मर्दाने समाज में स्त्रीत्व की पहचान परवीन शाकिर!

रवीन शाकिर उर्दू शायरी का एक जाना माना नाम है। वर्जनाओं से भरे समाज में उन्होंने भावनाओं से भरी कलम को चुना और इसकी स्याही का रंग स्त्रीत्व के गुलाल से रंगा था। कमोबेश, अपनी हर रचना में उन्होंने स्त्री मन के कोमल

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परवीन शाकिर वह शायरा जो ‘खुशबू’ बनकर उर्दू अदब पर बिखर गई

पने महबूब को हवाओं में बिखरने वाली खुशबू की मिसाल देते हुए एक दफा पाकिस्तानी शायरा परवीन शाकिर ने ‘फूल’ की समस्या का जिक्र किया था।

1994 के दिसम्बर के आखिरी हफ्ते में याने 26 तारीख को यह फूल हमेशा हमेशा के लिए मुरझा …

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