कमलेश्वर मानते थे कि ‘साहित्य से क्रांति नहीं होती’

हुआयामी व्यक्तित्व के धनी कमलेश्वर की 27 जनवरी को 14वीं पुण्यतिथि है। 6 जनवरी, 1932 को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में जन्में कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना उर्फ कमलेश्वरकी आला तालीम इलाहाबाद में हुई।

शिक्षा पूरी करने के बाद आजीविका के लिए

यहाँ क्लिक करें

आज तक मुंबई में भटकती हैं मंटो की रूह

आदत हसन मंटो, हिंद उपमहाद्वीप के बेमिसाल अफसाना निगार थे। प्रेमचंद के बाद मंटो ही ऐसे दूसरे रचनाकार हैं, जिनकी रचनाएं आज भी पाठकों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं। 43 साल की छोटी सी जिन्दगानी में उन्होंने जी भरकर लिखा। गोया

यहाँ क्लिक करें

चित्रकला की भारतीय परंपरा को मुग़लों ने किया था जिन्दा

चित्रकला के क्षेत्र में मुग़ल शासको का बहुत ही अहम योगदान रहा हैं। इनकी पेंटिंग पर हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन तथा इस्लाम का काफी प्रभाव था। उन्होंने दरबारों, जंग, समारोह, उत्सव, प्रेम, विरह, परिंदे, जानवर और शिकार का पीछा करने के दृश्यों समावेश

यहाँ क्लिक करें

क्या उर्दू मुसलमानों की भाषा है?

रंगनाथ सिंह का नजरिया :

हुत से प्रगतिशील हिन्दू मान कर चलते हैं उर्दू मुसलमानों की भाषा है। यह अलग बात है कि वो लिखने-बोलने में हमेशा यही आरोप लगाते हैं कि उर्दू को मुसलमानों की भाषा बना दिया गया है।

दिल्ली के प्रगतिशील

यहाँ क्लिक करें

इरफ़ान की आंखें भी करती थी लाजवाब अभिनय

कबूलअदाकार इरफ़ान खान आज जिंदा होते, तो वे अपना 54वां जन्मदिन मना रहे होते। बीते साल 29 अप्रेल को वे हमसे हमेशा के लिए जुदा हो गए थे। अदाकारी के मैदान में आलमी तौर पर उनकी जो शोहरत थी

यहाँ क्लिक करें

शम्‍सुर्रहमान फ़ारूक़ी : उर्दू आलोचना के शिखर पुरुष

र्दू साहित्य के मशहूर तख़लीककार और अदीब शम्‍सुर्रहमान फ़ारूक़ी (Shamsur Rahman Faruqi) को कुछ लोग कई चांद थे सर-ए-आसमांके लिए जानते जबकि कुछ तो उनकी पत्रिका शब खून के लिए। पर महज उनका साहित्यिक सफर यहीं तक सिमित

यहाँ क्लिक करें

राजेश खन्ना अद्भूत लोकप्रियता हासिल करने वाले सुपरस्टार

राजेश खन्ना बॉलिवुड के पहले सुपरस्टार थे। जिनकी फिल्मों का जादू आज भी तिसरी पिढी के सर चढकर बोलता हैं। उनका नाम आते ही उनके स्वाभाविक अदाकारी क नक्श आँखो के सामने तैरने लगते हैं। उन्हें आँखो द्वारा अभिनय करने के लिए जाना जाता

यहाँ क्लिक करें

कभी किसी के शागिर्द नहीं बने उस्ताद ग़ालिब

ज से 207 साल पहले की आगरा की धरती पर जन्म लिया था उस शख्स ने। उस जैसा आज तक कोई दूसरा नहीं हुआ और आगे शायद ही हो। वह बचपन से ही कोई आम शख्स नहीं था। उसे तो जैसे ईश्वर ने बड़ी

यहाँ क्लिक करें

असद भोपाली : फिल्मी दुनिया के गुमनाम नग़मानिगार

र्दू अदब और फ़िल्म की दुनिया में असद भोपाली ऐसे बदक़िस्मत शायर-गीतकार हैं, जिन्हें अपने काम के मुताबिक वह शोहरत, मान-सम्मान और मुकाम हासिल नहीं हुआ, जिसके कि वे हक़दार थे।

1949 से लेकर 1990 तक अपने चार दशक के लंबे

यहाँ क्लिक करें

एक्टिंग कि ट्रेनिंग स्कूल है दिलीप कुमार की अदाकारी

दाकारी के अजीमुश्शान बादशाह दिलीप कुमार 11 दिसम्बर को अनठानवे (98) साल के हो गए हैं। फिल्मी दुनिया में उनका लेजेंड का मर्तबा है। वे न सिर्फ लाखों दिलों को जीतने वाले शानदार अदाकार हैं, बल्कि अपनी अदाकारी से उन्होंने दिलों

यहाँ क्लिक करें