और चल निकली भारतीय रंगमंच में ‘हबीब तनवीर’ शैली

धुनिक रंगकर्म के अध्ययन के बाद अपने नाटकों में देशज रंग-पद्धति अपनाने वाले हबीब मानते थे, “पश्चिम से उधार लेकर उसकी नकल वाले शहरी थिएटर का स्वरूप अपूर्ण और अपर्याप्त है, साथ ही सामाजिक अपेक्षाएं पूरी करने, जीवन के ढंग

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‘कशकोल’ : उर्दू अदब को चाहने वालों के लिए नायाब तोहफा

किताबीयत : कशकोल

बीते साल आई किताब दास्तान-ए-मुग़ल-ए-आज़मकी चर्चा अभी थमी नहीं है कि वरिष्ठ लेखक, पत्रकार और हिंदी सिनेमा के गहन अध्येता राजकुमार केसवानी की एक और शानदार किताब कशकोलआ गई है। किताब की टैगलाइन

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अपनी कहानियों को खुद जीती थी रज़िया सज्जाद जहीर!

ज़िया दिलशाद उर्फ रज़िया सज्जाद जहीर को ज्यादातर लोग प्रगतिशील लेखक संघ के संस्थापक सदस्य सज्जाद जहीर की पत्नी के तौर पर जानते-पहचानते हैं। जबकि उनकी खुद की एक अलहेदा पहचान थी। वे एक बहुत अच्छी अफसानानिगार और आला दर्जे की अनुवादक थीं।

उन्होंने

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