फैन्स के कर्जदार बने रहेंगे ऋषि कपूर

दाबहार अभिनेता ऋषि कपूर अब हमारे बीच नही हैं कॅन्सर के बिमारी नें उन्हें हम से छिन लिया बीते कई सालों से वह इस बिमारी से जुझ रहे थे कल मंगलवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया

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एकाएक जिन्दगी के स्टेशन पर रुक गये इरफ़ान ख़ान

ब़ॉलीवुड हरफनमौला अभिनेता इरफ़ान ख़ान इस दुनिया से चल बसे। मंगलवार 28 अप्रैल को उनकी तबीयत बिगड़ जाने की वजह से उन्हें मुंबई के अस्पताल में दाखिल कराया गया था इस खबर को पाते ही लोग सोशल मीडिया पर इरफ़ान के सेहत

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अपने संगीत प्रेम से डरते थे व्लादिमीर लेनिन

जवाहरलाल नेहरु कि लेखमाला :

आज रूसी क्रांति के लोकनायक व्लादिमीर लेनिन का 150वा जन्मदिन एक तरफ सारा विश्व पुँजीपतीयों के गिरफ्त आ चुकी हैं, तब समाजवादी विचारधारा का यह नायक याद आना लाजमी हैं सामान्य वर्ग, मजदूरों और किसानों के प्रति सहवेदना

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डॉ. मुहंमद इकबाल एक विवादित राष्ट्रवादी

डॉ. इकबाल के पिता शेख नूर मुहंमद एक श्रद्धावंत तथा सूफी प्रवृत्ती के बुजुर्ग थे। उन्होंने अपने बेटे को कुरआनी शिक्षा के लिए एक सियालकोट के उमर शाह के मकतब याने मदरसे में भर्ती कराया। आगे चलकर प्राथमिक शिक्षा के लिए मदरसे को बदला

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‘मशाहिरे हिन्द’ बेगम निशात उन् निसा मोहानी

भारत के स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं ने अपनी अग्रणी भूमिका निभाई हैं। कई स्त्रिया ऐसी थी, जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी स्वतंत्र पहचान स्थापित की थी। तो कई खवातीनें ऐसी थीं जो अपने खाविंद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ब्रिटिशों के खिलाफ आजादी

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जोतीराव फुले कि ‘महात्मा’ बनने की कहानी

सवी 1847 में एक घटना घटी, जिससे जोतीराव फुले के महात्मा बनने की नियती लिखी जा चुकी थी। हुआ कुछ ऐसा कि नौजवान जोतीराव को अपने एक ब्राह्मण मित्र के शादी का आमंत्रण मिला।

वह उनका प्रिय मित्र था इसलिए वह अच्छे

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‘मलिक अंबर’ के बाद डॉ. ज़कारिया हैं औरंगाबाद के शिल्पकार

विचारक, शिक्षाविद् और राजनेता डॉ. रफिक ज़कारिया का आज 5 अप्रेल को 100 वा जन्मदिन हैं इस जन्मशताब्दी के अवसर पर लोकमत समूह के एडिटर इन चीफ श्री. राजेंद्र दर्डा ने उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की हैं। 

जिसे हम लोकमत समूह के सौजन्य

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बत्तीस साल कि जिन्दगी में शंकराचार्य बने एक महान दार्शनिक

जवाहरलाल नेहरु कि लेखमाला :

पण्डित नेहरू किसी परिचय के मोहताज नही हैं। राजनीति कि उनकी प्रतिभा विश्वविख्यात हैं। वह एक उच्च कोटि के विद्वान भी थें। उनके दार्शनिक विचारों ने आधुनिक भारत कि नींव को अब तक मजबूती से पकडे रखा हैं। उनके लिखे

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हैदरअली ने बनाया था पहला ब्रिटिशविरोधी महासंघ

पेशवाई खानदान का एक नाराज सदस्य राघोबा ने पेशवा (राजा) बनने की मनोकामना से अंग्रेजों कि मदद लेकर पुणे शहर पर हमला किया। पेशवाओं के सामने अंग्रजों का संकट रौद्र रुप धारण कर रहा था।

उस समय नाना फडणवीस ने हैदरअली और निजाम हैदराबाद

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चंपारण नील आंदोलन के नायक पीर मुहंमद मूनिस

चंपारण किसान आंदोलन 1905 में शेख गुलाब द्वारा आरंभ करने के बाद उसमें नया जोश भरने में पत्रकार पीर मुहंमद मूनिस (1882-1949) का योगदान काफी महत्वपूर्ण था। उनका जन्म बिहार के बेतिया गाँव में 1882 में हुआ।

उनके पिता का नाम फतिंगन मियाँ था। …

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