दकनी सभ्यता में बसी हैं कुतुबशाही सुलतानों कि शायरी

कुली कुतुबशाह एक प्रसिद्ध दकनी शायर था। उसे उर्दू कविताओ का आद्यकवि माना जाता हैं। उसने कविताओ को फारसी से छुडाकर हिन्दवी और दकनी जुबान में ढाला। जिसे बाद में वली औरंगाबादी ने देशभर में  ले जाने का काम किया।

कहा जाता हैं कि उससे

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मुग़ल राजवंश में अनारकली का इतिहास क्या हैं?

मुग़ल बादशाह अकबर के पुत्र सलीम और हरम की दासी अनारकली की प्रेम कहानी का इतिहास में भले ही कोई उल्लेख न मिलता हो, लेकिन किंवदंतियों और किस्से-कहानियों ने दोनों को महान प्रेमी के रूप में स्थापित किया है। जिससे यह गाथा आज

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‘मूकनायक’ सौ साल बाद भी क्यों हैं प्रासंगिक?

भीमराव अम्बेडकर के अखबार मूकनायक’ के प्रकाशन की 31 जनवरी सौवीं वर्षगांठ थीं। उसी दिन मूकनायक का पहला अंक प्रकाशित हुआ था। इसका पहला अंक उन्होंने 31 जनवरी, 1920 को निकाला, जबकि अंतिम अखबार प्रबुद्ध भारतका

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जब जाँ निसार अख्त़र ने जादू के कान में पढ़ा ‘कम्युनिस्ट मेनिफिस्टो’

प्रसिद्ध शायर जाँ निसार अख्त़र शायर और फिल्मो के नगमानिगार जावेद अख्त़र के वालिद थें। जावेद अख्त़र नें अपने पिता के साथ रहे रिश्तों के बारे में हमेशा खुलकर कहां हैं।

निदा फाजली नें अपनी बायोग्राफी में उन दोनो पिता-पुत्र के रिश्तो को लेकर

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मैं आजाद के बेकसी का मज़ार हूँ…!

स्वाधीनता आंदोलन के नेता और इस्लाम के प्रकांड पंडित रहे मौलाना अबुल कलाम आजाद कि आज पुण्यातिथी हैं। 22 फरवरी 1958 को आजाद इस दुनिया ए फानी से कूच कर गए। दिल्ली के जामा मस्जिद के निकट उन्हें दफन किया गया। परंतु उनकी स्मृतिस्थली

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छत्रपति शिवाजी महाराज के ब्राह्मण सहयोगी

हाराष्ट्र में 1988 में लिखी गई किताब शिवाजी कोण होता? से पहली बार छत्रपति शिवाजी महाराज कि बहुजनप्रतिपालक प्रतीमा लोगों के सामने आई। वामपंथी विचारक कॉ. गोंविन्द पानसरे ने इस किताब को लिखा था। इस किताब के बाद शिवाजी महाराज कि

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मौलाना अब्दुल गफूर कुरैशी

कुतुब ए दकन – मौलाना अब्दुल गफूर कुरैशी

क्षिण भारत मे सुफी दर्शनके प्रसार-प्रचार के लिए मौलाना अब्दुल गफूर कुरैशी का बडा योगदान रहा हैं। उदगीर जैसे छोटे शहर का यह व्यक्ति का सुफी दर्शन का ज्ञान अदभूत था।

सुफी दर्शन पर उर्दू भाषा में उन्होने अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथो

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गांधीहत्या को लेकर सरदार पटेल ने दिखाई थी उपेक्षा

हात्मा गांधीजी के हत्या का मुकदमा सिधा और स्पष्ट था। परंतु आज 70 साल बाद गांधी हत्या को लेकर गोडसे और सावरकर का महिमामंडन किया जा रहा हैं। झुठी कहानियाँ गढकर और फेक न्यूज को आधार बनाकर गोडसे को दोषमुक्त करने का प्रयास किया

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महात्मा गांधी की चोरी और उसका प्रायश्चित्त

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का इन दिनो 150वा जन्मशताब्दी वर्ष चल रहा हैं। जिस के संयोग में महात्मा गांधी के विचार तथा उनके तत्त्वज्ञान पर परिचर्चा कि जा रही हैं। महात्मा गांधी कि आत्मकथा मेरे सत्य के प्रयोग में गांधीजीं ने अपने साधारण व्यक्ति से

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महात्मा गांधी क्यों हैं विश्वशांति की जरुरत?

विश्व में एक औऱ जहां युद्ध और नफरत का वातावरण हैं। जहां-तहां फासिवादी ताकते उभर रही हैं, चारों और विनाश, आपदा और हिंसा कि स्थिती निर्माण कि जा रही हैं। मध्य आशियाई देशों में धर्म के नाम पर तबाही मचाई जा रही हैं।

ऐसे

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