डी. डी. कोसम्बी मानते थे कि अकल्पनीय था प्राचीन भारत का वैभव

दामोदर धर्मानंद कोसम्बी कि आज 29 जून को पुण्यतिथी हैं 1966 में उनका निधन हुआ था उनका जन्म 31 जुलाई 1907 को गोवा के कोसबेन में हुआ था इनकी पहचान गणितज्ञ, इतिहासकार और राजनैतिक विचारक के रुप में होती हैं

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इमरजेंसी से पहले क्या थे इंदिरा गांधी के कानूनी दांव-पेंच?

च्चीस जून 1975 का दिन आज़ाद देश के इतिहास में एक काले दिन के रूप में याद किया जायेगा जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इं​​दिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी यानी आपातकाल लगा दिया था।

इस दौरान देश भर में एक लाख से अधिक

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Rane Prakash/Hindustan Times

वो आपातकाल था, तो यह ‘आफ़तकाल’ हैंं





प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गये आपातकाल को 45 साल हो चुके हैं मगर आज के दौर में भी देश के हालात उसी तरह नजर आते हैं, जैसे 1975 में थे इस स्थिति पर चर्चा करता वरीष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त का यह आलेख

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सिनेमा को बुराई कहने पर गांधी पर उखडे थे ख्वाजा अहमद अब्बास

हात्मा गांधी ने सिनेमा को जुआ, सट्टा, नशाखोरी आदि जैसी बुराईयों के साथ रखा था जिसका जवाब महान फिल्मकार ख्वाजा अहमद अब्बास नें एक खुले खत (Open Letter) में रूप से दिया था

जिसमें उन्होंने कहा था, गर कुछ लोग

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सर सय्यद के कट्टर आलोचक थे अल्लामा शिबली नोमानी

अंग्रेजी सत्ता कि सामाजिक एव सांस्कृतिक साजिशों का अलीगढ़ ने पुरजोर विरोध किया। सर सय्यद के राष्ट्रवाद कि व्याख्या से प्रेरित यह आंदोलन मौ. शिबली नोमानी के इस्लामी मूल्यों, आदर्शों को अपनी बुनियाद मानता था।

शिबली ने अपनी जिन्दगी के 16 साल

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नेहरू ने पहले भाषण में रखी थी औद्योगिक विकास की नींव

नेहरू कि लेखमाला :

भारत के पहले जनता के सेवक याने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एक दूरदृष्टी वाले नेता थे उन्होंने स्वाधीनता के बाद लाल किले से दिए अपने पहले भाषण में समाज के बढती जरुरतो को पूरा करने के लिए उत्पादन क्षमता बढाने कि

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दास्तान-ए-ग़दर के बाद बहादुर शाह ज़फ़र का क्या हुआ?

ह वो दौर था जब मुघलिया सल्तनत का सूरज डूबने वाला था, बहादुर शाह ज़फ़र की हुकूमत लाल क़िले की दीवारों के तक महदूद हो कर रह गई थी, ईस्ट इंडिया कंपनी ने मद्रास से लेकर कलकत्ता और बंबई से लेकर गुजरात

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निजाम और गोखले स्कॉलशिप

निज़ाम ने शुरू कि थी गोखले के नाम स्कॉलरशिप





मुंबई के गोखले स्मारक के आर्थिक सहायता के लिए हैदराबाद के निज़ाम के पास एक लिए खत लिखा गया जिसके बाद संस्थान में यह यह चर्चा शुरू हुई कि किसी बाहरी संस्था को निधी देने के बजाय राज्य में इस नाम से क्यों न स्कॉलरशिप

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हिन्दू पुजारी हमेशा करते थे टिपू सुलतान के जीत की कामना

हैदरअली के बाद टिपू सुलतान ने मैसूर के विकास को चरम पर पहुंचाया। किसानों, बुनकरों, व्यापारियों के लिए कई कानून बनाए गए। किसानों का उत्पाद विश्व के बाजार में पहुंचाने के लिए टिपू ने विशेष प्रयत्न किए।

राज्य में 1797 में दो

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हैदरअली ने बनाया था भारत का पहला जातिप्रथाविरोधी कानून

हैदरअली वह पहला भारतीय शासक है जिसने वर्णव्यवस्था को चुनौती देकर दलितों के लिए कानून बनाया। दलितों को शस्त्र का अधिकार देने के साथ कई असामाजिक, अमानवीय प्रथाओं पर उने रोक लगाई थी। सामाजिक सुधार और सौहार्द कि हैदरअली कि नीति भारत के

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