इबने तुमरत वह अरब फ़िलोसॉफ़र जिसने खिलाफ़त में मचाई हलचले

बारहवीं सदी (1121 ईसवीं –1269 ईसवीं) में उत्तर अफ़्रीका (तत्कालीन मग़रिब) में बर्बर मसमुदा का राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक आंदोलन उठा जिसका नेतृत्व अबु अब्दुल्ला मुहंमद इबने तुमरत (Ibn Tumart) (1080 ईसवीं-1130 ईसवीं) ने किया। शुरुआती दौर में इबने

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मुग़ल सत्ता हथियाने वाले सैय्यद भाईयों का नामोनिशान कैसे मिटा?

सैय्यद अब्दुल्ला (Syed Abdullah Khan) दिल्ली के लोगों के मध्य अपने सौम्य और अच्छे व्यवहार के लिए लोकप्रिय था। वह निर्धनों की मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहता था, इसलिए उसे जनता बहुत चाहती थी। वह विद्वान लोगों को संरक्षण देने

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तवायफ से मलिका बनी ‘बेगम समरू’ कहानी

भारत, जहां अधिकतर इतिहास लोक में ही ज़िन्दा है, वहाँ अनाम वीरों को खोजना और उनका अधिकृत इतिहास लिखना बहुत मुश्किल काम है। उनके लिए फिर वे लेखक आगे आते हैं, जो इतिहासकार नहीं हैं, लेकिन उनकी अपनी संवेदना उन्हें

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जहाँदार शाह और उसकी माशूका के अजीब किस्से

पने बादशाहों की बर्बरता, अतार्किकता और प्रेम की अजीबोगरीब कहानियां सुनी होंगी, लेकिन औरंगज़ेब के पौत्र मुग़ल सम्राट जहांदार शाह (Jahandar Shah) की करतूतों के बारे में नहीं पता होगा। अपने भाइयों का कत्ल कर जहाँदार शाह 29 मार्च 1712 को

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मुग़ल सत्ता को काबू करने वाले सैय्यद हुसैन का खौफनाक अंत

दुहाई सरकार, दुहाई…!!”

दिल दहलाने वाली आवाजों के साथ मीर हैदर बेग अमीर-उल-उमरा सैय्यद हुसैन अली (Syyed Brothers) की पालकी की ओर रोता-बिलखता चला आ रहा था।

यह वह समय था, जब अमीर-उल-उमरा फतेहपुर सीकरी के पास पड़ाव में रुके

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ब्रिटेन का ‘डायवर्सिटी क्वाइन’ बनेगा सभ्यताओं का गठजोड़

क खबर के अनुसार, ब्रिटेन के चांसलर ऑफ़ द एक्सचेकर ‘ऋषि सुनाक’ ने 17 अक्टूबर 2020 को 50 पेन्स का एक नया सिक्का जारी किया। सिक्के को ‘डायवर्सिटी क्वाइन’ का नाम दिया गया है और इसे ब्रिटेन के बहुलवादी इतिहास का उत्सव मनाने और

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मुहंमद शाह को बादशाहत देकर सैय्यद भाइयों नें क्या खोया?

मुल्क का मुग़ल बादशाह रफीउद्दौला यानी शाहजहाँ द्वितीय गंभीर रूप से बीमार था। उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी तो सैय्यद बंधुओं (Sayyid brothers) को सत्ता अपने हाथ से निकल जाने की आशंका सताने लगी। बहुत सोच-विचार कर सैय्यद अब्दुल्ला ख़ान

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अपनी इबारत खुद लिखने वाली अदाकारा शौकत आज़मी

शानदार अदाकारा शौकत कैफी, जिन्हें उनके चाहने वाले शौकत आपा और उनके करीबी मोती के नाम से पुकारते थे, बीते साल 22 नवम्बर को इस दुनिया से हमेशा के लिए जुदा हो गईं। और अपने पीछे छोड़ गईं, ‘याद की

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क्या आपने मुग़ल बादशाह ‘रफी उद दरजात’ का नाम सुना है?

कोई सोच भी नहीं सकता था कि तैमूर के वंशज बादशाह बाबर, हुमायूं, अकबर, शाहजहाँ और औरंगजेब के बाद मुगलों के वंश का इतना बुरा समय आएगा। तब योग्य शहंशाहों और शहज़ादों का इस कदर किल्लत पड़ गई कि कोई इस

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क्यों हुई मुग़ल बादशाह फ़र्रुखसियर की दर्दनाक हत्या?

किंगमेकर सैय्यद भाइयों और बादशाह मुहंमद फर्रुखसियर (Farrukhsiyar) के संबंध इतने खराब हो चुके थे कि उसका हटाया जाना तय हो गया थामाहौल खिलाफ देखते हुए बादशाह फर्रूखसियर ने सैय्यद भाइयों (Sayyid brothers) की तमाम शर्तें भी मंजूर कर लीं थी। जयसिंह

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