मुसलमानों को लेकर मीडिया में नफरत क्यों हैं?

सामान्य सामाजिक सोच जब बनती हैं, तो उसमे मीडिया का बडा हाथ होता हैं आज ऐसे हालात हो गये हैं, खास तौर पर मुस्लीम कम्युनिटी एक टारगेट बन गई हैं, वह निशाने पर बनी हुई हैं, उसे हाशिये पर, मार्जिन पर ढकलने कि

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हाशिमपुरा : तीन दशक बाद भी नहीं बदली पुलिस मानसिकता

हाशिमपुरा की घटना को 33 साल पुरे हो चुके हैं। आज भी हाशिमपुरा के मजलुमों को सामाजिक, राजनैतिक न्याय दिलाने में भारतीय समाज नाकाम रहा है। हाशिमपुरा कि तरह हाल ही का दिल्ली दंगा, इससे पहले मुंबई में आगरीपाडा, माहिम पुलिस थाने कि घटनाओं …

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कोरोना ‘कम्युनिटी वायरस’ हो जाएगा तो कौन बचेगा?

लॉकडाउन की वजह से हर गरीब परेशान है। फाकाकशी का दौर चल रहा हैं। प्रधानमंत्री ने इस लॉकडाऊन को बगैर किसी से मशवरा किए एलान कर दिया हैं।

ना कोई टाइम दिया, बस ऐसे ही एलान कर दिया। अब कोई कुछ नहीं कर सकता। …

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क्यों जोडा जा रहा हैं कोरोना वायरस को मजहब से?

कोविड-19 के नाम पर हमारे वतने अजीज में नफरत फैलाई गई। मुल्क में एक खास समुदाय हैं, जो सत्ता के कुर्सी पर बैठा है और मीडिया के कुर्सियों पर बैठा हैं, उन्होंने कोरोना वायरस को इस्लाम से जोडकर हमारे हमवतनों के दिलों में मुसलमानों …

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कैसे हुई कोरोना को तबलीग पर मढ़ने की साजिश?

मीडिया के एक बड़े हिस्से ने जिस तरह जमात की गलती को एक साजिश और भारतीय मुसलमानों का देश पर हमला बताया वह घिनौना था। इससे उन तत्वों के हाथ मजबूत हुए हैं जो समाज को धर्म के आधार पर विभाजित कर कोरोना संकट में

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‘गोदी मीडिया’ के खिलाफ दायर जमीअत के याचिका में क्या हैं?

देश के बेलगाम टीवी चैनलों पर कानूनी अंकुश लगाने की पहल जमीअत उलेमा ए हिन्द (Jamiat e Ulema Hind) ने कर दी है। 6 अप्रेल 2020 के जमीअत की कानूनी इम्दाद कमेटी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में

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सावरकर के हिन्दुराष्ट्र में वंचितों का स्थान क्या होगा?

स देश में 80 प्रतिशत आबादी बड़े अर्थों में हिन्दू है। लेकिन उन में अभी भी वर्ण और जातिओं के वर्चस्व है, क्योंकि समाज में जन्मजात असमानता, अन्याय और शोषण की व्यवस्था में परंपरागत रूप से हजारों वर्षों से चली आ रही हैं। इसलिए …

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दलित समुदाय दिल्ली दंगों में मोहरा क्यों बना?

दिल्ली में हुए खून-खराबे, जिसे मुसलमानों के खिलाफ हिंसा कहना बेहतर होगा, ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। विभिन्न टिप्पणीकार और विश्लेषक यह पता लगाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं कि इस हिंसा के अचानक भड़क उठने के

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‘विकास में देश से आगे फिर भी कश्मीर के साथ अन्याय क्यों हुआ?’

राज्यसभा से :

दूसरा इल्जाम हम पर लगा कि आर्टिकल 370 की वजह से जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदी नहीं की जा सकती थीं और इसलिए उद्योग नहीं लगे। मैं बताना चाहता हूं कि जम्मू कश्मीर में जब तक हमने केंद्र और राज्य में

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‘झुठ और धोकेबाजी से निरस्त हुई धारा 370’

राज्यसभा से :

राष्ट्रपति के भाषण में काश्मीर के आर्टिकल 370 को लेकर एक पेज लिखा गया था। 5 अगस्त 2019 को हमने जिंदगी में पहली दफा उस बिल संसद में पढा। पिछले 4042 साल से हम पार्लिमेंट में है।

हमने यह

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