आधुनिक शिक्षा नीति में मौलाना आज़ाद का रोल अहम क्यों है?

मुल्क में हर साल 11 नवम्बर, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की यौम-ए-पैदाईश, ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवसके तौर पर मनाई जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में आज़ाद का योगदान अतुलनीय है। स्वतंत्र भारत के वे पहले शिक्षा मंत्री थे। आज़ादी के

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महिला अधिकारों के हिमायती थे मौलाना आज़ाद

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद इस्लाम धर्म के अज़ीम आलिम, देशभक्ती, सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जज़्बा रखने वाले एक अद्वितीय शख्सियत थे। लेकिन, ये बहुत अफसोसनाक है कि उनकी खिदमात को तकरीबन भुला दिया गया है। स्कूल या कॉलेज जाने वाली नई पीढ़ी के छात्रों …

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मुस्लिम स्वाधीनता सेनानीओं पर कालिख मलने कि साजिश

नसामान्य में यह धारणा घर कर गई है कि मुसलमान मूलतः और स्वभावतः अलगाववादी हैं और उनके कारण ही भारत विभाजित हुआ। जबकि सच यह है कि मुसलमानों ने हिन्दुओं के साथ कंधा से कंधा मिलाकर आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और पूरी

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मैं आजाद के बेकसी का मज़ार हूँ…!

स्वाधीनता आंदोलन के नेता और इस्लाम के प्रकांड पंडित रहे मौलाना अबुल कलाम आजाद कि आज पुण्यातिथी हैं। 22 फरवरी 1958 को आजाद इस दुनिया ए फानी से कूच कर गए। दिल्ली के जामा मस्जिद के निकट उन्हें दफन किया गया। परंतु उनकी स्मृतिस्थली

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गांधीहत्या को लेकर सरदार पटेल ने दिखाई थी उपेक्षा

हात्मा गांधीजी के हत्या का मुकदमा सिधा और स्पष्ट था। परंतु आज 70 साल बाद गांधी हत्या को लेकर गोडसे और सावरकर का महिमामंडन किया जा रहा हैं। झुठी कहानियाँ गढकर और फेक न्यूज को आधार बनाकर गोडसे को दोषमुक्त करने का प्रयास किया

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मौलाना आज़ाद ने ‘भारतरत्न’ लेने से इनकार क्यों किया?

मौलाना आज़ाद भारत के उस मना स्वतंत्रता सेनानी में गिने जाते हैं, जिन्होने अंग्रेजो के खिलाफ लडाई में अपनी जान कि बाजी लगाई थी। आज़ाद किसी एक धर्म विषेश के नेता नही थे, बल्कि भारत के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार प्राप्त कराने वाले

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