‘सरकार गलती कबुल करे और कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करें’

राज्यसभा से :

मेरे पास जम्मू-कश्मीर के विकास को लेकर बहुत आंकड़े हैं पर मैं इसमें नहीं जाता हूँ। आरबीआई की इस हैंडबुक में 114 पैरामीटर हैं, जिसका केंद्रीय सरकार सर्वेक्षण करती है। उसमें हेल्थ, एजुकेशन, सैनिटेशन और खाना है। इन 114 में से जम्मू कश्मीर में करीबन 80 पैरामीटर में राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा का आंकड़ा है और गुजरात सिर्फ 52 प्रतिशत हैं। इससे यह साबित हो जाता है कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी गुजरात से बेहतर स्थिति हमारी ही है।

बहाना बनाया गया था कि आपका राज्य मे विकास नही होता इसलिए हमने तोड़ा, इसलिए आर्टिकल 370 खत्म किया। असल बात तो यह है कि आपको इस स्टेट कि गवर्निंग करनी ही नहीं आती। हम 114 में से 80 पैरामीटर में राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है। अगर यही तुलना की जाए तो कितने राज्यों को आज डिस्मिस किया जाना चाहिए और उन्हे केंद्र शासित प्रदेश बनाना चाहिए!

पिछले तीन भाग

आंकडे हवा में नही बनते

प्रधानमंत्री की अपना राज्य नेशनल लेवल से बहुत कम 52 प्रतिशत ऊपर है। और जम्मू कश्मीर 80 पॉइंट में सबसे ऊपर है। इसका मतलब यह है कि जम्मू कश्मीर अधिक विकासशील राज्य हैं। जिसे केंद्र शासित प्रदेश बनाना बेमानी था। इसलिए मैं उसे सिद्ध करना चाहता था।

झूठ, फरेब और धोखे से इस देश को गुमराह कर दिया गया कि जम्मू-कश्मीर में कुछ नहीं होता। जिन लोगों ने वे आज यहां नहीं है, उन में फारूक अब्दुल्लाह हो, उमर अब्दुल्ला हो, महबूबा मुफ्ती हो या; इन सबने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के साए में सरकारे चलाई हैं। जिन्होंने अपनी जिंदगी पर खेलकर और हमने (काँग्रेस) यह आंकड़े बनाए हैं।

ऐसे ही हवा में आंकड़े नहीं बने है। यह जो मैं आंकड़े पढ़ रहा हूं, यह हम सब लोगों ने मेहनत की है। और फिर हमें बदनाम किया जाता हैं। यह चोर है और इन्हें जेल में बंद रखो। इस तरह से आप देश को धोखा नहीं दे सकते।

यह उपलब्धियां हम सब के मेहनत के बाद वास्तव में आई हैं। और मुझे आज अफसोस है कि जिन लोगों ने, जिन सरकारों ने, जिन लीडरों ने, जिन लोगों ने वहां आतंकवाद का मुकाबला किया, कश्मीर के 5060 हजार से ज्यादा नौजवान, मर्द, औरतें आतंकवाद का शिकार हो गए। आज उनकी सराहना करने के बजाए उनको सलाखों के पीछे रखा गया हैं।

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हजारो करोड को चपत

इसलिए फौरी तौर पर उन लीडरों को रिहा करना चाहिए और वहां पॉलिटिकल एक्टिविटीज शुरू करनी चाहिए। वहां नुकसान हुआ है, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख इन तीनों हिस्सों का नुकसान हुआ हैं। देश का नुकसान हुआ हैं। हमारे इकोनामी का नुकसान हुआ हैं। फ्रूट, एग्रीकल्चर का बहुत बड़ा नुकसान हुआ हैं। टूरिजम, हैंडीक्राफ्ट का नुकसान हुआ हैं।

जम्मू में सैकड़ों उद्योग बंद हो गए। जम्मू की इंडस्ट्री बैठ गई। जम्मू का ट्रांसपोर्ट खत्म हो गया। जम्मू में एंप्लॉयमेंट जीरो हो गई। जम्मू के होटल-रेस्टोरेंट सब बैठ गए।

जम्मू की दुकानें, जो कश्मीर के वजह से चलती थी। कश्मीर के लोग जम्मू से सामान लेते थे, वह सब दुकानें बैठ गई हैं। आपका खयाल होगा कि खाली कश्मीर को नुकसान हुआ, पर जम्मू को भी उतना ही नुकसान हुआ जितना कश्मीर के लोगों का हुआ हैं।

लोगों का नुकसान सबसे अधिक

चायना और बाकी पाकिस्तान का बॉर्डर का जो हिस्सा है वहां अच्छी सरकार वही होती है, जो वहां के लोगों के साथ मिलकर चले। खराब सरकार वही है जो वहां के लोगों के साथ लड़े। इसका मतलब है कि वह (सरकार) देश को कमजोर कर रही हैं।

