जोतीराव फुले कि ‘महात्मा’ बनने की कहानी

सवी 1847 में एक घटना घटी, जिससे जोतीराव फुले के महात्मा बनने की नियती लिखी जा चुकी थी। हुआ कुछ ऐसा कि नौजवान जोतीराव को अपने एक ब्राह्मण मित्र के शादी का आमंत्रण मिला।

वह उनका प्रिय मित्र था इसलिए वह अच्छे

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भगत सिंह ने असेम्बली में फेंके पर्चे में क्या लिखा था?

ज से नब्बे साल पहले याने 8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेम्बली में दो बम फेंके। उसी समय एक पर्चे की कुछ प्रतियां हाल में फेंकी गई। ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ और ‘ट्रेड डिसप्यूट बिल’ के विरोध मे यह कृति …

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बिस्मिल्लाह खान देश के वह ‘मुनादी’ जो हर सुबह हमें जगाते हैं

ती साल पहले याने 5 दिसंबर 2016 कि वह अल सुबह, आकाशवाणी ने रोज कि तरह अपनी सिग्नेचर ट्यूनबजाई। जिसके बाद अपने पहले वार्तापत्र में एंकर ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के घर से उनकी शहनाईयां चोरीखबर पढी।

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साहिर की बरबादीयों का शोर मचाना फिजुल हैं

शायर जब जिन्दा होता हैं तो वह लोगों के लिए मरा हुआ होता हैं। और जब वह मर जाता हैं तो लोगों के लिए वह जिन्दा हो जाता हैं। जो लोग उससे मुँह फेरते थें वही उसके मरने के बाद उसपर कसिदे गढते हैं

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पुलिसीया दमन के बावजूद दटे रहे CAA विरोधक

रकार नें लोगो कि बात सुनने के बजाए उलट आग में तेल डालने काम किया हैं। सरकार एनआरसी और एनपीआर प्रक्रिया के माध्यम से भारतीयो कि नागरिकता छिनना चाहती हैं। सरकार द्वारा आम लोगो के खिलाफ बायनबाजी से आंदोलन थमने के बजाए और भडक

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होस्नी मुबारक वो तानाशाह जिसने मिस्र को विनाश कि ओर धकेला

मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के निधन से अरब जगत के तानाशाही का एक चैप्टर हमेशा के लिए इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया। 9 साल निर्वासित जिन्दगी बिताने के बाद मुबारक 25 फरवरी को एक कभी न लौटने वाली लंबी यात्रा

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जब रेप कांड के आरोपी को बचाने के लिए निकला मोर्चा

तिहास में भारत अद्भूत घटनाओ को लेकर जाना जाता हैं। बादशाहीयत के साथ हैवानियत में भी भारत इतिहास के पन्नो दर्ज हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर तो कई काले दाग भारतीय जनता के मुँह पर दिमक की तरह चिमटे हैं।

कठुआ’ और 

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इस्लाम से बेदखल थें बॅ. मुहंमद अली जिन्ना

पाकिस्तान के संस्थापक बॅमुहंमद अली जिन्ना को दुनिया कायदेआज़मके नाम से जानती हैं। महात्मा गांधी ने यह नाम उन्हें दिय़ा था। पाकिस्तान के पहले गव्हर्नर जनरल रहे बॅ. जिन्ना जीते जी किवंदती बन गये थें।

निधन के सात दशक

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रफिक ज़कारिया महाराष्ट्र के राजनीति के विकासपुरुष

न 1962 को अलग महाराष्ट्र राज्य का पहला विधानसभा चुनाव घोषित हुआ था। तब उस चुनाव में भाग लेने प्रधानमंत्री पण्डित नेहरू नें डॉ. रफिक ज़कारिया (Dr. Rafiq Zakaria) को महाराष्ट्र भेजा। उस समय वे दिल्ली की सियासत में अपनी अच्छा पकड

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राजनीति और फर्ज को अलग-अलग रखते थें न्या. एम. सी. छागला

छागला करीबन 11 साल तक बंबई उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधिश रहेउन दिनों मे उन्होंने एक बार छुट्टी नही ली। सुबह ठीक साडे ग्यारह बजे वह कोर्ट में हाजीर होते। अपने सामने पडे मामलों को वह जल्द से जल्द निपटाने में यकीन

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