मुल्क की मुख्यधारा में कैसे आएगें मुसलमान ?

ज से इकहत्तर साल पहले संविधान बनाते वक्त हमारे मुल्क के कर्णधारों ने भले ही किसी के साथ मजहब, जाति, संप्रदाय, नस्ल और लिंग की बिना पर कोई फर्क न करने का एलान किया हो, मगर आज हकीकत इसके उलट

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कुरआनी आयतों पर रिजवी का बयान गहरी साजीश का हिस्सा

त्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर यह मांग की है कि क़ुरआनकी 26 आयतों को इस पवित्र पुस्तक से हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे चरमपंथ को

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राजनीतिक पार्टीयों के लिए ‘धर्मनिरपेक्षता’ चुनावी गणित तो नही !

भारत को एक लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिली। यह संघर्ष समावेशी और बहुवादी था। जिस संविधान को आजादी के बाद हमने अपनाया, उसका आधार थे स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के वैश्विक मूल्य।

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रवींद्रनाथ टैगोर के घोर विरोधी उन्हें क्यों अपनाना चाहते हैं?

श्चिम बंगाल में चुनाव नजदीक हैं। बीजेपी ने बंगाल के नायकों को अपना बताने की कवायद शुरू कर दी है। जहां तक बीजेपी की विचारधारा का प्रश्न है, बंगाल के केवल एक नेता, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, इस पार्टी के अपने हैं।

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देश के चार बड़े किसान आंदोलन जब झुकीं सरकारे

राज्यसभा से:

माननीय चेयरमैन सर, आज मैं यहाँ माननीय राष्ट्रपति जी का धन्यवाद करने के लिए खड़ा हुआ हूँ कि उन्होंने दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया। सर, मैं अपनी बात सिर्फ दो मुद्दों पर रखूगा-किसान और जम्मू – कश्मीर।

माननीय

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न्यूज़ चैनलों के ग़ुलामों से संवाद समय की बर्बादी

प किससे उम्मीद कर रहे हैं? भारत का 99.999 प्रतिशत मीडिया गोदी मीडिया है। यह एक परिवार की तरह काम करता है। इस परिवार के संरक्षक का नाम आप जानते हैं। इस परिवार में सारे एंकर और चैनलों के मालिक अर्णब ही हैं।

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कृषि कानून पर ‘क्रोनोलॉजी’ का आरोप क्यों हो रहा हैं?

रकार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह समस्याओं की उस वक्त तक अनदेखी करती है जब तक कि भारी तादाद में भारतीय इससे प्रभावित न हो जाएं और वह राष्ट्रीय संकट न बन जाए।

ठीक एक साल पहले, गृहमंत्री अमित

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अंतरधार्मिक शादीयों के खिलाफ कानून से किसको लाभ?

डिस्क्लेमर : भारत के केंद्रीय सरकार ने लव जिहाद जैसे किसी शब्द को परिभाषित नही किया हैं। फरवरी 2020 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इसपर खुलासा कर बlताया था,

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Reuters

मीडिया में वैकल्पिक कारोबारी मॉडल क्यों जरुरी हैं?





प्रो. आनंद प्रधान का नजरिया :

न दिनों टीवी न्यूज चैनल खुद सुर्खियों में हैं। अधिक से अधिक दर्शकों को आकर्षित करने यानी टीआरपी की अंधी दौड़ में आगे रहने के लिए उनमें लगातार गटर में और नीचे गिरने की होड़ लगी है।

न्यूज

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क्या ‘लव जिहाद’ पुरुषप्रधान विचारधारा की उपज हैं?

डिस्क्लेमर : भारत के केंद्रीय सरकार ने लव जिहाद जैसे किसी शब्द को परिभाषित नही किया हैं 5 फरवरी 2020 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इसपर खुलासा कर बlताया था, ऐसा कोई

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