औरंगज़ेब को इतिहास में मूर्तिभंजक क्यों लिखा जाता हैं?

रंगज़ेब द्वारा बनारस के प्रसिद्ध शिश्वनाथ मंदिर के ध्वंस की काफी चर्चा होती है। यह मंदिर अकबर के नौरत्नों में शामिल टोडरमल द्वारा बनवाए गया था। अक्सर इस घटना को औरंगज़ेब की धार्मिक घृणा के परिणाम के रूप में देखा जाता है। इतिहासकार डॉ.

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औरंगज़ेब का नाम आते ही गुस्सा क्यों आता हैं?

तीत के इतिहास को एक खास आइने से देखना-दिखाना, सांप्रदायिक ताकतों का सबसे बड़ा हथियार होता है। दूसरेसमुदायों के खिलाफ नफरत की जड़ें, इतिहास के उन संस्करणों में हैं, जिनका कुछ हिस्सा हमारे अंग्रेज़ शासकों ने निर्माण किया

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औरंगजेब ने होली के साथ ईद पर भी लगाई थी रोक

क़िताबीयत : औरंगज़ेब दि मॅन अँड दे मिथ

रंगज़ेब और आरक्षण। इससे ज़्यादा लिखने की कोई ज़रूरत नहीं है। इन दो शब्दों को देखते ही पढ़ने वाले के दिमाग़ में जो भ्रांतियां मौजूद हैं वो बाहर आने लगती हैं। लोगों के मन में भ्रांतियों

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औरंगजेब ने लिखी थीं ब्रह्मा-विष्णू-महेश पर कविताएं

रंगजेब के प्रति भारतीय इतिहास लेखन में आम धारणा जालीम, हिन्दुकुश, बुतशकीन बादशाह कि है। औरंगजेब कि कई नीतियों और सांस्कृतिक पुनरुज्जीवनवाद के प्रयासों से उसकी धार्मिक कट्टरता वाली छवी बनी हुई है। जिझिया को दुबारा लागू करना तथा सिखों और मराठों

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राजनीति से धर्म को अलग रखने वाला सुलतान यूसुफ आदिलशाह

डे भाई के द्वारा कत्ल का आदेश दिए जाने के बाद यूसुफ आदिलशाह को उसकी माँ ने बचाने के लिए व्यापारीयों के माध्यम से देश से भगाया। किस्मत की मार झेलते हुए यूसुफ विदेश से हिन्दुस्थान पहुंचा। अपने कर्तृत्व से वह ‘बहामनी सल्तनत’ में …

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