उस देश में यकीनन आर्मी का रोल होता है। सिक्योरिटी फोर्सेस का भी रोल होता है। लेकिन सीमावर्ती राज्यों मे वहां के लोगों का भी उतना ही रोल होता है। क्योंकि सबसे पहले दूश्मन के सामने वही लोग रहते हैं। जब दुश्मन मुल्क से गोलियां चलती है, हथगोले चलते हैं वो सबसे पहले लोगों के घरों पर गिरते हैं।

फिर वह चाहे जम्मू-कश्मीर हो या लद्दाख हो। चाहे वह हिंदू हो, मुसलमान, हो सिख ईसाई हो; हमारे सभी भाइयों का नुकसान हुआ हैं। जम्मू और कश्मीर के लोगों का भी नुकसान हुआ है। जम्मू, कठुआ जहां जब भी ज्यादा आतंकवाद बढ़ता है, सीजफायर वायलेशन हो जाता है, तब सबसे ज्यादा गोलियां कठुआ, सांबा और जम्मू के लोगों पर गिरती हैं। इसलिए यह कहना गलत होगा के जम्मू-कश्मीर में कुछ नहीं हुआ।

मुझे पूरा विश्वास है कि यह सरकार अपनी गलती को मान जाएंगी और तुरंत पूर्ण राज्य में जम्मू-कश्मीर बदल देंगी। यूनियन टेरिटरी सिस्टम को तुरंत खत्म करके इसी सेशन में राज्य का बिल लाए। तमाम पॉलिटिकल पार्टी के लीडरों को छोड़ दें ताकि पॉलीटिकल एक्टिविटीज शुरू हो जाए।

— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) March 9, 2020

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और अंत में

पूरा देश जो 2 महीनों से CAA, NRC और NPR लेकर सड़कों पर है। मैंने कभी नहीं देखा कि देश में इतने बड़े पैमाने पर विरोध हुआ हो। पूरे देश में जहां 9090 साल, 8080 साल के बूढ़े, औरतें, मर्द रास्ते पर हैं। दो साल-एक साल और तीन महीने का बच्चा अपनी मां के गोद में लिए ठंड में बाहर 24 घंटे बैठी हैं। लेकिन यह एक ऐसी सरकार है, सरकार के किसी एक मंत्री ने इस पर एक भी स्टेटमेंट नहीं दिया कि आपका प्रॉब्लम क्या हैं!

उलट सरकार के मंत्रियों के कैसे-कैसे बयान सामने आए। मेरे मित्र (भूपेंद्र) यादवजी ने गांधी को अच्छी तरह से स्मरण किया। जब भी विपक्ष को डराना है तो गांधी का इस्तेमाल करते हैं। गांधीजी की आपने हालत क्या कर दी है?

आप के सांसद और नेताओं ने गांधी की हालत क्या की है! शर्म आनी चाहिए कि इस तरह बयान आते हैं। वह सांसद (साध्वी प्रज्ञा सिंह) हमारे सहयोगी बनी हैं। कभी ऐसा दिन आया है जब वह सांसद चाहे इस सदन हो या उस सदन में, तब उनसे सवाल करुंगा।

भोपाल के यह सासंद जो गांधीजी के कातील को हीरो मानती है और गांधीजी को जीरो मानती हैं। आपका (सरकार) मिनिस्टर जिसने गांधीजी के बारे में क्या-क्या कहा! वह अभी भी सांसद हैं, उसने गांधीजी के बारे में क्या-क्या कहा हैं।

गांधीजी के लिए मैं वह गंदे शब्द अपने जबान पर ला नहीं सकता। पर आप गांधीजी के हितेषी (?) है! आप गांधी जी को मानते (?) हैं! वोह तो 24 घंटे उनको इस्तेमाल करने के लिए! आपने हिम्मत नहीं है कि उन दो विधायको और सांसद को सस्पेंड करें, डिस्मिस करें, पार्टी से निकाल दें।

आप में हिम्मत नहीं है जो मंत्री गांधीजी को गालियां देते हैं, उनको सस्पेंड करे, उनके खिलाफ नोटिस निकाले। यह भी हिम्मत आप में नहीं है। कभी तो कुछ दिखाइए! यह जब आप नहीं करते हैं तब आप पर शक होता है कि यह सब कुछ आपकी वजह से होता है, आप ही सब इसके पीछे होते हैं।

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इसलिए माननीय राष्ट्रपतिजी का धन्यवाद करता हूँ। उनको मजबूरी है, हर राष्ट्रपति को पढ़ना पड़ता है, जो उन्हे सरकार बना कर दें। लेकिन उन तमाम चीजों की तरफ ध्यान नहीं दिया जो वादे आपने किए थें। वह कोई वादा आपने पूरा नहीं किया। आप जो भी चीज लाएंगे, विवादित चीज लाएंगे। ताकि लोगों का ध्यान हट जाए उन तमाम मुद्दों से जिन पर आपने वादे किए थें। इन्हीं शब्दों के साथ राष्ट्रपति जी के भाषण का धन्यवाद करता हूँ।

(समाप्त)

गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा का पुरा भाषण आप यहां सून सकते हैं..

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