किसी तलवार से कम नही थी ‘मजाज़’ की शायरी!

सरारुल हक मजाज की खूबसूरत, पुरसोज शायरी के पहले भी सभी दीवाने थे और आज भी उनकी मौत के इतने सालों बाद, यह दीवानगी जरा सी कम नहीं हुई है। मजाज सरापा मुहब्बत थे। तिस पर उनकी शख्सियत भी दिलनवाज

यहाँ क्लिक करें

देव आनंद फिल्म इंडस्ट्री के ‘रूमानियत का बादशाह’

दाबहार अभिनेता देव आनंद की चर्चा फिल्म गाईड और सुरैय्या के प्रेम प्रकरणो से आगे अभी तक नही बढ़ पायी हैं। जब भी उनका जिक्र आता हैं, तो हर कोई ये दो कहानीयां दोहराता हैं। गाईड की चर्चा आम और खास भी हैं। खुद

यहाँ क्लिक करें

उर्दू मिठास तो है पर सही उच्चारण के बगैर महसूस नही होती!

र्दू बुनियादी तौर पर उत्तर भारत की एक ‘अर्बन जुबान’ रही है। उसकी फोनोटिक पर, उसके सैटर्लिटी पर उसके नोअर्सिस पर सीरियसली काम किया गया है। इस हद तक कि आप यह सोचों गालिब की एक किताब है, जिसे उनके दो दोस्त थे, उन्होंने …

यहाँ क्लिक करें

भारतीय सभ्यता की सराहना में इस्मत आपा क्यों नहीं?

र्दू मॉडर्न कहानी के चार सतून रहे। तीन का भार मर्दाने कन्धों पर था। कृश्न चंदर, राजिंदर सिंह बेदी और सदाअत हसन मंटो। चौथा कंधा जनाना था। इस अकेले सतून में इतनी ताक़त रही कि इन्हें ‘मदर ऑफ मॉडर्न स्टोरी इन उर्दू’ कहा गया। 

यहाँ क्लिक करें

रफ़ीउद्दौला जो रहा चंद महीनों का मुग़ल सम्राट

गंभीर रूप से बीमार बादशाह रफी-उद-दरजात का आखिरी वक्त आया था। ये देखकर सैय्यद भाई विचार करने लगे कि बन्दी शहजादों में से किसको समय के गर्त से निकाल कर अब गद्दी पर बैठाया जाए।

इस बीच बीमार बादशाह ने सैय्यद बंधुओं से अनुरोध …

यहाँ क्लिक करें

आज़ादी के बाद उर्दू को लेकर कैसे पैदा हुई गफलत?

र्दू, वह भाषा जिसकी कविताएं मुझे बहुत पसंद हैं। इसके बारे में कुछ गलत धारणाएं हैं। पहला तो यही कि उर्दू विदेशी भाषा है। फ़ारसी और अरबी बेशक विदेशी भाषाएं हैं, लेकिन उर्दू देसी (स्वदेशी) भाषा है।

साबित करने के लिए यह उल्लेख किया …

यहाँ क्लिक करें

वतन के लिए निदा फ़ाजली ने अपने मां-बाप को छोड़ा था!

दोहा जो किसी समय सूरदास, तुलसीदास, मीरा के होंठों से गुनगुना कर लोक जीवन का हिस्सा बना, हमें हिन्दी पाठ्यक्रम की किताबों में मिला। थोड़ा ऊबाऊ। थोड़ा बोझिल। लेकिन खनकती आवाज़, भली सी सूरत वाला एक शख्स, जो आधा

यहाँ क्लिक करें

प्रतिगामी राजनीति की भेंट चढ़ा हिन्दी-उर्दू का भाषा संसार

हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान के आधुनिक हिमायती यह जान कर बेहोश न हों कि भाषा के लिए हिन्दी शब्द के सबसे पहले उपयोग का श्रेय हिन्दुओं को नहीं, मुसलमान लेखकों और कवियों को जाता है। अमीर खुसरो की ‘खालिक बारी’ हिन्दी-उर्दू का सबसे पुराना कोष

यहाँ क्लिक करें

मजाज़ से मिलने लड़कियां चिठ्ठियां निकाला करती थीं

सूफी शायर उस्मान हारूनी के इस शेर का मतलब है।। मेरे महबूब ये तमाशा देख कि तेरे चाहने वालों के हूजूम में हूं और रूसवाइयों के साथ, बदनामियों के साथ, सरे बाज़ार में नाच रहा हूं।

उस्मान हारूनी के इस शेर की गर्मी मजाज़ …

यहाँ क्लिक करें

ए. के. हंगल : सिनेमा के भले आदमी आंदोलनकारी भी थे

ए. के. हंगल के नाम का जैसे ही तसव्वुर करो, तुरंत हमारी आंखों के सामने एक ऐसी शख्सियत आ जाती है जो सौम्य, शिष्ट, सहृदय, सभ्य, गरिमामय, हंसमुख है और इस सबसे बढ़कर एक अच्छा इंसान। भला आदमी ! हिन्दी सिनेमा का भला आदमी। 26 …

यहाँ क्लिक करें