अय्याशी ले उड़ा ग्यारह महीनों का जहाँदार शाह का शासन

रवरी सन 1713 इसवीं को फर्रुखसियर ने दिल्ली का सिंहासन संभाला। वहाँ सबसे पहले जहाँदार शाह की खोज हुई, ताकि बादशाह उससे अपने सारे बदले चुका सके। दरअसल जहाँदार शाह परास्त होकर किसी तरह से गिरता-पड़ता बेगम लालकुँवर के साथ आसफुद्दौला असद खान

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शिक्षा और भाईचारे का केंद्र रही हैं पनचक्की

वैश्विक स्तर पर जिस प्रकार से औरंगाबाद शहर ऐतिहासिक तथा औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है उसी प्रकार मध्ययुग में इसी शहर में स्थित ख्वानकाहपनचक्की को अंतरराष्ट्रीय स्तर का आध्यात्मिक शिक्षा केंद्र माना जाता था।

जीवन मार्ग की शिक्षा प्राप्त

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मलिक अम्बर के दौर में कैसी थी व्यापार में प्रगति?

शेख चांद हैदराबाद के आखरी निज़ाम मीर उस्मानअली के दौर में औरंगाबाद शहर के मशहूर लेखक हैं। वे बाबा ए उर्दू मौलवी अब्दुल हक के शिष्य थे। इन्होंने मौलवी हक के निगरानी में उर्दू शायर सौदा के संदर्भ में काफी अच्छा शोधकार्य किया है। महज

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कैसे हुआ औरंगाबाद क्षेत्र में सूफ़ीयों का आगमन ?

प्राचीन काल में भारत और अरब देशो का व्यापारिक सबंध रहा है। छठी शताब्दी पर दकन के समंदरी किनारो पर मलबार, नाला सोपारा, चोल, दाभोल आदी क्षेत्र में अरबों की बस्तीयां बस चूकी थी। पैगम्बर मुहंमद रसूल अल्लाह के बाद अरबों

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बीजापूर : एक खोती हुई विरासत की दर्दभरी चिखे

क बूढ़े आदमी ने मुझे बीजापूर शहर के एक विशाल कब्रस्तान में ले गया, जहां उसके परिजन दफन थे। यह जगह शहर का उपनगर है, जिसे फतहपूर कहते हैं, वहां स्थित हैं। नम आँखो से वह मुझे अपने उन परिजनों के बारे में बता …

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क्या मुगल काल भारत की गुलामी का दौर था?

ब जेम्स स्टुअर्ट मिल ने भारतीय इतिहास को हिन्दू काल, मुस्लिम काल और ब्रिटिश काल में विभाजित किया, उसी समय उन्होंने अंग्रेजों को ‘फूट डालो और राज करो’ की उनकी नीति को लागू करने का मजबूत हथियार दे दिया था। परंतु इसके

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अच्छी खबरें ही देखें‚ ‘भोंपू़ मीडिया’ को करें खारिज

कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ही नहीं‚ कम से कम देश के दो उच्च न्यायालय मीडिया में खबरों (ॽ) के गिरते स्तर को लेकर चिंतित रहे। सुप्रीम कोर्ट ने एक कार्यक्रम को राष्ट्र के लिए अहित करने वाला बता कर रोका तो बॉम्बे हाई

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दकन की शिक्षा नीति का नायक था महेमूद गवान

सल्तनत काल में भारत के शिक्षा क्षेत्र में काफी परिवर्तन हुए। कुतबुद्दीन ऐबक और मुहंमद तुग़लक का दौर भारत में मुस्लिम शिक्षा प्रणाली के प्रचार का दौर माना जाता है। तुग़लक के बाद दकन में बहमनी सल्तनत (Bahmani kingdom) की बुनियाद रखी गयी। इसने दकन …

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मणि कौल ने फिल्मों से पैसा नहीं बल्कि नाम कमाया

पुराने दोस्तों की याद किसी भी चोर दरवाजे से अंदर आ जाती है। कुछ ही दिन पहले फिल्मकार मणि कौल (1944-2011) की याद आ गई। उनकी याद उनके सुनाए एक किस्से से आई। मणि कौल राजस्थान में किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे

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कुतूबशाही और आदिलशाही में मर्सिए का चलन

रबला के शहिदों की याद में मर्सिए (शोक गीत) लिखने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। मध्यकालीन भारत में लिखे कई मर्सिए आज भी मौजूद हैं। मध्यकाल से ही दकनी जुबान और अदब का मर्सिए एक अहम हिस्सा हैं। दकनी के साथ

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