मुल्कराज ने लिखा अंग्रेजी मगर हमेशा रहे भारतीय

पनी 99 साला जिन्दगी में मुल्कराज आनंद ने 100 से ज्यादा किताबें लिखीं। जिनका दुनिया की 22 जबानों में अनुवाद हुआ और यह किताबें सभी जगह सराही गईं। उनकी किताबों का यदि प्रकाशन-क्रम देखें, तो जब से उन्होंने लिखना शुरू किया, तब से लगभग

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असद भोपाली : फिल्मी दुनिया के गुमनाम नग़मानिगार

र्दू अदब और फ़िल्म की दुनिया में असद भोपाली ऐसे बदक़िस्मत शायर-गीतकार हैं, जिन्हें अपने काम के मुताबिक वह शोहरत, मान-सम्मान और मुकाम हासिल नहीं हुआ, जिसके कि वे हक़दार थे।

1949 से लेकर 1990 तक अपने चार दशक के लंबे

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एक्टिंग कि ट्रेनिंग स्कूल है दिलीप कुमार की अदाकारी

दाकारी के अजीमुश्शान बादशाह दिलीप कुमार 11 दिसम्बर को अनठानवे (98) साल के हो गए हैं। फिल्मी दुनिया में उनका लेजेंड का मर्तबा है। वे न सिर्फ लाखों दिलों को जीतने वाले शानदार अदाकार हैं, बल्कि अपनी अदाकारी से उन्होंने दिलों

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किसी तलवार से कम नही थी ‘मजाज़’ की शायरी!

सरारुल हक मजाज की खूबसूरत, पुरसोज शायरी के पहले भी सभी दीवाने थे और आज भी उनकी मौत के इतने सालों बाद, यह दीवानगी जरा सी कम नहीं हुई है। मजाज सरापा मुहब्बत थे। तिस पर उनकी शख्सियत भी दिलनवाज

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उच्च अभिनय प्रतिभा थी शौकत ख़ानम की पहचान

कैफी आजमी ने जब उमराव जानफिल्म देखी, तो उन्होंने कॉस्ट्यूम डिजाइनर सुभाषिणी अली को अपना रद्दे अमल देते हुए कहा, शौकत ने खानम के रोल में जिस तरह हकीकत का रंग भरा है,अगर शादी से पहले

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वामिक जौनपुरी ने शायरी से अकालग्रस्तों के लिए जोडा था चंदा

वामिक जौनपुरी का शुमार उन शायरों में होता है, जिनकी वाबस्तगी तरक्कीपसंद तहरीक से रही। जिन्होंने अपने कलाम से सरमायेदारी और साम्राज्यवाद दोनों पर एक साथ हमला किया। समाज के सबसे दबे-कुचले लोगों के हक में अपनी आवाज बुलंद की।

अपनी शायरी में

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मुग़लकाल में दिवाली भी ईद की तरह मनाई जाती

दियों से हमारे देश का किरदार कुछ ऐसा रहा है कि जिस शासक ने भी सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व की भावना से सत्ता चलाई, उसे देशवासियों का भरपूर प्यार मिला। देशवासियों के प्यार के ही बदौलत उन्होंने भारत पर वर्षों राज किया। मुग़ल शासक भी

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आधुनिक शिक्षा नीति में मौलाना आज़ाद का रोल अहम क्यों है?

मुल्क में हर साल 11 नवम्बर, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की यौम-ए-पैदाईश, ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवसके तौर पर मनाई जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में आज़ाद का योगदान अतुलनीय है। स्वतंत्र भारत के वे पहले शिक्षा मंत्री थे। आज़ादी के

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वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता के हिमायती ‘सरदार’

ज हम जिस भारत को देखते हैं, उसका तसव्वुर शायद ही सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम के बिना पूरा हो। पटेल ही वे शख्सियत थे, जिन्होंने हमारे देश के छोटे-छोटे रजवाड़ों और राजघरानों को एक कर भारत में शामिल किया। सारी रियासतों

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कैसी थी मलिका ‘बेगम समरू’ की रोमांचक जिन्दगी?

किताबीयत : बेगम समरू का सच

तिहास ज्यादातर लोगों के लिए बोरिंग विषय हैलेकिन जो उसमें डूबता हैयह उसे उतना ही मजा भी देता है। एक के बाद एक जिज्ञासा से नये-नये सूत्र मिलते हैं और उन सूत्रों से एक

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