अपनी कहानियों को खुद जीती थी रज़िया सज्जाद जहीर!

ज़िया दिलशाद उर्फ रज़िया सज्जाद जहीर को ज्यादातर लोग प्रगतिशील लेखक संघ के संस्थापक सदस्य सज्जाद जहीर की पत्नी के तौर पर जानते-पहचानते हैं। जबकि उनकी खुद की एक अलहेदा पहचान थी। वे एक बहुत अच्छी अफसानानिगार और आला दर्जे की अनुवादक थीं।

उन्होंने

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एहसान दानिश की पहचान ‘शायर-ए-मजदूर’ कैसे बनी?

र्दू अदब में एहसान दानिश की पहचान, ‘शायर-ए-मजदूर के तौर पर है। मजदूरों के उन्वान से उन्होंने अनेक गजलें, नज्में लिखीं। वे एक अवामी शायर थे। किसानों, कामगारों के बीच जब दानिश अपना कलाम पढ़ते थे, तो एक

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सांप्रदायिक राष्ट्रवाद को चुनौती देने वाले इतिहासकार डीएन झा

भारत इन दिनों निर्मित की गई नफरतोंकी चपेट में है। इस नफरत के नतीजे में समाज के कमजोर वर्गों, विशेषकर दलितों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरूद्ध हिंसा हो रही है। इन समुदायों के विरूद्ध नफरत भड़काने के लिए झूठ का

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ज़ज्बात को अल्फाजों में नुमायां करने वाले अफ़साना निगार ‘शानी’

शानी के मानी यूं तो दुश्मन होता है और गोयाकि ये तखल्लुस का रिवाज ज्यादातर शायरों में होता है। लेकिन शानी न तो किसी के दुश्मन हो सकते थे और न ही वे शायर थे। हां, अलबत्ता उनके लेखन में शायरों सी भावुकता

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कम्युनिज्म को उर्दू में लाने की कोशिश में लगे थे जोय अंसारी

मुल्क में तरक्की पसंद तहरीक जब परवान चढ़ी, तो उससे कई तख्लीककार जुड़े और देखते-देखते एक कारवां बन गया। लेकिन इस तहरीक में उन तख्लीककारों और शायरों की ज्यादा अहमियत है, जो तहरीक की शुरुआत में जुड़े, उन्होंने मुल्क में साम्यवादी

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गुफ़्तगू ए मौसिक़ी से अनवर गुमनाम क्यों हुए?

ज भी सिने संगीत के शौकिन ये मानते हैं कि मौहब्बत अब तिजारत बन गयी हैं.. गीत मुहंमद रफी ने गाया हैं। दरअसल ऐसा नही है, ये मशहूर गाना अनवर हुसैन ने गाया हैं। चौंक गये नजी हाँ बॉलीवूड के

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इलाही जमादार को कहा जाता था मराठी का ‘कोहिनूर-ए-ग़ज़ल’

विवार 31 जनवरी को सुबह मशहूर साहित्यिक, शायर और ग़ज़लकार इलाही जमादार का निधन हुआ। बीते कुछ दिनों से वह बिमार चल रहे थे। अपने पैतृक गांव स्थित रिहायशी मकान में 75 वर्षीय जमादार का इंतकाल हुआ हैं।

वरीष्ठ समाजसेवी और इलाही के दोस्त …

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नेताजी पर कब्जा ज़माने की कोशिश क्यों हो रही हैं?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती (23 जनवरी) के अवसर पर देश भर में अनेक आयोजन हुये। राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन में उनके तैल चित्र का अनावरण किया।

इसी दिन केंद्र सरकार ने घोषणा की कि नेताजी का जन्मदिन हर साल

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न्या. रानडे के खिलाफ तिलक ने क्यों खोला था मोर्चा?

क्या न्या. रानडे एक महापुरुष थे? उनका व्यक्तित्व निःसंदेह महान था। यह भीमकाय व्यक्ति थे। यह आशावादी स्वभाव, मिलनसार तथा हंसमुख मनोवृत्ति एवं बहुमुखी क्षमता वाले व्यक्ति थे। उनमें सच्चाई थी, जो सब नैतिक गुणों का संगम है और उनकी सच्चाई इस

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नामदेव ढ़साल : नोबेल सम्मान के हकदार कवि

नामदेव ढ़साल कविताओ में तिखें शब्दों के इस्तेमाल के लिए जाने जाते हैं। मराठी का ये कवि विद्रोह का जिता जागता शोला था। जिसने न सिर्फ समाज मे पनपे ब्राह्मण्यवाद, उच-निच पर प्रहार किया बल्कि एक सांस्कृतिक नवजागरण भी दर्ज कराया, जो

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