साथ उभर कर सामने आया है कि उन्हें ग्राम्य जीवन का चितेरा

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जब निजामुद्दीन की बासी रोटी के लिए ख़ुसरो ने छोड़ा शाही दस्तरख़ान

जरत अमीर ख़ुसरो के दौर का एक वाकया है, मंगोलों ने अचानक देहली पर हमला बोल दिया। अलाउद्दीन खिलजी की फ़ौज ने खूब डटकर सामना किया। मंगोलों को आखिरकार मुंह की खानी पड़ी। कुछ तो अपनी जान बचा कर भागने में कामयाब हुए तो

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इतिहास लिखने ‘जंग ए मैदान’ जाते थे अमीर ख़ुसरो

मीर खुसरो सन् 1286 ईसवीं में अवध के गवर्नर (सूबेदार) खान अमीर अली उर्फ हातिम खां के यहां दो साल तक रहे। यहां खुसरो ने इन्हीं अमीर के लिए अस्पनामाउनवान से किताब लिखी।

खुसरो लिखते हैं, वाह क्या शादाब सरजमीं

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सांस्कृतिक भारत को जानना हैं तो नज़ीर बनारसी को पढ़ना होगा !

रहदों से दूर होती है कविता, एक देश का कवि या शायर दूसरे मुल्क में जा कर अपने कलामों, गज़लों और नज़मों से लोगों को बाग-बाग कर सकता है। खुश कर सकता है। आपस की दीवारों को गिराने का काम साहित्य या

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जब दिलीप कुमार ने महाराष्ट्र में चलाया मुस्लिम ओबीसी आंदोलन

दिलीप कुमार यानी भारतीय सिनेमा के महानायक। उनके अवसान से हिन्दी सिनेमा के एक दौर का अंत हो गया है। वह अपने नैसर्गिक अदाकारी के लिए जाने जाते थे।

जब वो कैमरे के सामने अभिनय कर रहे होते थे, तो कभी लगता ही नहीं

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तहज़ीब और सक़ाफ़त में अमीर ख़ुसरो की खिदमात

मीर ख़ुसरो बहुत सारी खूबियों के मालिक थे और उनकी शख़्सियत बहुत वअसी थी। वो शायर थे, तारीख़दां थे, फ़ौजी जनरल, अदीब, सियासतदां, मौसीक़ीकार, गुलूकार, फलसफ़ी, सूफ़ी और न जाने कितनी शख़्सियात के मालिक थे।

मेरी

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मर्दाने समाज में स्त्रीत्व की पहचान परवीन शाकिर!

रवीन शाकिर उर्दू शायरी का एक जाना माना नाम है। वर्जनाओं से भरे समाज में उन्होंने भावनाओं से भरी कलम को चुना और इसकी स्याही का रंग स्त्रीत्व के गुलाल से रंगा था। कमोबेश, अपनी हर रचना में उन्होंने स्त्री मन के कोमल

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