अभिनय के साथ दिलीप कुमार की राजनीति में भी थी चमक

हिन्दी सिनेमा के लिजेंड दिलीप कुमार आज हमारे बीच नही हैं। पर उनकी यादे, उनसे जुड़ी बाते और उनकी जीवनी हम सब के लिए एक दिशादर्शक हैं। जिसकी चर्चा करना लाजमी हो जाता हैं।

40 के दशक में फ़िल्मों में आने से पहले दिलीप

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पिता के डर से दिलीप कुमार ने फिल्मों में बदला था नाम

हिन्दी सिनेमा ने यूँ तो एक से एक कई शानदार अभिनेता दिए हैं लेकिन दिलीप कुमार एक ऐसे अदाकार थे जिन की बात ही कुछ और थी। बॉलीवुड के साहिब ए आलम कहे जाने वाले दिलीप कुमार का बुधवार सुबह करीब साड़े सात बजे …

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मर्दाने समाज में स्त्रीत्व की पहचान परवीन शाकिर!

रवीन शाकिर उर्दू शायरी का एक जाना माना नाम है। वर्जनाओं से भरे समाज में उन्होंने भावनाओं से भरी कलम को चुना और इसकी स्याही का रंग स्त्रीत्व के गुलाल से रंगा था। कमोबेश, अपनी हर रचना में उन्होंने स्त्री मन के कोमल

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समय के साथ शिवसेना बदली, पर क्या विचारधारा भी बदलेगी !

जून 19 को शिवसेना ने अपने 55 साल मुकम्मल किये। फिलहाल सेनाप्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र के इतिहास में ये कोई पहला मौका नहीं हैं जब एक शिवसैनिक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा हो। इस से पहले भी गठबंधन की सरकार …

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भारत को अपना दूसरा घर मानते थे अहमद फराज़

धुनिक उर्दू के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में गिने जाने वाले अहमद फ़राज़ का जन्म अविभाजित भारत के कोहाट में 12 जनवरी 1931 को हुआ था। इन के बचपन का नाम सैयद अहमद शाह था। इन के पिता जी का नाम सैयद मुहंमद शाह बर्क तथा

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अल्लामा इक़बाल : क़लम से क्रांति करने वाले विचारक

सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा

हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलिस्ताँ हमारा..

हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी की सुबह यह गीत सीधा दिल में उतर जाता है और देशभक्ति का जोश हमारी रगों में दौड़ने लगता है। लेकिन एक खास

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जब एक वोट ने बदल कर रख दिया इतिहास !

चुनावी राजनीति मे वोट का महत्त्व उससे पुछीए जो, एक-एक वोट जोड़ने के लिए गरमी, तुफान तथा बारिश की परवाह किए बगैर ग्रामीण इलाकों के दौरे करता हैं। एक वोट की किमत उस पार्षद से पुछीए जो एक बार हारा तो फिर से कभी

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समान नागरी कानून और मुसलमानों की चुनौतीयां

ब भी यूनिफार्म सिविल कोड को लागू करने की बात होती हैं तो मुसलमानों को शक की निगाह से देखा जाता हैं और मुजरिम के कटघरे में खड़ा कर दिया जाता हैं। मगर यहाँ दो अहम सवाल हैं कि आखिर आज मुसलमानों की यूनिफार्म

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राजनीतिक फैसलों से बारूद के ढेर पर खड़ा ‘शांतिप्रिय लक्षद्वीप’

क्षद्वीप भारत का ऐसा प्रदेश हैं जो इस से पहले शायद ही कभी इतना चर्चा में रहा हो, मगर आज यही जगह चर्चा का केंद्र बना हुआ हैं। इस की मुख्य वजह हैं लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के फैसले। इन फैसलों को

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एक अफवाह ने दिलाई थी अताउल्लाह ख़ान को शोहरत

बात आज एक ऐसे फनकार की जिसके गाए गीत 90 के दशक में टूटे दिल वालों के लिए मरहम का काम किया करते थे। करीब 50 हज़ार गीतों गाकर ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करवाने वाले इस सिंगर का नाम

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