मीडिया में कैसे पनपती हैं हिन्दू राष्ट्रवाद की जड़े ?

सोशल मीडिया तो अभी आया पर मुसलमानों के खिलाफ टारगेटिंग थोड़ी पुरानी है। आपको पता होगा आज़ादी के आंदोलन के दौरान शुरू हुआ। उसमें दो प्रकार के राष्ट्रवाद सामने आए। एक तो वह है, जो इंडस्ट्रिलियस्ट मजदूर और आधुनिक शिक्षित वर्ग से आया। दूसरा,

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सांप्रदायिक राजनीति में अंधविश्वास का बिजनेस मॉडल

सात साल पहले (20 अगस्त 2013), हुई डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की क्रूर हत्या अंधश्रद्धा व अंधविश्वास के खिलाफ सामाजिक आंदोलन के लिये एक बड़ा आघात है।

पिछले कुछ दशकों में तार्किकता और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने का काम मुख्यतः जनविज्ञान कार्यक्रम कर रहे …

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मीडिया में सांप्रदायिकता कैसे शुरु हुई?

मीडिया मे सांप्रदायिकता कैसी हैं, इसके तीन स्टेप हैं पहला, 1975 के इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी की सरकार पावर में आई उस समय लालकृष्ण आडवाणी जो डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर रह चुके हैं; वह सूचना और प्रसारण मंत्री थे

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मुस्लिम स्वाधीनता सेनानीओं पर कालिख मलने कि साजिश

नसामान्य में यह धारणा घर कर गई है कि मुसलमान मूलतः और स्वभावतः अलगाववादी हैं और उनके कारण ही भारत विभाजित हुआ। जबकि सच यह है कि मुसलमानों ने हिन्दुओं के साथ कंधा से कंधा मिलाकर आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और पूरी

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मुसलमानों को लेकर मीडिया में नफरत क्यों हैं?

सामान्य सामाजिक सोच जब बनती हैं, तो उसमे मीडिया का बडा हाथ होता हैं आज ऐसे हालात हो गये हैं, खास तौर पर मुस्लीम कम्युनिटी एक टारगेट बन गई हैं, वह निशाने पर बनी हुई हैं, उसे हाशिये पर, मार्जिन पर ढकलने कि

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इन्सानियत को एक जैसा रख़ती हैं भक्ति-सूफी परंपराएं

क्ति-सूफी परंपराएं मानवता को एक करती हैं चाहे मुद्दा चरमपंथी हिंसा का हो या संकीर्ण राष्ट्रवाद का, दुनिया के सभी हिस्सों में धर्म के मुखौटे के पीछे से राजनीति का चेहरा झांक रहा है। 

वर्तमान दौर में धार्मिक पहचान का इस्तेमाल, राजनैतिक

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औरंगज़ेब का नाम आते ही गुस्सा क्यों आता हैं?

तीत के इतिहास को एक खास आइने से देखना-दिखाना, सांप्रदायिक ताकतों का सबसे बड़ा हथियार होता है। दूसरेसमुदायों के खिलाफ नफरत की जड़ें, इतिहास के उन संस्करणों में हैं, जिनका कुछ हिस्सा हमारे अंग्रेज़ शासकों ने निर्माण किया

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दो राजाओं की लड़ाई इतिहास में हिन्दू मुस्लिम कैसे हुई?

क बार मराठा सेनाए टिपू सुलतान पर आक्रमण करने श्रीरंगपट्टनम गई। दोनों में लड़ाई हुई। परंतु यह लड़ाई बिना हार जीत के फैसले के समाप्त हो गई। मतलब एक तरह से यह लड़ाई टाई हो गई।

मराठा सेनाएं अपने प्रदेश कि ओर

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कैसे हुई कोरोना को तबलीग पर मढ़ने की साजिश?

मीडिया के एक बड़े हिस्से ने जिस तरह जमात की गलती को एक साजिश और भारतीय मुसलमानों का देश पर हमला बताया वह घिनौना था। इससे उन तत्वों के हाथ मजबूत हुए हैं जो समाज को धर्म के आधार पर विभाजित कर कोरोना संकट में

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दलित समुदाय दिल्ली दंगों में मोहरा क्यों बना?

दिल्ली में हुए खून-खराबे, जिसे मुसलमानों के खिलाफ हिंसा कहना बेहतर होगा, ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। विभिन्न टिप्पणीकार और विश्लेषक यह पता लगाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं कि इस हिंसा के अचानक भड़क उठने के

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