आज तक मुंबई में भटकती हैं मंटो की रूह

आदत हसन मंटो, हिंद उपमहाद्वीप के बेमिसाल अफसाना निगार थे। प्रेमचंद के बाद मंटो ही ऐसे दूसरे रचनाकार हैं, जिनकी रचनाएं आज भी पाठकों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं। 43 साल की छोटी सी जिन्दगानी में उन्होंने जी भरकर लिखा। गोया

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बेशर्म समाज के गंदी सोंच को कागज पर उतारते मंटो

आदत हसन मंटो के बारे में बहुत सी कहानियां किस्से प्रचलित है। मात्र इसके विपरीत मंटो की शख्सियत नजर आती है।

मंटो महज एक अफसानानिगार नहीं थे बल्कि वह एक पॉलिटिकल कमेंटेटर भी थें। नया कानून, अंकल सैम का खत

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