‘मुसलमानी की कहानी’ धर्मवाद पर प्रहार करती टैगोर कि रचना

वीन्द्रनाथ टैगोर एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं हैं जन गण मन भारत का राष्ट्र-गान तो आमार सोनार बांग्लाबांला देश का। महाकवि टैगोर 1861 को वह पैदा हुए वे

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जब ग़ालिब ने कार्ल मार्क्स को वेदान्त पढने कि दी सलाह

र्दू में कई शायर मजदूरों के हक के लिए अपनी कलम उठाते रहे हैं। मिर्जा ग़ालिब उर्दू शायरी के बाबा आदम माने जाते हैं, उन्हीं से यह सिलसिला आम हुआ। ग़ालिब ने हुकूमत के खिलाफ मजदूरों के हक में आवाज उठाई। उनकी इसी शायरी

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जब तक फिल्मे हैं उर्दू जुबान जिन्दा रहेंगी

बॉलीवूड और उर्दू का का रिश्ता बहुत पुराना हैं। बडे बडे शायरों ने फिल्मों मे उर्दू को बढाने में अपना योगदान दिया हैं। आज तक कोई भी भारतीय फिल्में बगैर उर्दू जुबान के मुकम्मल नही हुई हैं। आमतौर पर कथा, पटकथा, गीत और संवाद …

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मौ. शौकत अली के वजह से बने थें तुर्की खलिफा और निजाम संबंधी

मौलाना मुहंमद अली और शौकत अली जो ‘अली ब्राद्रान’ के नाम से भी मशहूर थे। यह दोनो भाई भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दो अहम किरदार हैं। गांधीजी और दुसरे नेताओं से इनका करीबी रिश्ता था। अली ब्रदर में मौलाना शौकत अली बडे भाई …

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आन्तरिक विवशता से मुक्ती पाने के लिए लिखते थें ‘अज्ञेय’

आज 7 मार्च अज्ञेय याने सच्चिदानंद वात्स्यायन का जन्मदिन हैं। उनका जन्म 1911 में उत्तर प्रदेश में हुआ। अज्ञेय को एक क्रांतिकारी कवि, कथाकार और निबंधकार के रूप में भी जाना जाता हैं।

हिन्दी साहित्य जगत में अज्ञेयमौलिक योगदान रहा हैं जो

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क्या हिन्दोस्ताँनी जबान सचमूच सिमट रही हैं?

र्दू जबान के साथ एक अजीब सी ट्रेजेडी हो गई है। वह जब तक आपके समझ में आती है तब तक उसे आप हिंदी समझते हैं। और जब समझ में आना बंद हो जाए तब कहते हैं कि यह उर्दू हैं। हम जब आपस

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बॉलीवूड कि पहली ‘ग्लॅमर गर्ल’ थी सुरैय्या

तुमने तो मिर्जा गालिब की रूह को जिन्दा कर दिया हैं।यह वाक्य मशहूर अभिनेत्री सुरैय्या के लिए भारत के पहले पंतप्रधान पंडित नेहरू कहा था। 1954 में रिलिज हुई फिल्म मिर्जा गालिबदेखने के बाद उन्होंरू ने यह प्रतिक्रिया

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दकनी को बड़ा ओहदा दिलाने वाले तीन कुतुबशाही कवि

कुली कुतबशाह कला और साहित्य का बडा भोक्ता था। वह खुद एक अच्छा कवि था। जिसने कई बेहतरीन रचनाएं कि हैं। उसके बारे में कहा जाता हैं कि उसने शायरी और कविताओं को फारसी के चंगुल से छुडाया हैं और दकनी और

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आसिफीया सुलतान मीर कमरुद्दीन की शायरी

रंगाबाद दकन में आसिफीया राजवंश की स्थापना करनेवाले नवाब मीर कमरुद्दीन सिद्दिकी नवाब फेरोज जंग के बेटे थे। नवाब फेरोज जंग मुगल राजनीति के अहम सरदारों में से थें। कई जंगो में उन्होने मुगलीया सल्तनत के लिए अहम भूमिका निभाई थी।

नवाब फेरोज जंग

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औरंगाबाद के वली दकनी उर्दू शायरी के ‘बाबा आदम’ थें

रंगाबाद में जन्मे वली दकनी उर्दू शायरी के पितामह माने जाते हैं। मौलाना मुहंमद हुसेन आजादने उन्हें उर्दू का पहला कवि कहा है। वली के जिंदगी को लेकर विद्वान तथा साहित्यकारों मे कई मतभेद नजर आते हैं।

आज भी वली को

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