ए. के. हंगल : सिनेमा के भले आदमी आंदोलनकारी भी थे

ए. के. हंगल के नाम का जैसे ही तसव्वुर करो, तुरंत हमारी आंखों के सामने एक ऐसी शख्सियत आ जाती है जो सौम्य, शिष्ट, सहृदय, सभ्य, गरिमामय, हंसमुख है और इस सबसे बढ़कर एक अच्छा इंसान। भला आदमी ! हिन्दी सिनेमा का भला आदमी। 26 …

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किसान और मजदूरों के मुक्तिदाता थें मख़दूम मोहिउद्दीन

मेहनतकशों के चहेते, इंकलाबी शायर मख़दूम मोहिउद्दीन (Makhdoom Mohiuddin) का शुमार मुल्क में उन शख्सियतों में होता है, जिन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी अवाम की लड़ाई लड़ने में गुजार दी। सुर्ख परचम के तले उन्होंने आज़ादी की तहरीक में हिस्सेदारी की

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कहानियों से बातें करने वाली इस्मत आपा

हिन्दी, उर्दू अदब की दुनिया में ‘इस्मत आपा’ के नाम से मशहूर इस्मत चुगताई की पैदाइश उत्तर प्रदेश का बदायूं शहर है। 21 अगस्त 1915 को उनका जन्म हुआ।अलबत्ता उनका बचपन और जवानी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई शहरों में गुजरा। बाद में …

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मुल्क की सतरंगी विरासत के बानी थे राहत इंदौरी

अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे

फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे।

कुछ ऐसे ही हालात हैं, शायर राहत इंदौरी के इस जहान-ए-फानी से जाने के बाद। उनको चाहने वाला हर शख्स, इस महबूब शायर को अपनी-अपनी तरह

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आज़ादी में अहम योगदान बना ‘लाल किला ट्रायल’ क्या था?

मारे देश की स्वतंत्रता में यूं तो असंख्य भारतीयों और अनेक तूफानी घटनाओं का योगदान है। लेकिन इन घटनाओं में से कुछ घटनाएं ऐसी है, जो आगे चलकर आज़ादी में निर्णायक साबित हुईं। लाल किला ट्रायलऐसी ही एक ऐतिहासिक घटना

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शैलेंद्र के गीत कैसे बने क्रांतिकारी आंदोलनों कि प्रेरणा?

किताबीयत : धरती कहे पुकार के..

फिल्मी दुनिया में शैलेंद्र एक ऐसे गीतकार हुए हैं, जिन्होंने अपने गीतों के जरिए आम आदमी के जज्बात को बड़े फलक तक पहुंचाया। उनके सुख-दुःख में अपने गीतों के मार्फत वे शरीक हुए। उन्हें नया हौसला,

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जिन्दगी को करीब लाती हैं भीष्म साहनी की कहानियाँ

प्रगतिशील और प्रतिबद्ध रचनाकार भीष्म साहनी को याद करना, हिन्दी की एक शानदार और पायदार परम्परा को याद करना है। वे एक अच्छे रचनाकार के अलावा कुशल संगठनकर्ता भी थे। प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव के तौर पर उन्होंने देश भर में इस संगठन

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शकील बदायूंनी : वो मकबूल शायर जिनके लिये लोगों ने उर्दू सीखी

मैं शकीलदिल का हूं तर्जुमा,

कि मुहब्बतों का हूं राज़दां

मुझे फ़क्र है मेरी शायरी,

मेरी जिन्दगी से जुदा नहीं

शायर शकील बदायूंनी की गजल का यह शानदार शेर वाकई उनकी पूरी जिन्दगी और फलसफे की तर्जुमानी करता

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अन्नाभाऊ ने जो देखा-भोगा उसे ही शब्दों का रूप दिया

हाराष्ट्र में दलित साहित्य की शुरुआत करने वालों में अन्नाभाऊ का नाम अहमियत के साथ आता है। वे दलित साहित्य संगठन के पहले अध्यक्ष रहे। इसके अलावा भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) ने उन्हें जो जिम्मेदारियां सौंपी, उन्होंने उनका अच्छी तरह से निर्वहन

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उम्दा गायक ही नहीं, दरिया दिल भी थे मुहंमद रफी !

नवरी, 1948 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए जब मुहंमद रफी ने ‘सुनो सुनो ऐ दुनिया वालों, बापू की ये अमर कहानी’ गीत गाया, तो इस गीत को सुनकर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की

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