सिनेमा को बुराई कहने पर गांधी पर उखडे थे ख्वाजा अहमद अब्बास

हात्मा गांधी ने सिनेमा को जुआ, सट्टा, नशाखोरी आदि जैसी बुराईयों के साथ रखा था जिसका जवाब महान फिल्मकार ख्वाजा अहमद अब्बास नें एक खुले खत (Open Letter) में रूप से दिया था

जिसमें उन्होंने कहा था, गर कुछ लोग

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अकबर के दिमाग से निकले थे कई आलिशान इमारतों के नक्शे

नेहरु कि लेखमाला :

ण्डित नेहरू कि ‘Glimpses of world history’ किताब मध्यकालीन भारत के इतिहास का एक संपन्न और सर्वकालिक दृष्टिकोण प्रदान करती हैं। यह ग्रंथ 1934 में लिखा गया था।

आज जब मध्यकाल के इतिहास को तोड-मरोडकर पेश किया जा रहा

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सर सय्यद के कट्टर आलोचक थे अल्लामा शिबली नोमानी

अंग्रेजी सत्ता कि सामाजिक एव सांस्कृतिक साजिशों का अलीगढ़ ने पुरजोर विरोध किया। सर सय्यद के राष्ट्रवाद कि व्याख्या से प्रेरित यह आंदोलन मौ. शिबली नोमानी के इस्लामी मूल्यों, आदर्शों को अपनी बुनियाद मानता था।

शिबली ने अपनी जिन्दगी के 16 साल

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बदले कि भावना मे हुई थी अहमदनगर शहर कि स्थापना

हमदनगर मध्यकालीन दकन का एक अहम शहर है। नगररचना और अद्भुत वास्तुकौशल्य तथा भौतिक विकास कि वजह से इसकी तुलना मध्यकालीन ‘बगदाद’ और ‘मिस्त्र’ के साथ होती रही। रेशम व्यापार और हबशी सरदारों का केंद्र रहे अहमदनगर को अरब जगत में काफी प्रतिष्ठा प्राप्त …

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नेहरू ने पहले भाषण में रखी थी औद्योगिक विकास की नींव

नेहरू कि लेखमाला :

भारत के पहले जनता के सेवक याने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एक दूरदृष्टी वाले नेता थे उन्होंने स्वाधीनता के बाद लाल किले से दिए अपने पहले भाषण में समाज के बढती जरुरतो को पूरा करने के लिए उत्पादन क्षमता बढाने कि

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तुघ़लक काल में कैसे मनायी जाती थी रमज़ान ईद?

मुहंमद तुघ़लक काफी उत्सवप्रिय व्यक्ती था। होली, दिवाली जैसे त्योहार वह काफी उत्साह से मनाता था। उसके दरबार में रमज़ान और बकर ईद मनाने कि एक विशेष पद्धती थी।

रमज़ान ईद के दिन ईदगाह जाकर नमाज पढ़ने, बकर ईद में कुर्बानी करने से लेकर …

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बादशाह, उलेमा और सूफी संतो कि ‘दावत ए ख़ास’

ध्यकाल में इफ्तार कि दावतों का विशेष महत्त्व था। इन्हीं दावतों के जरिए विद्वानों कि परिचर्चा, मनमुटाव कि बैठकों तथा स्नेहमिलन का आयोजन किया जाता था।

‘दावत ए ख़ास’ के नाम से मशहूर यह इफ्तार भोज समाज के तीन भिन्न वर्गोंद्वारा आयोजित किया जाता

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‘मुसलमानी की कहानी’ धर्मवाद पर प्रहार करती टैगोर कि रचना

वीन्द्रनाथ टैगोर एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं हैं जन गण मन भारत का राष्ट्र-गान तो आमार सोनार बांग्लाबांला देश का। महाकवि टैगोर 1861 को वह पैदा हुए वे

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फैन्स के कर्जदार बने रहेंगे ऋषि कपूर

दाबहार अभिनेता ऋषि कपूर अब हमारे बीच नही हैं कॅन्सर के बिमारी नें उन्हें हम से छिन लिया बीते कई सालों से वह इस बिमारी से जुझ रहे थे कल मंगलवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया

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एकाएक जिन्दगी के स्टेशन पर रुक गये इरफ़ान ख़ान

ब़ॉलीवुड हरफनमौला अभिनेता इरफ़ान ख़ान इस दुनिया से चल बसे। मंगलवार 28 अप्रैल को उनकी तबीयत बिगड़ जाने की वजह से उन्हें मुंबई के अस्पताल में दाखिल कराया गया था इस खबर को पाते ही लोग सोशल मीडिया पर इरफ़ान के सेहत

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